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कोरोना वायरस ने बदला शरीर में घुसने का रास्ता, जानिए कहां से अटैक कर रहा है डेल्टा प्लस वैरिएंट



चीन का माल दुनिया में कहीं भी टिकाऊ नहीं माना जाता।


लेकिन, चीन की वुहान लैब से निकला कोरोना वायरस दुनिया में ना सिर्फ टिक कर लोगों की जान ले रहा है, बीमार कर रहा है बल्कि इसके बदलते रुपों से दुनिया हैरान और परेशान है।


2020 में कोरोना वायरस की पहली लहर से लोग उबरे भी नहीं थे कि 2021 में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कहर ढा दिया। अभी दुनिया दूसरी लहर के सदमे से उबर ही रही है कि कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने देश-दुनिया की नींद उड़ा दी है।


बात सिर्फ वायरस के रुप बदलने भर तक अब सीमित नहीं है। कोरोना वायरस ने शरीर में घुसने और संक्रमित करने के नए रास्ते भी तलाश लिए हैं।


कोरोना वायरस रूप बदलकर शरीर पर हमला करने की नई रणनीति बना चुका है। हाल में हुई एक रिसर्च में ये बात सामने आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट पहली और दूसरी लहर के परंपरागत रास्तों को छोड़कर अन्य रास्तों से शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है।


आपको याद दिला दें कि कोरोना की पहली लहर में संक्रमित चीज़ को छूने या संक्रमित के पास बैठने से हो रहा था जबकि दूसरी लहर में कोरोना वायरस हवा में आ गया और बड़ी तबाही की। अबकी बार वायरस ने अपना रुप बदल कर नाक, मुंह के रास्ते गले या फेफड़े तक पहुंचने के अलावा और भी रास्ते बना लिए हैं।


कोविड 19 के शुरूआत में वैज्ञानिकों ने बताया कि सार्स-कोव-2 किस तरह से शरीर में प्रवेश कर संक्रमित करता है। दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन भी इसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई । अब सेंट लुईस के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन ने अपनी शोध में पता किया है कि सिंगल म्यूटेशन सार्स-कोव-2 को शरीर में अन्य रास्ते से प्रवेश करने की ताकत दे सकता है, जिसे एसीई 2 रिसेप्टर की आवश्यकता नहीं है। इसमें वह एंटीबाडी और वैक्सीन के प्रभाव से भी बच सकता है।


कोरोना वायरस कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए अपना रास्ता बदल सकता है। यह अध्ययन जर्नल सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कम से कम 85 देशों में पाया गया कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप अभी तक सामने आए सभी स्वरूपों में सबसे अधिक संक्रामक है। यह वैरिएंट लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने कोविड रोधी वैक्‍सीन नहीं लगवाई है।



कब से है कोरोना वायरस दुनिया में


कोरोना वायरस या कहिए कि सार्स वायरस को लेकर दुनिया भर में चल रहे शोधों में ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस 20,000 साल से भी ज्यादा समय पहले पूर्वी एशिया में अपना प्रकोप बरपा चुका है। इसके अवशेष चीन, जापान और वियतनाम के लोगों के डीएनए में मिले हैं।


कहां हुआ शोध


करंट बायोलॉजी में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इन क्षेत्रों में आधुनिक आबादी के 42 जीन में वायरस के कोरोना वायरस परिवार के आनुवंशिक अनुकूलन के प्रमाण मिले हैं। कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के कारण फैली कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया भर मे अब तक 38 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान किया है। कोरोना वायरस परिवार में संबंधित मार्स और सार्स वायरस भी शामिल हैं, जिनके कारण पिछले 20 साल में कई घातक संक्रमण हुए हैं।


दुनिया भर की 26 देशों के 2,500 से अधिक लोगों के जीनोम का अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विश्लेषण किया। हमें मनुष्य के 42 अलग-अलग जीन में अनुकूलन के प्रमाण मिले जो वीआईपी के बारे में बताते हैं।


फेफड़ों में पाए जाते हैं 42 वीआईपी


परीक्षण से पता चला कि 42 वीआईपी मुख्य रूप से फेफड़ों में पाए जाते हैं, जो कि कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। हमने इस बात की भी पुष्टि की है कि ये वीआईपी मौजूदा महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस से सीधे संपर्क करते हैं।


ऐसे फ्लू जिन्होंने हिला दी दुनिया


20वीं शताब्दी में, इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन प्रकारों- 1918-20 का 'स्पैनिश फ्लू', 1957-58 का 'एशियन फ्लू', और 1968-69 का 'हांगकांग फ्लू' में से हरेक ने व्यापक तबाही मचाते हुए लाखों लोगों की जान ली थी। वायरस और अन्य रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण का इतिहास हजारों साल पुराना है। इन वायरस के अनुकूल शरीर के ढलने के बाद कई आनुवांशिक निशान शेष रह जाते हैं।


वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक निशानों का पता लगाने के लिए प्रभावशाली सांख्यिकीय उपकरण तैयार किए हैं। ये आनुवांशिक अवशेष आज लोगों के जीनोम में मौजूद हैं।


वायरस आखिर करते क्या हैं


वायरस सरल जीव हैं, जिनका एक उद्देश्य है, स्वयं की अधिकाधिक प्रतियां बनाना। उनकी सरल जैविक संरचना का अर्थ है कि वे स्वतंत्र रूप से प्रजनन नहीं कर सकते। इसके बजाय, उन्हें अन्य जीवों की कोशिकाओं पर आक्रमण करना होता है और उनकी आणविक मशीनरी पर कब्जा करना होता है। वायरस मेजबान कोशिका से पैदा हुए विशिष्ट प्रोटीन के साथ संपर्क करता है और उससे जुड़ता है, जिसे हम वायरल इंटरेक्टिंग प्रोटीन या वीआईपी कहते हैं।


भारत सरकार ने क्या कहा है राज्य सरकारों से


केंद्रीय स्वासथ्य सचिव राजेश भूषण ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि नए वैरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के लिए टेस्टिंग, ट्रैकिंग और वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज करें। जहां भी डेल्टा प्लस के केस मिले, वहां सख्त कंटेनमेंट के इंतजाम किए जाएं।


डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव के लिए गाइडलाइंस

  • भीड़ को रोकने और लोगों के मिलने-जुलने और आवाजाही पर नियंत्रण के उपाय करें।

  • जहां डेल्टा प्लस के केस मिले हैं, वहां तत्काल प्रभाव से कंटेनमेंट जोन बनाएं।

  • पाबंदियों का सख्ती से पालन कराएं।

  • संक्रमितों के नमूने तत्काल जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजें।


टीम स्टेट टुडे


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