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Jun 10, 20202 min

महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल मत करना – यूपी में बंद हो गया कॉलसेंटर अब नहीं मिलेगी मदद

Updated: Jun 17, 2020

निर्भया बलात्कार मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बाद महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 181 को शुरू किया गया था। देश के तमाम राज्यों में इस हेल्पलाइन की हालत खस्ताहाल है। उत्तरप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनी हेल्पलाइन 181 को बंद ही कर दिया गया। यूपी सरकार ने करोड़ों का बकाया नहीं दिया और एक झटके में हेल्पलाइन से जुडी सैकड़ों महिलाएं बेरोजगार हो गयीं है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मातृशक्ति के सम्मान, अधिकार, समानता एवं सशक्तिकरण को समर्पित करते हैं इसके बावजूद उनकी नौकरशाही आधी आबादी को सुरक्षा देने वाली हेल्पलाइन को मटियामेट करने पर आमादा है।

करीब डेढ़ वर्षों से यूपी में महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 181 की हालत योगी सरकार के महिला कल्याण महकमे के अफसरों से छुपी नहीं है हेल्पलाइन के कॉल सेंटर को चलाने का जिम्मा 108 एवं 102 एंबुलेंस चलाने वाली जीवीके-ईएमआरआइ कंपनी के पास है। कॉल सेंटर में रोजाना करीब 600 महिलाओं की कॉल आती थी। लाखों महिलाओं के लिए न्याय का आसरा बनी हेल्पलाइन का 18 करोड़ का बकाया अफसरों की तिकड़मबाज़ी में फंसकर रह गया है। अब कम्पनी ने हेल्पलाइन ने महिला काउंसलरों को एक माह का नोटिस देते हुए सभी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं। यूपी में करीब साढ़े चार सौ से ज्यादा महिलाएं एक झटके में बेरोजगार हो गयी।

पूर्ववर्ती सपा सरकार ने महिलाओं को अपराधों से बचाने के लिए छह सीटर 181 महिला हेल्पलाइन का कॉल सेंटर शुरू किया था। करीब एक वर्ष पहले योगी सरकार ने कॉल सेंटर को 30 सीटर कर दिया। साथ ही सभी 75 जिलों में रेस्क्यू वैन सेवा शुरू की थी। मार्च 2019 से सरकार ने कंपनी को बकाये का भुगतान नहीं किया है।

अफसरों के डर से हेल्पलाइन चलाने वाली कम्पनी जीवीके-ईएमआरआइ ने भी अपने होंठों को सील लिया है सीनियर आईएएस राधा एस चौहान ने हाल ही में प्रमुख सचिव महिला कल्याण विभाग का कार्यभार संभाला है।

अफसरों ने दबी जुबान से बताया की शासन के अफसरों ने फ़ाइल पर आपत्ति लगाई है आखिर छह सीटर से 30 सीटर कॉल सेंटर करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी क्यों नहीं ली गयी। संचालनकर्ता का टेंडर न किये जाने पर पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं जबकि खुद सीएम योगी के राज में ही इस हेल्पलाइन की उपयोगिता साबित हुई है। वहीं संचालनकर्ता कम्पनी जीवीके-ईएमआरआइ ने अफसरों के आश्वासन पर अपने संसाधनों से सैकड़ों महिला कर्मियों को बीते जुलाई तक वेतन दिया था।

टीम स्टेट टुडे

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