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Jan 285 min

NITISH KUMAR के साथ शपथ लेने वालों में छिपा है “बिहार का तिलिस्म”...लालू ने तैयार किया प्लान “बदला”

बिहार में बड़े सियासी घटनाक्रम में नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही महागठबंधन सरकार का अंत हो गया और नीतीश कुमार ने 9वीं बार CM पद की शपथ ली है. नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने भी शपथ ग्रहण किया है. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्‍यमंत्री बनाया गया है. वहीं, डॉ. प्रेम कुमार (बीजेपी), विजय कुमार चौधरी (जेडीयू), बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू), श्रवण कुमार (जेडीयू) संतोष कुमार सुमन (हम), सुमित कुमार सिंह (निर्दलीय) मंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण किया

 

"जहां थे फिर वहीं आ गए हैं, अब इधर-उधर जाने का सवाल नहीं...": BJP के साथ सरकार बनाने पर नीतीश

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.

  • सम्राट चौधरी ने बिहार के उप मुख्यमंत्री की शपथ ली.

  • विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

  • जदयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली

  • जदयू के विजय कुमार चौधरी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

  • जदयू के श्रवण कुमार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

  • हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

  • निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

सम्राट चौधरी को पिछले साल ही बीजेपी ने बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. सम्राट चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं. उनका जन्म 16 नवंबर 1968 को मुंगेर के लखनपुर गांव में हुआ था. सम्राट चौधरी शकुनी चौधरी के पुत्र हैं. शकुनी चौधरी समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले सम्राट चौधरी बिहार विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष थे.

 

 कौन हैं विजय सिन्हा?

भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा बीजेपी के जाने माने नेता हैं. महागठबंधन से पहले बिहार में जब NDA की सरकार थी तो उस दौरान  विजय सिन्हा को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था. नीतीश कुमार के NDA से गठबंधन तोड़ने के बाद विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था.

आठवीं बार मुख्यमंत्री पद छोड़ा, नौवीं बार दोबारा ली शपथ

नीतीश ने किस तरह आठवीं बार सीएम पद छोड़ा है, यह आपको बताते हैं...

- नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 को सीएम बने थे। हालांकि, बहुमत न जुटा पाने की वजह से उन्हें 10 मार्च 2000 को पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

- बिहार में 2005 में हुए चुनाव में नीतीश भाजपा के समर्थन से दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए।

- 2010 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर नीतीश सीएम बने।

- लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा। हालांकि, 2015 में जब पार्टी में अंदरुनी कलह शुरू हुई तो नीतीश ने मांझी को हटाकर एक बार फिर खुद सीएम पद ग्रहण किया।

- 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (जदयू, राजद, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन) की एनडीए के खिलाफ जीत के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने। यह कुल पांचवीं बार रहा, जब नीतीश ने सीएम पद की शपथ ली।

- डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया। उन्होंने जुलाई 2017 में ही पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर एनडीए का दामन थाम कर सीएम पद संभाला।

- 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की। हालांकि, जदयू की सीटें भाजपा के मुकाबले काफी घट गईं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली।

- 2022 में एनडीए से अलग होने के एलान के ठीक बाद नीतीश कुमार ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से जुड़ने का एलान कर दिया। इसी के साथ नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 28 जनवरी 2024 को उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया।

तीसरी बार भाजपा के साथ

- 1996 में नीतीश ने भाजपा से पहली बार गठबंधन किया था। 3 मार्च 2000 को सीएम बने, लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने की वजह से पद छोड़ा और अटलजी की सरकार में केंद्र में रेल मंत्री बने।

- 1996 से 2013 तक नीतीश भाजपा के साथ रहे। जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो वे एनडीए से अलग हो गए। 2015 में महागठबंधन की सरकार में सीएम रहे।

- दूसरी बार वे 2017 में एनडीए में लौटे और भाजपा की मदद से सरकार बनाई।

- 2024 में अब वे तीसरी बार भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनेंगे। 28 साल में तीसरी बार वे भाजपा के साथ हैं।

 

लालू का नया मास्टर प्लान - "बदला"

243 सदस्यीय सदन में आरजेडी के 79 विधायक हैं। तेजस्वी ने अपनी पार्टी के विधायकों की बात नहीं मानी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोगों के पास जाएगी। ये बताएगी कि उन्होंने महागठबंधन सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में क्या-क्या किया है। तेजस्वी यादव ने अपनी छवि कुछ अलग बनाई है। उन्होंने खुद को विकास पुरुष की श्रेणी में रखा है। पिता के शासन और खुद के शासन के बीच एक लकीर खींच दी है। जिसे सब लोग स्वीकार करते हैं। रविवार को राजद की ओर से अखबार में एक पूरे पेज का विज्ञापन चलाया गया। जिसमें ये लिखा गया था कि धन्यवाद तेजस्वी। आपने कहा, आपने किया और आप ही करेंगे। उसके आगे लिखा गया था कि 4 लाख से अधिक सरकारी नौकरी देने के लिए। लाखों बहाली और नौकरी को प्रक्रियाधीन करने के लिए। देश में पहली बार जातिगत सर्वे कराने के लिए। 75 फीसदी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए। नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव रखने के लिए। स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए। आपको धन्यवाद।

विज्ञापन में आगे कहा गया कि शहरों में वाटर ड्रेनेज व्यवस्था कराने के लिए। सड़कों पुलों और बाईपास का निर्माण के लिए। खेलों में मेडल लाओ और नौकरी पाओ योजना लागू करने के लिए। बिहार में पहली बार टूरिज्म पॉलिसी और स्पोर्ट्स पॉलिसी और आईटी पॉलिसी लाने के लिए। विकास मित्र, टोला सेवक, शिक्षा मंत्री और तालिमी मरकज का मानदेय बढ़ाने के लिए। विकास और निवेश के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के लिए। पर्यटन बढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद। ये विज्ञापन श्रेय लेने के बारे में है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि नीतीश को राज्य में 10 लाख नौकरियां प्रदान करने के हमारे 2020 के नारे को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने विधानसभा चुनावों के दौरान इसकी आलोचना की थी कि पैसा कहां से आएगा। विज्ञापन में कई बातें ऐसी थीं, जिसका श्रेय सिर्फ राजद को नहीं जाता है। महागठबंधन की सरकार में जातिगत सर्वे हुआ। राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने वाली बात नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही हुई। हालांकि इन सभी बातों के लिए आरजेडी की ओर से तेजस्वी यादव को धन्यवाद दिया गया है।

लालू यादव के परिवार की ओर से सियासी प्लानिंग फिक्स कर दी गई है। आरजेडी के सरकार से बाहर होते ही एक विशेष निर्देश लालू की ओर से जारी किया गया है। जिसमें तेजस्वी यादव को अब घर बैठना नहीं है। तेजस्वी यादव सहित राजद के बाकी नेता अब पूरे बिहार का दौरा करेंगे। इस दौरे में वे लोगों को नीतीश कुमार के बारे में बताएंगे। इसके अलावा सरकारी की उपलब्धि को लोगों के सामने रखेंगे। तेजस्वी यादव ने कहा है कि लोगों को 17 साल बनाम 17 महीने की सरकार के काम का असर दिखेगा। जनता हमारे साथ होगी।

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