chandrapratapsingh

Sep 28, 20222 min

भक्तों के लिए खुशखबरी, सामने आई निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर की फोटो

अयोध्या, 28 सितंबर 2022 : रामजन्मभूमिस्थल पर गगनचुंबीभव्य राम मंदिरआकार लेने लगाहै। गर्भगृह का 45 प्रतिशत कार्य पूरा होगया है। नित्यप्रति चल रहेनिर्माण से मंदिरकी भव्यता लोगोंको आकर्षित भीकरने लगी है।दिसंबर 2023 तक रामललाका भव्य दिव्यगर्भगृह बनकर तैयारहो जाएगा। साथही मंदिर काप्रथम तल भीपूरा हो जाएगा।इसी के बादशुभ मुहूर्त परश्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्टरामलला काे उनकेनए मंदिर केगर्भगृह में प्रतिष्ठितकरने का आयोजनकरेगा। फिर भक्तनए गर्भगृह मेंरामलला का दर्शनपूजन कर सकेंगे।श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्टके महासचिव चंपतरायने बुधवार कोमंदिर निर्माण केकई आकर्षक चित्रजारी किए हैं।

नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम फैसला आयातो करोड़ों रामभक्तोंमें मंदिर निर्माणकी साध पूरीहोने की उत्कंठाभी जग गई।पांच अगस्त 2020 कोप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेकोरोना महामारी के बीचपूरे कोविड प्रोटोकालके साथ अयोध्याआकर मंदिर केगर्भगृह स्थल परपूजा अर्चना करराम मंदिर कीआधार शिला रखी।लार्सन एंड टुब्रोको मंदिर औरपरकोटा (प्राचीर) के निर्माणका ठेका दियागया। टाटा कंसल्टेंटइंजीनियर्स सलाहकार के रूपमें नियुक्त हुआ।कालजयी मंदिर निर्माण कीनींव तैयार करनेके लिए विभिन्नआइआइटी के विज्ञानियोंने मिलकर मंदिरनींव की डिजाइनतैयार की। नवंबर-2020 में एक विशेषज्ञसमिति नींव डिजाइनके लिए गठितहुई।

नेशनल जियो रिसर्चइंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद कीरिपोर्ट पर निर्धारितमंदिर स्थल वआसपास लगभग छहएकड़ भूमि सेलगभग 1.85 लाख घनमीटरमलबा और पुरानीढीली मिट्टी कोहटाया गया। इसकाम में करीबतीन माह कासमय लगा। गर्भगृहमें 14 मीटर वउसके चारों ओर 12 मीटर की गहराईतक मलबा वबालू हटाई गई।इसके बाद तैयारगड़डे को विशेषइंजीनियरिंग मिश्रण से भरागया। गर्भगृह में 56 परत और शेषक्षेत्र में 48 लेयर मेंइसकी फिलिंग हुई।यह कार्य अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक हुआ, जिसमें छह माहका समय लगा।

अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के मध्य भूमिगतसतह की ऊपरीसतह पर राफ्टढलाई हुई। इनदो प्रक्रिया केपूरा होने केबाद संयुक्त रूपसे मंदिर केसुपर स्ट्रक्चर कीनींव तैयार होसकी। जनवरी 2022 कोराफ्ट ढलाई पूरीहुई। प्लिंथ निर्माणकार्य 24 जनवरी 2022 को शुरूहुआ, जो सितंबरमें समाप्त हुआ।प्लिंथ को राफ्टके ऊपर 6.5 मीटरकी ऊंचाई तकउठाया गया।

इसमें कर्नाटक औरतेलंगाना के ग्रेनाइटपत्थर के17 हजारब्लाक लगे। इसबीच प्लिंथ केसाथ गर्भगृह निर्माणशुरू हो गयाथा, जो अबधीरे धीरे गगनचुंबीआकार ले रहाहै। इसमें राजस्थानकी गुलाबी रंगकी गढ़ी शिलाओंका प्रयोग कियाजा रहा है।एक शिला दूसरेसे तांबे केतार से जोड़करनिर्धारित आकार प्रदानकिया जा रहाहै। गर्भगृह कीदीवारें तैयार की जारही हैं।

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