भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार और कई राज्यों में बीजेपी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ ताल ठोंकी है। देश में उत्तरप्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश की सरकारों ने कोरोना के मद्देनजर उद्योग जगत के लिए श्रम कानूनों को स्थगित करने का निर्णय हाल ही में लिया है।
महाराष्ट्र, राजस्थान, उड़ीसा और गोआ में श्रमिकों के काम के घंटे भी अब आठ से बढ़ाकर १२ कर दिए गए हैं। मजदूर संघ से जुड़े देशभर के श्रमिक नेताओं ने ऑनलाइन माध्यम से बैठक कर सरकारों के प्रस्ताव की निंदा के साथ इसके खिलाफ आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की। संघ इस बात से भी खासा आक्रोशित है की अभी तक सिर्फ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने ही मजदूर संघ के प्रतिनिधिमंडल से मिलने पर हामी भरी है।
बाकी राज्य सरकारों ने संघ के पत्रों पर कोई तवज्जो नहीं दी। हालाँकि मोदी सरकार द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए २० लाख करोड़ के दिए पैकेज की सराहना भी भारतीय मजदूर संघ ने की है।
मजदूर संघ ने आंदोलन के लिए तीन मुख्य बिंदुओं पर हामी भरी है सबसे पहले १६ मई से देश भर में इस कानून के खिलाफ लोकल ऑथोरिटीज को ज्ञापन दिया जायेगा। इसके बाद २० मई को राष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानूनों से छेड़छाड़ का तगड़ा विरोध किया जाएगा। ३० और ३१ मई को कंपनियों और उद्योग जगत से श्रमिक अपना विरोध दर्ज कराएंगे। भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने यह जानकारी दी है।
टीम स्टेट टुडे

