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Jan 26, 20217 min

2021 की गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर ये नजारा आपने देखा कि नहीं !

भारतवर्ष पूरे उमंग और उत्साह के साथ आज 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में देश की सैन्य ताकत के साथ ही सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली। परेड के मुख्य आकर्षण का केंद्र राफेल लड़ाकू विमान रहा। इसके अलावा बांग्लादेश की सैन्य टुकड़ी ने पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान भावना कांत गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनी।

झांकी में कोरोना वैक्सीन के साथ-साथ राम मंदिर की झलक भी देखने को मिली। कोरोना के मद्देनजर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए यह आयोजन हुआ। इसके चलते केवल 25,000 लोगों को राजपथ पर समारोह देखने आ सके। परेड की लंबाई भी छोटी रही लाल किले तक मार्च करने के बजाय राष्ट्रीय स्टेडियम में परेड का समापन हुआ। मोटरसाइकिल स्टंट भी देखने को नहीं मिला।

परंपरा के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राजपथ पहुंचकर तिरंगा फहराया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। इसके बाद राष्ट्रगान हुआ और 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद परेड की शुरुआत हुई। इस बार परेड में कोई मुख्य अतिथि नहीं था। कोरोना महामारी के कारण ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने अपनी यात्रा रद कर दी। इससे पहले 1952, 1953 और 1966 में भी गणतंत्र दिवस परेड के लिए कोई मुख्य अतिथि नहीं था।

रूद्र फॉरमेशन से फ्लाइ पास्ट की शुरुआत

फ्लाइ पास्ट की शुरुआत एक डकोटा वायुयान, दो Mi-17 हेलिकॉप्टरों के रूद्र फॉरमेशन के साथ हुई। बता दें कि 1947 में शत्रुओं को सीमा से बाहर खदेड़ने में इसने बड़ी भूमिका निभाई थी। फ्रांस में निर्मित मल्टीरोल राफेल लड़ाकू जेट विमानों को पिछले साल 10 सितंबर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। मंगलवार को फ्लाईपास्ट में भारतीय वायुसेना के कुल 38 IAF विमानों और चार विमानों ने भाग लिया।

राजपथ पर सबसे पहले देश की सेनाओं ने परेड मार्च किया। परेड का आकर्षण रहा बांग्लादेश का मार्चिंग दस्ता और बैंड. राजपथ पर पहली बार बांग्लादेश की सशस्त्र सेनाओं के 122 सैनिकों के मार्चिंग दस्ते ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करवाई।

इसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अबू मोहम्मद शाहनूर शवन ने किया। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर जीत के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष मना रहा है। इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।

इसके बाद भारतीय सेना की 61 कैवलरी की बारी आई। इस कैवलरी को विश्व में अपनी तरह की अकेली सक्रिय घुड़सवार रेजिमेंट होने का गौरव हासिल है।

टी-90 टैंक भीष्म का प्रदर्शन

इसके बाद राजपथ पर टी-90 टैंक भीष्म का प्रदर्शन किया गया। यह मुख्य युद्धक टैंक, हंटर-किलर सिद्धांत पर कार्य करता है। यह 125 मिमी की शक्तिशाली स्मूथ बोर गन, 7.62 मिमी को-एक्सिल मशीन गन और 12.7 मिमी वायुयानरोधी गन से लैस है। यह टैंक लेजर गाइड मिसाइल को फायर करने और रात के समय 5 किलामीटर की परिधि में शत्रु के ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है. यह जल में भी गतिमान है।

इसके बाद का दस्ता बीएमपी का था। ये दस्ता आयुधों और रात में युद्ध लड़ने की अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक उच्च सचल पैदल सेना वाहन है।

ब्रह्मोस ने किया रोमांचित

इसके बाद राजपथ पर ब्रह्मोस मिसाइल की पूरी प्रणाली दिखाई गई। दागो और भूलो के सिद्धांत पर चलने वाली ये मिसाइल 400 किलोमीटर की अपनी अधिकतम रेंज में दुश्मन के इलाके को भेदकर अचूक और विध्वंसक वार करने में सक्षम है।

पिनाका मल्टी लांचर रॉकेट प्रणाली

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर 841 रॉकेट रेजिमेंट (पिनाका) के पिनाका मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम का नेतृत्व कैप्टन विभोर गुलाटी ने किया। 214 mm पिनाका MBRL दुनिया की सबसे एडवांस रॉकेट सिस्टम में से एक है। भगवान शिव के धनुष के नाम पर बना ये रॉकेट बहुत कम समय में बड़े इलाके को तबाह कर सकती है।

पुल बनाने वाला टैंक टी-72

टैंक-72 विशेष रूप से बनाया गया एक खास यंत्र है जिसके बुर्ज व शस्त्र उतारकर टैंक-72 की चेसिज में फिट किया जाता है। यह 20 मीटर के तैयार पुल लेकर जाता है और इसमें निर्मित उपकरण और प्रणाली हैं जो खाई, सीधी ढलान, टैंक-रोधी खाई के ऊपर या प्राकृतिक आपदा के दौरान आगे बढ़ रही लड़ाकू सेना के लिए रास्ता बनाने हेतु प्रयोग में लाई जाती है।

खुफिया प्रणाली की झलक

राजपथ पर समविजय इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम को प्रदर्शित किया गया। इस प्रणाली दुश्मन की अति गोपनीय सूचनाओं को हासिल करने में सहायता करती है। इसके अलावा यहां शिल्का हथियार प्रणाली को भी दिखाया गया। शिल्का हथियार प्रणाली आधुनिक रेडार और डिजिटल फायर कंप्यूटर से लैस है और लो लेवल एयर डिफेंस के लिए सभी हालातों में लक्ष्य को साधते हुए दुश्मन को तबाह करने में सक्षम है।

गणतंत्र दिवस परेड पर अगली बारी हल्के हेलिकॉप्टरों के प्रदर्शन की रही इस दौरान यहा रूद्र और आर्मी दो हेलिकॉप्टरों ने डायमंड फॉरमेशन तैयार किया।

बलिष्ठ जाट रेजिमेंट की मौजूदगी

राजपथ पर अब बारी सेना के रेजिमेंट की थी। सबसे पहले बलिष्ठ जाट रेजिमेंट का दस्ता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाया, जाट रेजिमेंट का इतिहास 1795 से आरंभ होता है जब कलकत्ता मिलिशिया की स्थापना हुई और 1859 में ये नियमित इंफैंट्री बटालियन में बदल गई।

गढ़वाल राइफल्स

राजपथ पर लोगों ने गढ़वाल राइफल्स का शौर्य देखा। इस रेजिमेंट ने दोनों विश्व युद़्धों के दौरान विभिन्न थियेटरों में कई ऑपरेशनों में भाग लिया और इसे कई नामी युद्ध सम्मानों के साथ-साथ 03 विक्टोरिया क्रॉस से भी सम्मानित किया गया।

महार रेजिमेंट

महार रेजिमेंट ने भी राजपथ पर देश को अपने गौरवपूर्ण इतिहास की याद दिलाई। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों के फलस्वरूप बेलगाम में 01 अक्टूबर 1941 को महार रेजिमेंट का गठन हुआ था।

इसके बाद सिख रेजिमेंटल सेंटर, असम रेजिमेंटल सेंटर, जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर के 68 बैंडवादकों का दस्ता संयुक्त रुप से राजपथ से गुजरा। राजपथ पर जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट, बंगाल सैपर्स का दस्ता वहां से गुजरा।

इसके बाद मद्रास रेजिमेंट, नौसेना, वायुसेना, डीआरडीओ की एटीजीएम झांकी में नाग, हेलिना, एमपीएटीजीएम, एसएएनटी, और लेजर गाइडेड एटीजीएम मिसाइलों के पूरे मॉडल दिखाए गए।

अर्द्धसैनिक बलों में भारतीय तटरक्षक बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, आईटीबीपी का मार्चिंग दस्ता राजपथ पर गुजरा।

देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा करने वाली दिल्ली पुलिस का बैंड भी राजपथ पर लोगों को मोहित किया। दिल्ली पुलिस का दस्ता 1950 से लेकर आजतक लगातार गणतंत्र दिवस परेड में भाग ले रहा है।

इसके बाद सीमा सुरक्षा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी कि ब्लैक कैट कमांडोज का दस्ता भी लोगों के सामने राजपथ पर गुजरा। एनएसजी का गठन 1984 में हुआ था।

इसके अलावा एनसीसी, राष्ट्रीय सेवा योजना, सामूहिक पाइप एवं ड्रम बैंड का दस्ता भी राजपथ पर लोगों को सम्मोहित कर गया।

खास जामनगर की पगड़ी पहने हुए थे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहुंचकर देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां उनका स्वागत किया। इसके बाद वह राजपथ पहुंचे और परेड का गवाह बनेंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज । इस तरह की पहली 'पगड़ी' पीएम को जामनगर के शाही परिवार ने उपहार में दी थी। उन्होंने इंडिया गेट पर नेशनल वॉर मेमोरियल में सेरेमोनियल बुक पर हस्ताक्षर किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत , चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मनोज मुकुंद नरवाने और चीफ ऑफ नेवी स्टाफ एममिरल करमबीर सिंह भी मौजूद रहे।

कोरोना वैक्सीन की विकास की प्रक्रिया को दिखाया गया

आत्मनिर्भर भारत अभियान थीम के साथ जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी झांकी में विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से कोरोना वैक्सीन की विकास की प्रक्रिया को दर्शाया। सशस्त्र बलों की झांकी के अलावा, 17 झांकियां विभिन्न राज्यों ने प्रस्तुत की। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों / विभागों की नौ झांकियां और अर्धसैनिक बलों और रक्षा मंत्रालय की छह झांकियों ने लोगों का मन मोहा।

पंजाब की झांकी में 9 वें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर की महिमा को दर्शाई गई। झांकी की थीम 'श्री गुरु तेग बहादुर की 400 वीं जयंती' थी।

राजपथ पर उत्तराखंड की झांकी में केदारनाथ मंदिर व राज्य पशु-कस्तूरी मृग की झलक देखने का मिली।

राजपथ पर पहली बार दिखी लद्दाख की झांकी, 'भविष्य का विजन' रहा थीम

गणतंत्र दिवस परेड में सांस्कृतिक झांकियों के प्रदर्शन में लद्दाख सबसे आगे रहा। यह इस केंद्र शासित प्रदेश की पहली झांकी है। इसमें लद्दाख की संस्कृति और सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाया गया। झांकी की थीम-भविष्य का विजन है।

अयोध्या- उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की थीम पर बनाई गई उत्तर प्रदेश की झांकी में राम मंदिर की झलक दिखाई दी। इसमें अयोध्या का दिपोत्सव भी दिखाया गया।

राजपथ पर गुजरात राज्य की झांकी में मोढेरा के सूर्य मंदिर को दर्शाया गया।

राजपथ पर मार्च करता केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल बैंड का दस्ता। इंस्पेक्टर शमशेर लाल बैंड का नेतृत्व किया।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर मार्चिंग दस्ता गढ़वाल राइफल्स का नेतृत्व 17 वीं बटालियन के कैप्टन राजपूत सौरभ सिंह ने किया।

राजपथ पर दिखी वायुसेना की झांकी। इस झांकी की थीम भारतीय वायुसेना शान से आकाश को छूते हुए है।

राजपथ पर डिप्टी कमांडेंट घनश्याम सिंह की कमान में सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता।

राजपथ पर वायुसेना बैंड का दस्ता। वारंट ऑफिसर अशोक कुमार बैंड दस्ते का नेतृत्व किया।

राजपथ पर नौसेना की झांकी। इस झांकी की थीम-स्वर्णिम विजय वर्ष था। इसमें 1971 में नौसेना के कराची बंदरगाह पर हमले को दर्शाया गया ।

गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर मार्च करता नौसेना के ब्रास बैंड का दस्ता।

गणतंत्र दिवस के मौके पर परमवीर चक्र विजेता और अशोक चक्र विजेता राजपथ पर परेड किया।

बाद में चिनूक, अपाचे, मिग, ग्लोबमास्टर, राफेल जैसे मारक और घातक विमानों ने अपने परफॉर्मेंस लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राफेल विमान के फ्लाईपास्ट से परेड का समापन

राफेल विमान के फ्लाईपास्ट से परेड का समापन हुआ। इसने आसमान में 900 किमी/घंटा की रफ्तार से वर्टिकल चर्ली का फर्मेशन किया। इसे शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह ने उड़ाया। उनके साथ 17 स्कवाड्रन के कामंडिंग ऑफिसर स्कवाड्रन लीडर किसलयकांत मौजूद रहे। इससे पहल राफेल ने एकलव्य फॉर्मेशन की अगुवाई की। राफेल के साथ दो जगुआर, दो मिग-29 लड़ाकू विमान हैं। इस फॉर्मेशन का नेतृत्व 17 स्क्वाड्रन के कैप्टन रोहित कटारिया ने की। विमानों ने 780 किमी/ प्रति घंटा की रफ्तार से 300 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरी।

टीम स्टेट टुडे

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