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UP में लंबी हो रही सांसदी-विधायकी गंवाने वालों की सूची


लखनऊ, 1 अप्रैल 2023 : मुकदमों में दोषसिद्ध होने पर सांसदी और विधायकी गंवाने वाले जनप्रतिनिधियों की संख्या उत्तर प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। नया नाम गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी का है, जिन्हें गाजीपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में चार साल कारावास की सजा सुनाई है।

2 वर्ष या अधिक होने पर निरस्त हो जाती है सदस्यता

गौरतलब है कि दो वर्ष या उससे अधिक की सजा होने पर किसी सांसद या विधायक की संसद/विधान मंडल की सदस्यता तत्काल निरस्त हो जाती है। अदालत से दोषसिद्ध होने पर कानून निर्माता का दर्जा खोने वालों में प्रदेश में पहला नाम कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य रहे काजी रशीद मसूद का था। 2013 में भ्रष्टाचार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोषी ठहराये जाने पर उन्हें राज्य सभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था। अप्रैल 2019 में हत्या से जुड़े मुकदमे में आजीवन कारावास की सजा होने पर हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी।

कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता रद्द

दुष्कर्म के एक बहुचर्चित मामले में दिसंबर 2019 में न्यायालय की ओर से आजीवन कारावास की सजा पर उन्नाव की बांगरमऊ सीट से भाजपा विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता रद हो गई थी। दोषी होने से पहले ही भाजपा ने सेंगर को निष्कासित कर दिया था।

आजम खां को विधायकी से धोना पड़ा था हाथ

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को भी सजायाफ्ता होने पर बीती फरवरी में विधायकी से हाथ धोना पड़ा। पिता-पुत्र को 15 वर्ष पहले मुरादाबाद में यातायात अवरुद्ध करने के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी।

अठारहवीं विधान सभा के चुनाव में आजम रामपुर तो अब्दुल्ला स्वार सीट से सपा विधायक निर्वाचित हुए थे। तीन वर्ष पहले आयु के फर्जी प्रमाणपत्र के मामले में दोषी होने पर भी अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता रद हुई थी। इस तरह अब्दुल्ला को दो बार विधान सभा की सदस्यता गंवानी पड़ी है।

अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को दिसंबर 2021 में फर्जी अंकपत्र के मामले में एमएपी-एलएलए कोर्ट ने दोषी ठहराया गया था। तिवारी को भी विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। बहुचर्चित मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े मुकदमे में अदालत की ओर से दोषसिद्ध करार होने पर मुज्जफरनगर के खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी भी विधानसभा की सदस्यता गंवा चुके हैं।

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