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क्रास वोटिंग ने की चुगली, सपा गठबंधन में भितरघाती, मुर्मू को तय वोटों से मिले ज्यादा


लखनऊ, 22 जुलाई 2022: जिस विपक्षी एकजुटता के बूते पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ रोकने का असफल प्रयास किया, वह लोकसभा चुनाव के पहले बिखरना शुरू हो गया है। सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव व सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की खुली बगावत गठबंधन की उभरी गांठ के समान है तो गुरुवार को आए राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम ने सपा गठबंधन में और भी भितरघाती छिपे होने की चुगली कर दी है।

राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को उत्तर प्रदेश से 282 वोट से बढ़कर 287 वोट मिल जाना और विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के 119 तय माने जा रहे वोटों में आठ मतों की सेंध सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की गड़बड़ा रही सियासत का गणित समझा रही है। राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधायकों के मतों का मूल्य सबसे अधिक 208 था। चूंकि, यहां विधायकों की संख्या भी सर्वाधिक 403 है, इसलिए इस राज्य के मतों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्ष, दोनों की नजर थी। शुरुआत में माना जा रहा था कि राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को भाजपा गठबंधन के 273 विधायकों का वोट मिल जाएगा, जबकि विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए सपा गठबंधन के 125 सहित कांग्रेस के दो मिलाकर 127 विधायकों के वोट का आंकड़ा था।

यह भी संभावित था कि आदिवासी वर्ग की महिला होने के चलते बसपा प्रमुख मायावती राजग प्रत्याशी को समर्थन देंगी। मायावती ने इसकी घोषणा भी कर दी और इस तरह बसपा का एक वोट राजग के साथ आने से 274 मत की व्यवस्था हो गई। लोकतांत्रिक जनसत्ता दल के रघुराज प्रताप सिंह ने भी अपने दो वोट मुर्मू को देने की घोषणा की तो आंकड़ा 276 पर पहुंच गया। यहां तक भाजपा के वोटों में कुछ बढ़त बेशक हुई हो, लेकिन कांग्रेस के दो वोट सहित सपा गठबंधन के पास 127 वोटों की पूंजी बरकरार थी।

विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए जुट रही इस ताकत को झटका तब लगना शुरू हुआ, जब द्रौपदी मुर्मू समर्थन मांगने लखनऊ आईं। अचानक ही सपा मुखिया के चाचा शिवपाल सिंह यादव और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पहुंच गए और राजग प्रत्याशी के समर्थन में उन्होंने सपा से खुली बगावत कर डाली। इसके साथ ही विपक्ष की मुट्ठी से शिवपाल का एक और सुभासपा के छह समेत कुल सात वोट और खिसक गए। इसके बाद माना जा रहा था कि यशवंत को सपा गठबंधन और कांग्रेस के 120 विधायकों के वोट मिल जाएंगे। मगर, मतदान वाले दिन सपा विधायक नाहिद हसन वोट डालने नहीं आए। तब यशवंत के खाते में 119 वोट तय माने जा रहे थे। सुभासपा के अब्बास अंसारी के भी वोट न देने से मुर्मू के पक्ष में कुल 282 वोट पड़ने की उम्मीद थी, लेकिन गुरुवार को सामने आए चुनाव परिणाम ने खास तौर पर अखिलेश के लिए अलार्म बजाया है।

दरअसल, भाजपा को उम्मीद से पांच अधिक 287 वोट मिले हैं, जबकि यशवंत को यूपी के 111 विधायकों के ही वोट मिल सके। यह भी तब है, जबकि तीन वोट निरस्त हुए हैं। इससे साफ है कि शिवपाल और ओमप्रकाश की तरह सपा गठबंधन में कुछ बागी अभी खामोशी से बैठे हुए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन में शुरू हुए बिखराव का यह प्रत्यक्ष प्रमाण माना जा सकता है।

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