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अभी महंगी नहीं होगी बिजली, लोकसभा चुनाव 2024 के बाद लगेगा झटका

chandrapratapsingh

लखनऊ, 31 अगस्त 2023 : अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के बाद ही प्रदेशवासियों को महंगी बिजली का झटका लगेगा। फ्यूल सरचार्ज के एवज में दीपावली से पहले बिजली महंगी करने के प्रस्ताव पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन अब बैकफुट पर है। प्रबंधन ने विद्युत नियामक आयोग के आदेश पर 1.09 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली की दर बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर सार्वजनिक नहीं किया है।

कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल का स्पष्ट तौर पर कहना है कि अभी बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्ताव की वैधता पर ही सवाल उठाते हुए आयोग में याचिका दाखिल उसे खारिज करने की मांग की है। परिषद का कहना है कि आयोग ने आदेश कर अपने ही कानून का उल्लंघन किया है।

दरअसल, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पिछले दिनों बिजली की दर न बढ़ाए जाने की घोषणा की थी उसके बावजूद कारपोरेशन प्रबंधन ने फ्यूल सरचार्ज के एवज में 28 पैसे से लेकर 1.09 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली महंगी करने के प्रस्ताव को आयोग से वापस नहीं लिया। ऐसे में आयोग ने प्रस्ताव को हरी झंडी देते हुए कारपोरेशन को उसे सार्वजनिक कर तीन सप्ताह में सुझाव मांगने के आदेश दिए।

आयोग के आदेश पर कारपोरेशन को उसे वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए था लेकिन बुधवार देर रात तक उसे अपलोड नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार चुनावी वर्ष में बिजली महंगी कर सरकार प्रदेशवासियों को नाराज नहीं करना चाहती है। यही कारण है कि पिछले चार वर्ष से बिजली की दरें यथावत हैं। सरकार के रुख को देखते हुए अब पावर कारपोरेशन प्रबंधन बैकफुट पर है।

कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. गोयल ने बताया कि फ्यूल सरचार्ज के एवज में बिजली महंगी नहीं होगी। ऐसे में शुक्रवार को प्रबंधन अपना प्रस्ताव ही आयोग से वापस ले सकता है। उल्लेखनीय है कि कारपोरेशन ने जनवरी, फरवरी व मार्च की चौथी तिमाही के लिए फ्यूल सरचार्ज के एवज में बिजली महंगी कर 1437 करोड़ रुपये वसूलने के लिए 26 जुलाई को आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया था।

गौर करने की बात यह है कि आयोग द्वारा पांच जून 2020 को इस संबंध में बनाए गए कानून के मुताबिक चौथी तिमाही के लिए मई तक प्रस्ताव दाखिल होना चाहिए था। आयोग जून में आदेश करता और जुलाई, अगस्त व सितंबर में फ्यूल सरचार्ज के एवज में वसूली हो जाती।

चूंकि जुलाई में दाखिल प्रस्ताव पर आयोग ने अगस्त में आदेश किया है जिस पर 21 सितंबर से पहले सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती इसलिए अक्टूबर से लागू करने का कानूनन कोई आचित्य ही नहीं बन रहा। इस पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने याचिका दाखिल कर प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है। वर्मा का कहना है कि 3.35 करोड़ उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड रुपये सर प्लस है इसलिए 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली सस्ती होनी चाहिए।

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