google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

ज्ञानवापी सर्वे मामले में सुनवाई पूरी, तीन अगस्‍त को आएगा फैसला


प्रयागराज, 27 जुलाई 2023 : Gyanvapi Survey Case वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली। करीब पौने पांच बजे सुनवाई पूरी होने पर उन्होंने कहा कि तीन अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। तब तक सर्वे पर रोक लगी रहेगी। इससे पहले मंदिर व मस्जिद पक्ष ने जमकर बहस की। विधिक तथ्यों संग ऐतिहासिक तथ्य रखे गए।

ASI और राज्‍य सरकार ने रखा अपना पक्ष

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मंदिर शिखर को गुंबद से और ज्योतिलिंग को नए निर्माण से ढांका गया है। 16 मई 2022 को एडवोकेट कमिश्नर ने सर्वे किया। कई तथ्य सामने आये। पिलर पर स्वास्तिक है, हिंदू मंदिर के चिह्न मिले हैं। उन्होंने कहा कि एएसआइ के पास इंस्ट्रूमेंट है,जांच कर सकती है। विशेषज्ञ इंजीनियर इनके पास है। राम मंदिर केस में ऐसा किया गया। मस्जिद पक्ष ने यह बात दोहराई कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में वाद पोषणीय नहीं। परिवर्तन प्रतिबंधित है।

अंजुमन इंतेजामिया के वकील ने क्‍या कहा?

अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी की तरफ से मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा क‍ि धार्मिक स्थलों की 15 अगस्त 47 की स्थिति में बदलाव पर रोक है। एक्ट की धारा तीन के तहत कोई व्यक्ति पूजा स्थल की प्रकृति में बदलाव नहीं कर सकेगा। 2021 में दायर वाद इस एक्ट (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) से बार है, पोषणीय नहीं है। खारिज होने योग्य है। 1947 से भवन की यही स्थिति है, जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। साक्ष्य इकट्ठा करने की कोशिश है एएसआई जांच की मांग।

थर्ड पार्टी साक्ष्य इकट्ठा करने की मांग कर रही वाद दाखिल कर। अर्जी में खुदाई की मांग है और अदालत के आदेश में भी खुदाई का जिक्र है। कोर्ट साक्ष्य नहीं इकट्ठा कर सकती। वादी को साक्ष्य पेश करने होंगे। इससे पूर्व वादिनी (राखी सिंह व अन्य) के वकील प्रभाष त्रिपाठी ने कहा कि फोटोग्राफ हैं, जिससे साफ है कि मंदिर है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है वादी को श्रंगार गौरी, हनुमान ,गणेश की पूजा दर्शन का विधिक अधिकार है।

सीजे ने कहा- आपकी बहस अलग लाइन में जा रही

सीजे ने उन्हें रोका, कहा- आपकी बहस अलग लाइन में जा रही है। हम यहां एविडेंस नहीं तय कर रहे हैं। इस बात पर सुनवाई कर रहे हैं कि सर्वे होना चाहिए या नहीं और सर्वे क्यों जरूरी है? प्रभाष त्रिपाठी ने कहा क‍ि वाद तय करने को सर्वे जरूरी है। अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी के अधिवक्ता ने कहा क‍ि एएसआइ अधिकारी कुदाल फावड़ा लेकर मौके पर गए। आशंका है कि इसका इस्तेमाल होगा। हलफनामे में फोटो लगा है। फावड़ा आदि की जरूरत नहीं थी। बाहरी लोगों ने वाद दायर किया है। वाराणसी में कुल 19 वाद दायर हैं।

इससे पहले शुरुआत में याची अधिवक्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के हलफनामे का जवाब दाखिल किया तो सीजे ने पूछा कि एएसआइ की लीगल आइडेंटिटी क्या है? एएसआइ अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने जानकारी दी कि 1871में एएसआइ गठित हुआ मानुमेंट संरक्षण के लिए। यह मॉनि‍टर करती है पुरातत्व अवशेष का। वर्ष में 1951 यूनेस्को ने संस्तुति की एएसआइ को पुरातात्विक अवशेषों के बायोलॉजिकल संरक्षण करने की। एएसआइ अधिकारी ने कहा हम डिगिंग (खुदाई) नहीं करने जा रहे। महाधिवक्ता अजय मिश्र का कहना था कि सरकार की केवल कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है। हम आदेश का पालन कर रहे। मंदिर ट्रस्ट है,वह देख रहा है। हम कानून लागू कर रहे। पीएसी तैनात हैं सुरक्षा में। मंदिर सीआइएसएफ की सुरक्षा में है।

सीजे ने पूछा- क्यों वाद तय करने में देरी हो रही तो मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट कार्यवाही की जानकारी दी‌। मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि ग्राह्यता पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित है। हाईकोर्ट लोअर कोर्ट ने अस्वीकार किया। 1991 में वाद दायर हुआ फिर 2021 में दाखिल है। सिविल जज से जिला जज को केस सौंपा गया। कोर्ट में 3.16 बजे यह सुनवाई शुरू हो गई, नियत समय से थोड़ा पहले। चीफ जस्टिस ने बेंच सेक्रेटरी से कहा था कि कि पक्षकार आ जाएं तो इनफॉर्म कर दीजिए। पक्षकार कोर्ट रूम में पहुंचे तो सुनवाई शुरू कर दी गई।‌ बुधवार को कहा गया था कि 3.30 बजे से सुनवाई होगी।

0 views0 comments
bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0