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Feb 15, 20212 min
Updated: Feb 16, 2021
वसंत पंचमी के दिन जहां देश के प्रधानमन्त्री वर्चुवल तरीके से हिन्दू राष्ट्र रक्षक महाराजा सुहेलदेव के जन्म दिवस के दिन उनकी वीरता और शौर्य का का सम्मान करेंगे, वहीं महाराजा सुहेलदेव की कर्म स्थली चित्तौरा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर कार्यक्रम स्थल से लेकर आस पास कई किलोमीटर तक सुरक्षा का कड़ा बन्दोबस्त पुलिस प्रसासन द्वारा किया गया है।
एसपी बहराइच विपिन मिश्रा ने बताया कि मौके की सम्वेदन शीलता को भांपते हुए कार्यक्रम स्थल पर अभेद सुरक्षा के प्रबंध किये गए हैं।
कार्यक्रम स्थल,हेलीपैड,मन्दिर परिसर,पूजा स्थल समेत चप्पे चप्पे पर वर्दी और सादे कपड़ों में भी पुलिस कर्मियों का भारी सुरक्षा कवच तैनात किया गया है। साथ ही चित्तौरा झील में भी जहां फ्लड कंपनी को तैनात कर कड़ी निगरानी करायी जा रही है, वहीं कुछ इलाक़ों में स्नाइपर से भी नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही साथ आस पास के गांव के लोगों की भी कड़ी जांच पड़ताल की जा रही है।
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने राजा सुहेलदेव राजभर के सम्मान में स्मारक बनाने का फ़ैसला किया है। इससे जुड़े कार्यक्रम का शिलान्यास पीएम नरेन्द्र मोदी करेंगे। राजा सुहेलदेव को राजभर बिरादरी के मान- सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
16 फरवरी (बसंत पंचमी) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुहेलदेव की याद में होने वाले कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ेंगे। योगी आदित्यनाथ उस दिन खुद बहराइच में रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान बहराइच और श्रावस्ती के लिए कुछ बड़ी सौगातों की भी घोषणा हो सकती है। इससे चित्तौरा झील पर स्थित महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली को अब एक अलग पहचान मिलेगी।
इसके पहले भी महाराज सुहेलदेव के सम्मान में भाजपा में डाक टिकट जारी हुआ था। ट्रेन चलाई गई थी।
उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल में करीब 40 ऐसी सीटें हैं जहां राजभरों का दबदबा है। सुहेलदेव के नाम पर यूपी में एक क्षेत्रीय पार्टी भी है। करीब दो साल पहले तक ये पार्टी एनडीए में शामिल थी। सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। 2017 के चुनाव में पार्टी के चार विधायक चुने गए थे। तब चुनाव में राजभर और मोदी ने संग प्रचार किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजभर ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया और लगातार बीजेपी और राज्य सरकार पर तीखे हमले किए। ओमप्रकाश ने इसके बाद एनडीए से नाता तोड़ लिया।
टीम स्टेट टुडे