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Midhani Group will strengthen defense testing infrastructure, सीएफसी से और परवान चढ़ेगा टेराकोटा शिल्प का कारोबार



ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्प को मिली संजीवनी


सीएम योगी खुद टेराकोटा शिल्प के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर


टेराकोटा कारीगरों के लिए सिडबी भी बना रहा कॉमन फैसिलिटी सेंटर


गोरखपुर, 18 जुलाई। गोरखपुर की खास पहचान में टेराकोटा शिल्प के उत्पाद भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सात साल पहले टेराकोटा को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किए जाने के बाद से ही मिट्टी के इस शिल्प का कारोबार दिनोंदिन आगे बढ़ रहा है। अब कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के जरिये टेराकोटा कारोबार और परवान चढ़ेगा। जिला उद्योग केंद्र की तरफ से दो सीएफसी पहले से प्रकिया में हैं और अब सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) के साथ मिलकर एक स्वयंसेवी संस्था सेफ सोसायटी ने भी इसके लिए पहल की है। सिडबी की तरफ से गुलरिहा के भरवलिया में सीएफसी खोले जाने पर काम शुरू हो चुका है। इससे टेराकोटा कारीगरों को काफी सहूलियत मिलेगी। जिला उद्योग केंद्र की तरफ से पादरी बाजार और औरंगाबाद में सीएफसी खोलने की प्रक्रिया जारी है।


भरवलिया में बन रहे टेराकोटा के कॉमन फैसिलिटी सेंटर के इस माह के अंत तक चालू हो जाने की उम्मीद है। यहां शिल्पकारों को हर तरह के काम के लिए सिंगल प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट होगा। सेफ सोसायटी के चेयरमैन वैभव शर्मा ने बताया कि टेराकोटा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो पहल की है, उसी से प्रेरित होकर सीएफसी बनाई जा रही है। इस सीएफसी पर पर इलेक्ट्रिक भट्ठी, कारीगरों को प्रशिक्षण और तैयार माल को बाजार उपलब्ध कराने की सुविधा मिलेगी।


सिडबी लखनऊ रीजन के जनरल मैनेजर मनीष सिन्हा का कहना है कि टेराकोटा की सीएफसी खुलने से नए तरीके की ट्रेनिंग, नई तकनीक से उत्पाद को तैयार करने में सहूलियत होगी। यही नहीं कम लागत और कम समय में ज्यादा माल तैयार हो सकेगा। मिट्टी के बर्तन या अन्य उत्पाद को पुराने तरीके से पकाया जाता है तो तकरीबन 18 घंटे से ज्यादा समय लगता है और यदि इसे सीएफसी के टनलभट्ठी में पकाया जाता है तो एक ट्राली टेराकोटा तीस मिनट में पककर तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया कि सीएफसी से काम कर रहे शिल्पकारों को कारोबारी लाभ होगा तो इस क्षेत्र में नए लोग भी ट्रेनिंग लेकर कारोबार से जुड़ सकेंगे। मनीष सिन्हा ने बताया कि सीएफसी का संचालन दो साल तक सिडबी की तरफ से किया जाएगा। इसके बाद एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) बनाकर इसे लाभार्थी शिल्पकारों को हैंडओवर कर दिया जाएगा।


शिल्पकारों के पास अब पूरे साल काम की भरमार

सात साल पहले तक रंगत खो रहे टेराकोटा शिल्प को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना की संगत मिली तो इस मिट्टी का रंग और चटक होता गया। कभी अक्सर खाली बैठने वाले टेराकोटा शिल्पकारों के पास अब सालभर काम की भरमार है। दीपावली जैसे पर्व पर उन्हें छह माह पहले गई ऑर्डर मिल जाते हैं।


उद्यम में बदल गया टेराकोटा शिल्प

टेराकोटा शिल्प को उद्यम में बदलने के लिए सीएम योगी ने इसे बहुआयामी और महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना में शामिल किया। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसके बाजार का अपार विस्तार हो गया। मुख्यमंत्री खुद तमाम मंचों से टेराकोटा की ब्रांडिंग करते हैं। एक तरह से इसके ब्रांड एम्बेसडर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन टेबिल आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुना हो गई।


तीस फीसद से अधिक नए लोग जुड़े टेराकोटा के कारोबार से

वर्तमान में टेराकोटा के मूल गांव औरंगाबाद के साथ ही गुलरिहा, भरवलिया, जंगल एकला नंबर-2, अशरफपुर, हाफिज नगर, पादरी बाजार, बेलवा, बालापार, शाहपुर, सरैया बाजार, झुंगिया, झंगहा क्षेत्र के अराजी राजधानी आदि गांवों में टेराकोटा शिल्प का काम वृहद स्तर पर चल रहा है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब 30-35 फीसद नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं।


 



- यूपी डीआईसी के लखनऊ नोड में डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करेगा मिधानि समूह


- मुख्य सचिव की मौजूदगी में यूपीडा और मिधानि समूह के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर


- एडवांस मैटेरियल (डिफेंस) टेस्टिंग फाउंडेशन के नाम से जाना जाएगा डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर


- डिफेन्स टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगी गति


लखनऊ, 18 जुलाई। भारत के डिफेंस सेक्टर और स्पेस टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत आधार देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार मिशन मोड में जुटी हुई है। गुरुवार को प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की मौजूदगी में यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड में डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वेज इन्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) और मिधानि समूह के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को एडवांस मैटेरियल (डिफेंस) टेस्टिंग फाउंडेशन नाम दिया गया है।


मैटेरियल टेस्टिंग फैसिलिटी की होगी स्थापना

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश रक्षा विनिर्माण और इनोवेशन का वैश्विक हब बनने के साथ ही देश के डिफेंस इंडस्ट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लखनऊ नोड डिफेंस कॉरिडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इस पर मैटेरियल टेस्टिंग फैसिलिटी स्थापित करने के लिए यूपीडा और मिधानि समूह के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रथम तथा देश में दूसरी बार डिफेन्स टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी। मैकेनिकल और सामग्री परीक्षण सुविधा न केवल भारत के रक्षा विनिर्माण बुनियादी ढांचे के निर्माण और नवाचार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को रक्षा के केंद्र के रूप में भी आगे बढ़ाएगा।


प्रोडक्ट को बेहतर बनाने, सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग में मिलेगी मदद

इसका सीधा फायदा डिफेंस कॉरिडोर के अंतर्गत स्थापित हो रही इंडस्ट्रीज को अपने प्रोडक्ट को बेहतर बनाने और सटिर्फिकेटकेशन के बाद प्रोडक्ट की मार्केटिंग में मिलेगा। इसके अलावा मेटल (धातु) के क्षेत्र में कार्य कर रहीं अलीगढ़ और मुरादाबाद की इंडस्ट्रीज व एमएसएमई इंडस्ट्रीज को भी इसका फायदा मिलेगा। बता दें कि डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी के लिए एक कॉमन फैसिलिटी के रूप में ग्रीनफील्ड डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (ए एंड डी संबंधित उत्पादन के लिए आवश्यक) का निर्माण करना है। डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को समय पर पूरा कराने और प्रभावी संचालन सुनिश्चित कराने के लिए इस योजना के तहत यूपीडा को इंप्लीमेंटेशन अथॉरिटी के रूप में नामित किया गया है।


एमओयू के दौरान मिधानि समूह के सीएमडी एसके झा तथा एडिशनल सीईओ यूपीडा हरिप्रताप शाही सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थिति रहे।



यूपी और तमिलनाडु में हैं डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

भारत 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकताओं के साथ दुनिया में एक प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा बाजार के रूप में उभर रहा है। एयरोस्पेस और डिफेंस (एएंडडी) मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत फोकस के प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है। इसी के तहत रक्षा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश (यूपी डीआईसी) और तमिलनाडु (टीएन डीआईसी) में रक्षा औद्योगिक गलियारे की स्थापना की है। इसमें उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यूपी डीआईसी) प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित किया गया है। इस गलियारे का प्रमुख उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया कार्यक्रम को गति देना और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिसके फलस्वरूप सैन्य उपकरणों के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी।

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