
लखनऊ, 4 अगस्त 2022 : उत्तर प्रदेश में अब किसी अधिष्ठान या कारखाने को संचालित करने के लिए अब श्रम कानूनों (Labor Laws) से जुड़े अधिनियमों के तहत अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराने और लाइसेंस हासिल करने और रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी। कारखानों का अब एक रजिस्ट्रेशन और एक लाइसेंस होगा। न ही उन्हें विभिन्न श्रम कानूनों के तहत अलग-अलग रजिस्टर रखने की जरूरत होगी।
अब उन्हें 54 की बजाय सिर्फ सात रजिस्टर रखने होंगे। कारखाने और प्रतिष्ठान अपने रिकार्ड इलेक्ट्रानिक फार्म में रख सकेंगे और सूचनाओं का आदान-प्रदान भी इलेक्ट्रानिक विधि से कर सकेंगे। श्रमिकों की सेवा शर्तों में भी एकरूपता होगी।
यहसबसंभवहोगाउत्तरप्रदेशव्यावसायिकसुरक्षा, स्वास्थ्यएवंकार्य-शर्तनियमावली, 2022 केअंतर्गतजिसेमंगलवारकोमुख्यमंत्रीयोगीआदित्यनाथकीअध्यक्षतामेंहुईकैबिनेटबैठकमेंमंजूरीदीगई।श्रमकानूनोंमेंसुधारकेउद्देश्यसेबनाईगईइसनियमावलीकेलागूहोनेपरप्रदेशमेंपहलेसेलागूश्रमकानूनोंसेजुड़ीछहनियमावलियांअतिक्रमितहोजाएंगी।
केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों से संबंधित 13 केंद्रीय अधिनियमों को समाहित करते हुए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य-शर्त संहिता (ओएसएच कोड) 2020 बनाई थी जिसे 28 सितंबर 2020 को सरकारी गजट में अधिसूचित कर दिया गया था लेकिन यह अभी लागू नहीं है। इस संहिता को प्रदेश में लागू करने के उद्देश्य से श्रम विभाग ने यह नियमावली बनाई है।
इसनियमावलीमेंओएसएचकोडकेदायरेमेंआनेवालेकारखानों, खतरनाकप्रक्रियासंचालितकरनेवालेकारखानों, बीड़ीवसिगरेटफैक्ट्रियोंऔरबागानश्रमिकोंकेस्वास्थ्य, व्यावसायिकसुरक्षाऔरकार्यकीदशाओंऔरनियोजकोंकेकर्तव्योंसेजुड़ेप्राविधानशामिलहैं।यहनियमावलीउसतारीखसेलागूहोगीजिसेकेंद्रसरकारगजटमेंअधिसूचितकरेगी।
45 वर्ष से अधिक उम्र के कामगारों का होगा स्वास्थ्य परीक्षण : नियमावली के अनुसार किसी भी कारखाने के कर्मचारी जो कि 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या खतरनाक प्रकृति के कारखाने में नियोजित हैं, नियोक्ता को वर्ष में एक बार उनका निश्शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कराना होगा। प्रत्येक नियोजक को कर्मचारी को अधिष्ठान या कारखाने में उसकी नियुक्ति के समय या काम शुरू करने से पहले नियुक्ति पत्र जारी करना अनिवार्य होगा। जिस कारखाने में 500 से अधिक कर्मकार नियोजित हों या खतरनाक प्रकृति के ऐसे कारखाने जिनमें 250 से अधिक कर्मकार नियोजित हों, उनमें सेफ्टी अफसर की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
ओवरटाइम के लिए दोगुणा भुगतान : कारखानों में कर्मकारों से सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम लेने की व्यवस्था की गई है। इससे ज्यादा काम करने पर अतिरिक्त घंटों के कार्य के लिए दोगुणा भुगतान करना होगा। किसी भी दिन अधिकतम पांच घंटे काम के बाद आधे घंटे का अंतराल होगा। किसी एक दिन में काम का फैलाव विश्राम की अवधि को शामिल करते हुए 12 घंटे से अधिक नहीं होगा। सप्ताह में एक दिन सवेतन अवकाश होगा। संकट की स्थिति में प्रतिष्ठान अस्थायी रूप से बंद करने पर श्रमिकों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने का प्रविधान है।
श्रमिकों के हितों का ध्यान : नियमावली में अंतरराज्यीय श्रमिकों का पोर्टल पर पंजीकरण करने और उनकी समस्याओं के निदान के लिए निश्शुल्क हेल्पलाइन संचालित करने का प्राविधान है। ऐसे बीड़ी-सिगार श्रमिक जो औद्योगिक परिसर के बाहर काम करते हैं, उनकी समस्याओं के निदान के लिए प्राविधान किये गए हैं। बागानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए आवास, शौचालय, चिकित्सा शिशु सदन, बच्चों के लिए शैक्षणिक सुविधाएं, कीटनाशकों से सुरक्षा के प्राविधान किये गए हैं।
महिलाएं कर सकेंगी रात में काम : नियमावली में अधिष्ठान या कारखानों में कुछ शर्तों के साथ महिलाओं से रात में भी काम कराने का प्राविधान है। खतरनाक प्रक्रिया संचालित करने वाले कारखानों में महिलाओं का नियोजन प्रतिबंधित होगा। गर्भवती महिलाओं को खतरनाक कार्यों से जुड़े कारखानों में काम करने की अनुमति नहीं होगी।
बोर्ड देगा सरकार को राय : श्रम एवं सेवायोजन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड के गठन का प्राविधान किया गया है। बोर्ड कारखानों में स्वास्थ्य सुरक्षा, कल्याण से जुड़े मामलों में सरकार को अपने सुझाव देगा।
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