statetodaytv

Nov 29, 20212 min

नहीं रहा नया कृषि कानून फिर भी आंदोलनजीवी मरने मारने पर उतारु

किसानों से किए गए वादे के मुताबिक संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सरकार ने कृषि सुधार के तीनों कानूनों को रद करने का 'कृषि कानूनों का निरस्तीकरण विधेयक, 2021' पारित कर दिया। इसके बावजूद न तो किसानों का आंदोलन रुका और न ही राजनीति थमी। दोनों सदनों में विपक्ष कानून रद करने से पहले चर्चा चाहता था। आखिरकार शोर-शराबे के बीच ही विधेयक पारित कर कानून रद कर दिए गए। वैसे कांग्रेस ने यह जरूर स्पष्ट किया कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन से इस सदन के सभी सदस्य प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं और सभी ने मदद की है। जाहिर तौर पर यह बयान किसानों की सहानुभूति जीतने के लिए था, लेकिन परोक्ष रूप से इसका संदेश यह भी जाता है कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन की पृष्ठभूमि में कुछ राजनीतिक दल थे।

पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहते हुए तीनों कृषि कानूनों की वापसी का एलान किया था कि इन्हें छोटे किसानों की भलाई के लिए लाया गया था, लेकिन अफसोस है कि किसानों के एक छोटे वर्ग को सरकार इनके लाभ नहीं समझा सकी। सोमवार को जब कानून रद करने के लिए विधेयक आया तो विपक्ष इसे सरकार की असफलता के साथ-साथ यह बताना चाहता था कि अब सरकार भी मान रही है कि गलत कानून पारित कराए गए थे। इसी उद्देश्य से विधेयक के पहले चर्चा कराने की मांग की गई थी। शोर शराबे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह ही एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। जबकि विधेयक पेश करने से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि जब सरकार के साथ विपक्ष भी कानूनों की वापसी के लिए तैयार है तो फिर इस पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं बनता। ध्वनिमत से लोकसभा में विधेयक मिनटों में पारित हो गया और कानून रद। वैसे संकेत हैं कि सदन अभी भी शांत नहीं होगा। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष सवाल खड़े करता रहेगा।

कृषि कानूनों की वापसी के मुद्दे को उच्च प्राथमिकता के आधार पर लोकसभा में पारित कराने के साथ सरकार ने विधेयक को दोपहर के भोजनावकाश के तत्काल बाद राज्यसभा में भी पेश कर दिया। विपक्षी दलों की ओर से विधेयक पर चर्चा की मांग उठाई गई, लेकिन उपसभापति हरिवंश नारायण ने उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया। हालांकि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आग्रह को देखते हुए उन्हें बोलने के लिए दो मिनट का मौका दिया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह कृषि कानून विरोधियों के साथ आंदोलन में खड़े थे। कानून वापसी के मुद्दे का कांग्रेस विरोध नहीं करती।

विपक्षी दल के सदस्य सदन से बाहर आकर सरकार की आलोचना करते दिखे। उनका आरोप था कि पहले भी कई विधेयक वापस हुए हैं, जिन पर सदन में बहस कराई गई थी। कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार ने उपचुनाव के नतीजे देखने के बाद कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि आगे पांच राज्यों में चुनाव हैं, इसलिए सरकार को लगा कि अड़े रहे तो बड़ा नुकसान हो सकता है। कृषि मंत्री तोमर ने इसके जवाब में कहा, 'हम किसानों को समझाने में सफल नहीं हुए इसलिए प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक बड़प्पन का परिचय दिया।

टीम स्टेट टुडे

    390
    0