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सावन के महीने में मानव जीवन के लिए स्वयं प्रकृति देती है सबसे बड़ा संदेश: Devendra Mohan Bhaiyaji



आध्यात्मिक गुरु देवेंद्र मोहन भैयाजी ने संगत को दिया सावन और शिवमहिमा का संदेश

 


19 जुलाई , भोजीपुरा बरेली। सावन का महीना प्रकृति के श्रंगार का समय है। ये समय देवादिदेव शिव को बहुत प्रिय है। शिव सृजन भी हैं और प्रलय भी। इस समय प्रकृति हमें सिखा रही है कि नवसृजन किस प्रकार होता है। प्रचंड गर्मी के बाद बादलों से बरस रहा पानी नया जीवन उत्पन्न कर रहा है। सही अर्थों में यह वो समय है जब प्रकृति स्वयं गुरु की भूमिका में हैं। मानव जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन को स्थापित कर यह संदेश आध्यात्मिक गुरु देवेंद्र मोहन भैयाजी ने भोजीपुरा में आयोजित संत्सग में दिया।



भैयाजी ने कहा धरती पर जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती। धरती के तीन चौथाई हिस्से में जल है। विशाल महासागरों से प्रचंड गर्मी से जो पानी भाप बनकर बादल बना वही फिर से जल के रुप में वापस धरती पर आ रहा है। यही जीवन है। मनुष्य जीवन में हमें ईश्वर ने जिस उद्देश्य के साथ धरती पर भेजा है उस कर्म को करते हुए हम आसमान के शिखर पर पहुंचते हैं और फिर हमारे कर्मों के परिणाम हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।


गुरु का काम हमारी कर्मगति को सही दिशा देना है। जिस प्रकार कभी बादल फट जाता है तो प्रलय आ जाती है। ठीक उसी प्रकार अगर हमारी आंतरिक ऊर्जा का विस्फोट नकारात्मक कर्मों में हो जाता है तो जीवन में भी प्रलय आ जाती है। गुरु का ज्ञान हमारी आतंरिक ऊर्जा को नियंत्रित करने का मार्ग बताता है। भैयाजी ने सत्संग में पहुंची विशाल संगत से कहा कि मनुष्य जीवन की आवश्यकता सिर्फ दुनिया को कमाना नहीं अपितु उस गूढ़ रहस्य को पाना यानी उस परमात्मा के भेद को पाना है जिसके लिए हमें इस संसार में भेज गया है।

हमें जो ये जीवन मिला है वो कर्म प्रधान है, हम सिर्फ कर्म कर सकते हैं पर उसका परिणाम अपने हाथों में नहीं है। हम अपनी रोजमर्रा की चिंताओं को लेकर बेफिजूल में दौड़े चले जा रहे हैं।


भैयाजी ने कहा कि इस मौसम में खासतौर से हमें अपने आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चूंकि यह समय प्रकृति में नव उत्तपत्ति का है इसलिए बहुत सारे ऐसे जीव भी इस संसार में पनपने लगते हैं जिनका प्रभाव मनुष्य के लिए अहितकर होता है। इसलिए हमें ऐसे भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़े। इसके साथ साथ हमें हमेशा आहार को संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए।


जब हम किसी सन्त के पास जाते हैं तो वो हमें अपने जीवन व आचरण में सुधार करने का तरीका बताते हैं। वो बताते हैं कि हमें किस प्रकार उस प्रभु की याद करते हुए अपने सारे कार्यों को करना है। हम अपनी सारी चिंताओं के भार अपने सर पर लिये घूमते हैं, पर हमें अपने आप से पूछना होगा कि क्या हमें अपने गुरू पर भरोसा है जिसने हमारी हर क्षण की जिम्मेदारी ली हुई है।


इस बार भोजीपुरा में सत्संग से पहले राह से भटके कुछ लोगों ने काफी प्रयास किया कि देवेंद्र मोहन भैयाजी का सत्संग ना होने पाए, परंतु देवेंद्र मोहन भैयाजी के सत्संग में आने वाले सत्संगियों के अनुशासन और गुरु की बातों को अक्षरश पालन करने वाली संगत के प्रेम और गुरु पर अडिग विश्वास के आगे शासन-प्रशासन भी सहयोग ही करता दिखा।       


भोजीपुरा सत्संग को सफल बनाने में मोहन स्वरूप, शंकर लाल, रोशन लाल, वेद प्रकाश के साथ-साथ लंगर व्यवस्था में बहन प्रदीपा, सुमन, महेश और उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।











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