chandrapratapsingh

Dec 28, 20222 min

यूपी में अब अप्रैल या मई में हो सकते हैं निकाय चुनाव, OBC आरक्षण में लगेगा समय

लखनऊ, 28 दिसंबर 2022 : नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद प्रदेश सरकार ने जिस तरह से ओबीसी आरक्षण को लेकर अपना पक्ष साफ किया उससे तय है कि अब चुनाव अप्रैल या मई से पहले नहीं में हो पाएंगे। निकाय चुनाव कम से कम तीन महीने के लिए टल जाएंगे।

आयोग की देखरेख में होगी ओबीसी आरक्षण देने की प्रक्रिया

ओबीसी आरक्षण के लिए सरकार आयोग गठित करेगी। आयोग की देखरेख में ओबीसी आरक्षण देने की प्रक्रिया तय की जाएगी। इसमें समय लगना तय है। हाईकोर्ट के निर्णय व सरकार के ताजा रुख के बाद निकाय चुनाव समय पर होना अब मुश्किल है।

मौजूदा नगरीय निकायों के बोर्डों का कार्यकाल 12 दिसंबर से लेकर जनवरी अंत तक समाप्त हो रहा है।
राज्य निर्वाचन आयोग को भी चुनाव कराने के लिए डेढ़ माह यानी 45 दिनों की जरूरत होती है, किंतु विशेष परिस्थितियों में आयोग ने 35-36 दिनों में चुनाव करा लेता है। वर्ष 2017 में भी आयोग ने 27 अक्टूबर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर तीन चरणों में मतदान 22, 26 व 29 नवंबर को कराए थे। मतों की गिनती एक दिसंबर को हुई थी। यानी वर्ष 2017 में भी आयोग ने केवल 36 दिनों में चुनाव संपन्न कराया था।

हाईकोर्ट में जाकर फंस गया न‍िकाय चुनाव का मामला

इस बार निकाय चुनाव में विभागीय स्तर पर विलंब हुआ। नगर विकास विभाग ने वार्डों का आरक्षण दिसंबर में जारी किया। पांच दिसंबर को मेयर और अध्यक्ष की सीटों का प्रस्तावित आरक्षण जारी किया गया। इस पर सात दिनों में आपत्तियां मांगी गई थीं। नगर विकास विभाग यह मान कर चल रहा था कि 14 या 15 दिसंबर तक वह अंतिम आरक्षण जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कार्यक्रम सौंप देगा। इस बीच मामला हाईकोर्ट में जाकर फंस गया।

ट्रिपल टेस्ट फार्मूला अपनाए बगैर ओबीसी आरक्षण देने को गलत

हाईकोर्ट ने मंगलवार को ट्रिपल टेस्ट फार्मूला अपनाए बगैर ओबीसी आरक्षण देने को गलत मानते हुए ओबीसी सीटों को सामान्य घोषित करते हुए 31 जनवरी तक चुनाव कराने के लिए कहा है। बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने पर भाजपा को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग गठित करेगी। चूंकि 10 से 12 फरवरी के बीच ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट है और इसी महीने से यूपी बोर्ड के साथ ही विभिन्न बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि निकाय चुनाव अप्रैल या मई में होंगे।

अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई

निकाय चुनाव में ओबीसी सीटों के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला अपनाने का फैसला दिया था। इसमें साफ कर दिया गया था कि आयोग का गठन करते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए वार्डों और सीटों को आरक्षित किया जाएगा। इसके बाद भी नगर विकास विभाग ने इसकी अनदेखी की। पिछड़ों की गिनती के लिए सिर्फ नए निकायों में रैपिड सर्वे कराया गया, पुरानों को छोड़ दिया गया। इस कारण बड़ी संख्या में आरक्षण को लेकर आपत्तियां आईं। हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं लग गईं। सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद उच्च स्तर पर नाराजगी जताई गई है। जल्द ही जिम्मेदारी तय की जाएगी कि कैसे इतनी बड़ी गलती हुई। इसी आधार पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

    10
    0