नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह केंद्र सरकार की उस दलील पर फैसला करेगा कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के विवाद को निपटारे के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा जाए। इस याचिका का आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने कड़ा विरोध किया था। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के विवादित मसले को संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि हम जल्द से जल्द विचार करेंगे और इस पर फैसला लेंगे। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने दिल्ली सरकार का पक्ष रखा। सिंघवी ने कहा कि सर्वोच्च अदालत हर बार छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने के लिए नहीं है। यदि यहां केवल तीन या पांच जज होते तो यह कैसे होता।
उन्होंने कहा कि 2018 में संविधान पीठ के फैसले में कोई अस्पष्टता नहीं थी लेकिन अगर कुछ लगता है तो भी मौजूदा पीठ इसे देख सकती है। वहीं सालिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले को इस आधार पर संविधान पीठ के पास भेजने की जरूरत है कि पांच न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसलों में यह तय करने के लिए कोई रोडमैप नहीं था कि क्या केंद्र या दिल्ली सरकार के पास विवादित विषय से निपटने की क्षमता होगी। मेहता ने आगे कहा कि पीठ ने निष्कर्ष निकाला है कि वृहद संविधान पीठ ने कुछ पहलुओं पर विचार नहीं किया...
ऐसे में इस विवाद को संविधान पीठ के समक्ष रेफर करने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने बुधवार को पीठ से कहा था कि उसको दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण रखने की जरूरत है क्योंकि यह देश का चेहरा है। सालिसिटर जनरल ने यह भी कहा था कि दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) के शासन माडल के लिए केंद्र सरकार को केंद्रीय भूमिका निभाने की जरूरत होगी भले ही यहां एक विधानसभा या मंत्रिपरिषद क्यो ना हो।
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