सरकार जनवरी में करेगी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, 10 लाख करोड़ निवेश जुटाना लक्ष्य

लखनऊ, 19 जुलाई 2022 : हाल ही में औद्योगिक निवेश परियोजनाओं की तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी करने वाली योगी सरकार ने अब विश्वस्तरीय कार्यक्रम के लिए तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनवरी, 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। कार्यक्रम की रूपरेखा लगभग तय हो चुकी है। समिट कम से कम तीन दिन की होगी, जिसमें एक दिन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए होगा।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर बैठक की। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष जनवरी में 'उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' प्रस्तावित है। इस बार हमें 10 लाख करोड़ के निवेश के लक्ष्य के साथ काम करना होगा। यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट नए उत्तर प्रदेश की आकांक्षाओं को उड़ान देने वाली होगी। निर्देश दिया कि सभी पक्षों से विचार-विमर्श कर यथाशीघ्र आयोजन की तिथि तय की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी, 2023 में प्रवासी भारतीय दिवस अनुकूल अवसर हो सकता है। कम से कम तीन दिन का कार्यक्रम हो, जिसमें एक दिन एमएसएमई के लिए रखा जाए। उन्होंने कहा कि यूके, यूएसए, कनाडा, यूएई, स्वीडन, ङ्क्षसगापुर, नीदरलैंड, इजरायल, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, मारीशस, रूस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में रोड शो कर यूपी के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इन देशों में अपनी टीम भेज देनी चाहिए, ताकि वहां के औद्योगिक जगत में इस समिट के लिए अनुकूल माहौल तैयार हो सके। योगी ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए सिंगापुर ने स्वत:स्फूर्त भाव से 'फस्र्ट कंट्री पार्टनर बनने की इच्छा जताई है।
इस पर विचार किया जाना चाहिए। वर्ष 2018 के इन्वेस्टर्स समिट में नीदरलैंड, जापान, स्लोवाकिया, फिनलैंड, चेक रिपब्लिक, मारीशस, थाइलैंड, नेपाल, बेल्जियम हमारे कंट्री पार्टनर रहे हैं। इस वर्ष इन देशों के साथ-साथ स्वीडन व अन्य देशों से भी बात की जाए। अभी तक तय हुआ है कि 22 देशों के 10 हजार से अधिक अतिथियों को बुलाया जाएगा, जबकि रोड शो 13 देशों के प्रमुख शहरों में करने की योजना है। बैठक में औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता 'नंदीÓ, एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सैनी, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और अपर मुख्य सचिव एमएसएमई डा. नवनीत सहगल भी उपस्थित थे।
अगस्त के अंत तक बन जाए नई औद्योगिक नीतिः औद्योगिक क्षेत्र में विकास की अपार संभावना बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। प्रदेश में औद्योगिक निवेश के माहौल को और बेहतर करने के लिए नियमों में समयानुकूल बदलाव जरूरी हैं। जल्द ही राज्य की नई औद्योगिक नीति तैयार करें। खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा, पावरलूम, सूचना प्रौद्योगिकी, जैविक ईंधन, फिल्म एंड मीडिया, पर्यटन, सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट, गेमिंग और कामिक इंडस्ट्री, खिलौना निर्माण, नागरिक उड्डयन, हाउसिंग एंड रीयल एस्टेट आदि क्षेत्रों में औद्योगिक जगत की जरूरतों के मुताबिक नई औद्योगिक नीति तैयार की जाए। यह काम अगस्त के अंत तक पूरा कर लिया जाए।
लैंडबैंक के लिए बनेगी राजस्व विभाग की अलग टीमः सीएम ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों के लिए जमीन प्राथमिक आवश्यकता है। प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर भूमि है। प्रयास यह रहे कि समिट से पहले लैंडबैंक को और मजबूत किया जाए। इसके लिए राजस्व विभाग की एक टीम गठित करें, जो निवेश के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित कर ले। निवेशक यहां आएं तो उन्हें निवेश के लिए जमीन की कोई समस्या न हो। इसके अलावा प्रयास करें कि 50 करोड़ रुपये से अधिक राशि के निवेश के लिए समझौता पत्र राज्य स्तर पर हों। इससे कम धनराशि के निवेश प्रस्तावों के लिए जिला स्तर पर एमओयू किया जाना चाहिए। निगरानी और सहज क्रियान्वयन के लिए वेब पोर्टल तैयार किया जाए।
मुख्यमंत्री कार्यालय से भी होगी निगरानीः ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन के लिए अलग-अलग टीमें गठित करने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दें। मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी सतत निगरानी की जाएगी। भारत सरकार से भी इसके लिए मार्गदर्शन लें।