chandrapratapsingh

Feb 23, 20222 min

कैसे होती है वोटों की गिनती? आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रकिया

उत्तरकाशी, 23 फरवरी 2022: लोकतंत्रिक चुनाव प्रक्रिया में मतदान के बाद मतगणना सबसे महत्वपूर्ण और निर्वाचन की अंतिम चरण की प्रक्रिया है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी लंबी जद्दोजहद होती है। मतगणना करने वाले कर्मचारियों का रेंडामाईजेशन से लेकर पारदर्शी तरीके से सुरक्षा घेरे में चक्रवार मतगणना करना इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। जिसमें रिर्टनिंग अधिकारी, मतगणना कर्मी, मतगणना अभिकर्ता और ईवीएम की सुरक्षा करने वाले कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आइए जानते हैं मतगणना की प्रक्रिया को कैसे और कहां से शुरू होती हैं और कैसे समाप्त होती है। इसी दौरान किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

स्ट्रांग रूम, सुरक्षा और मतगणना स्थल

उत्तराखंड राज्य में मतदान की प्रक्रिया 14 फरवरी को हो चुकी है। मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीपीपैट) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक-चौबंद होती है। उत्तराखंड में स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के पास है। स्ट्रांग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे। यह सुरक्षा मतगणना तक जारी रहती है। स्‍ट्रांग रूम के पास ही मतगणना स्थल बनाया जाता है। यह स्थल राज्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जिला मुख्यालय में निर्धारित किसी नियत जगह पर बनाया जाता है। जहां उस जिले से जुड़े सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतों की गिनती होती है।

सुबह पांच बजे होगा रेंडामाईजेशन

उत्तराखंड सहित देश के पांच राज्यों में 10 मार्च को मतगणना होनी है। मतगणना में तैनात होने वाले कर्मचारियों को मतगणना से संबंधित प्रशिक्षण पूर्व में दिया जाता है। इन कर्मचारियों की तैनाती किसी विधानसभा और किसी टेबल पर होनी है। यह मतगणना दिवस के दिन ही पता चलता है। जिला निर्वाचन अधिकारी मतगणना दिवस के दिन सुबह पांच बजे मतगणना कर्मियों की तैनाती के लिए रेंडामाईजेशन कंप्यूटर के जरिये करते हैं। जिसके बाद सुबह छह बजे मतगणना कर्मी मतगणना स्थल पर पहुंच जाते हैं। जिसके बाद उन्हें अपनी टेबल की जानकारी मिलती है।

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