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Jun 17, 20233 min

स्व का सत्य निसंकोच भाव से बताना होगा : सुनील आम्बेकर

लखनऊ, 17 जून 2023 : लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास द्वारा 'जाणता राजा' छत्रपति शिवाजी महाराज के 350वें राज्याभिषेक उत्सव वर्ष में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्तमान परिस्थिति में युवाओं पर क्या प्रभाव है के संदर्भ में संगोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर जी रहे। सुनील आम्बेकर जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व जीवन का उद्धरण करते हुए हिंदवी स्वराज के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उस समय छत्रपति शिवजी महाराज न होते तो क्या होता इसकी कल्पना करनी चाहिए।

छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 1674 में हुआ, 2 जून को हिंदू साम्राज्य उत्सव की 350वीं वर्षगांठ मनाई गयी। आम्बेकर जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज अगर उस समय नहीं होते तो क्या होता? और वह हिंदवी स्वराज की स्थापना का संकल्प न लेते तो क्या होता? इसकी कल्पना करनी चाहिए उन्होंने कई वर्षों तक भारत को विदेशी आक्रांताओं से सुरक्षित रखा। देश के प्रत्येक कोने-कोने में मुग़ल सत्ता स्थापित हो गयी। मुग़ल बहुत ही क्रूर आक्रांता थे। महिलाओं का बाजार लगाने लगे, धर्म परिवर्तन न करने वाले का क़त्ल करने लगे। उन्होंने कहा की व्यक्ति की परवरिश का आजीवन प्रभाव रहता है, शिवजी अपनी माता जीजाबाई से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपनी माँ की प्रेरणा से राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया और देश का भविष्य बनाना अपना भविष्य बनाने से कहीं ज्यादा अच्छा माना।

चतुर्दिक अंधकार व्याप्त के समय में शिवाजी अपने बाल जीवन में ऐसे खेल खेलते थे जिससे देश में धर्म की स्थापना होती थी । वह शिवजी को साक्षी मानकर अपने रक्त से हिंदू स्वराज की स्थापना का संकल्प लिए थे। शिवाजी का युद्ध कौशल बहुत अच्छा था और वह अपनी छोटी सेना से बड़ी-बड़ी सेनाओं को डराते थे लोगों की सलाह से शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया ताकि उन्हें एक राजा के रूप में माना जाए । शिवाजी के राज्याभिषेक के साथ ही देश में अपना ‘स्व’ स्थापित होना शुरू हुआ। आज उसी ‘स्व’ की बात स्वाधीनता के 75 वर्ष में भी बताया जा रहा है। स्वाधीनता ‘स्व’ की स्थापना के लिए जरूरी है ।

शिवाजी के राज्याभिषेक से पहले की कानूनी सरकारी भाषा 1668 में 208 पर्सियन शब्द तथा मराठी शब्द मात्र 48% थे किंतु राज्य स्थापना के बाद पर्सियन के मात्र 51 शब्द रह गए। ‘स्व’ का अर्थ की अपनी भाषाओं में अपना राज्य चलाना होगा। मुगलों को लगान पैसे से ही देना होता था किंतु शिवाजी ने अनाज से भी कर लेना शुरू किया ।

उन्होंने हिन्दवी स्वाराज की स्थापना के बाद अपनी सेना के पद तथा नाम बदले और अपना संगठन बनाया। भारत के स्वाधीनता के 75 वें वर्ष में नौसेना के प्रतीक चिन्ह के रूप में शिवाजी का प्रतीक चिन्ह स्थापित किया गया। शिवाजी के राज्य उद्देश्य क्या थे इनको समझना बहुत जरूरी है? उन्होंने मंदिर, खेती, न्याय का तंत्र खड़ा किया। प्रशासन को भारतीय शैली में स्थापित करने में कोई संकोच नहीं किया। देश के लुटेरे औरंगजेब आर बाबर को लुटेरा लिखा जाएगा तथा देश को सवारने वाले महापुरुषों का गौरवगान किया जाएगा ।

उन्होंने कहा की सभी का तुलनात्मक अध्ययन समान करना होगा। हमारा इतिहास 5000 साल पुराना है । लेकिन हमें पढ़ाया जाता है 400 साल पुराना मुगलों का इतिहास तो हमें समझना होगा कि हमारा 5000 साल का इतिहास समृद्ध है या आक्रान्ताओं का 400 वर्षों का इतिहास । उन्होंने कहा कि हमें स्व का सत्य निसंकोच भाव से बताना होगा नई शिक्षा नीति में भारतीय मानकों को पुनर्स्थापित किया जाएगा । शिक्षा में स्व का आग्रह होना चाहिए । हमे सोचना होगा की हमें कैसा भारत बनाना है हमें विदेशियों जैसे होंना है या अपनी मूल संस्कृति को पुनर्स्थापित करना है । जब हम अपने स्व को जानेंगे कि हमारा स्व क्या है तभी हम कुछ बदल सकते हैं । स्व स्थापित होना चाहिए युवा पीढ़ी के लिए जरूरी है कि वह अपने स्व को पहचाने ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर जी ने कहा कि अंतर्मन की प्रेरणा से जो कार्य आरम्भ करते हैं वह आभाव में भी पूर्ण हो जाता है जिसका उदाहरण हमारे सामने दिव्य सेवा प्रेम मिशन के संस्थापक आशीष भैया है जिन्होंने समाज के सबसे कठिन कार्य को चुनकर समाज को एक नयी रह दिखाई है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह व मुख्य अतिथि दयाशंकर सिंह परिवहन मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार स्वतंत्र प्रभार ने की। विशिष्ट अतिथि अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति संजय सिंह रहे, कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शरण शाही, राष्ट्र धर्म के निदेशक एवं क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकान्त, राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के सम्पर्क प्रमुख गंगा सिंह, अवध प्रान्त के प्रचार प्रमुख डॉ अशोक दुबे, विश्व संवाद केन्द्र प्रमुख डॉ उमेश सहित गणमान्य उपस्थित रहे।

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