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Jun 11, 20213 min

गरीबों का अनाज बन रहा है सियासत की खुराक – केंद्र की केजरीवाल सरकार को खरी खरी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच इस बार सियासी खुराक की वजह बना है गरीबों का निवाला। केजरीवाल सरकार चाहती है गरीबों को मिलने वाले राशन की होम डिलवरी करना लेकिन केंद्र इसकी इजाजत देने को तैयार नहीं।

दोनों के अपने तर्क है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि

दिल्ली सरकार होम डिलीवरी में गेहूं की जगह आटा देगी। दिल्ली सरकार द्वारा एफसीआई के गोदाम से गेहूं उठाया जाएगा और उसका आटा पिसवाया जाएगा और साथ ही चावल और चीनी आदि की भी पैकिंग की जाएगी उसके बाद दिल्ली वासियों के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा।

दूसरी तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली सरकार राशन माफियाओं के कंट्रोल में है। देश के 34 राज्यों और केंद्र ​शासित प्रदेशों ने वन नेशन वन राशन कार्ड लागू किया। सिर्फ तीन प्रदेशों असम, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने इसे लागू नहीं किया। अरविंद केजरीवाल आपने दिल्ली में वन नेशन वन राशन कार्ड लागू क्यों नहीं किया, आपको क्या परेशानी है?

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल हर घर अन्न की बात कर रहे हैं। वह ऑक्सीजन पहुंचा नहीं सके, मोहल्ला क्लीनिक से दवा तो पहुंचा नहीं सके। हर घर अन्न भी एक जुमला है। दिल्ली की राशन की दुकानों में अप्रैल 2018 से अब तक पीओएस मशीन का प्रमाणीकरण शुरु क्यों नहीं हुआ? अरविंद केजरीवाल जी एससी-एसटी वर्ग की चिंता नहीं करते हैं, प्रवासी मजदूरों की चिंता भी नहीं करते हैं, गरीबों की पात्रता की भी चिंता नहीं करते हैं।

रविशंकर प्रसाद का कहना है कि होम डिलीवरी स्कीम देखने में बहुत अच्छी लगती है, लेकिन इसके थोड़ा अंदर जाओ तो इसमें स्कैम के कितने गोते लगेंगे ये समझ में आ जाएगा। आप (अरविंद केजरीवाल) अपना प्रस्ताव भेजें या भारत सरकार से जो अनाज जाता है उसी पर खेल खेलेंगे।

कैसे देती है केंद्र सरकार गरीबों को राशन

रविशंकर प्रसाद ने बताया कि भारत सरकार देश भर में 2 रुपये प्रति किलो गेहूं, 3 रुपये प्रति किलो चावल देती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। चावल का खर्चा 37 रुपये प्रति किलो होता है और गेहूं का 27 रुपये प्रति किलो होता है। भारत सरकार सब्सिडी देकर प्रदेशों को राशन की दुकानों के माध्यम से बांटने के लिए अनाज देती है। भारत सरकार सालाना करीब 2 लाख करोड़ रुपये इसमें खर्च करती है। वन नेशन, वन राशन कार्ड भारत सरकार द्वारा बहुत महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई है। देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना चल रही है। अभी तक इस पर 28 करोड़ पोर्टेबल ट्रांजेक्शन हुए हैं।

क्या है दिल्ली का असल पेंच

केजरीवाल और दिल्ली सरकार के बीच तनाव की मुख्य वजह है दिल्ली में राशन लाभार्थियों का डिजिटल रिकार्ड ना होना। ऐसे में केंद्र की तरफ से दिया जाने वाले राशन का क्या होगा कैसे होगा इसकी ट्रैकिंग नहीं हो सकती।

इसके अलावा दिल्ली में दस लाख के करीब रोहिंग्या केजरीवाल सरकार ने अलग अलग ठिकानों पर बसाए हैं। जिन्हें मुफ्त बिजली पानी दिया जा रहा है। ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि केजरीवाल सरकार इन्हीं रोहिंग्याओं तक अनाज पहुंचाने के लिए घर घर राशन स्कीम लांच करना चाहती है। जिसके बाद असल उपभोक्ताओं के साथ हीलाहवाली भी होने की संभावना है।

टीम स्टेट टुडे

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