रायबरेली, 24 अगस्त 2022 : अमर नायक राना बेनीमाधव की 218वीं जयंती पर आयोजित भाव समर्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश को सशक्त बनाने के लिए सभी वर्ग के लोगों से एक साथ खड़े होने की अपील करते हुए कहा कि दुनिया की प्रतिस्पर्धा से देश को जोड़ने में समाज के हर तबके का सहयोग जरूरी है। फीरोज गांघी कालेज के इंदिरा गांधी आडिटोरियम में जनमानस से रूबरू योगी ने सर्व प्रथम राना को नमन करते हुए उनकी शौर्य गाथा का बखान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि हम सब देश के अमृत महोत्सव के साक्षी बने हैं। प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से 15 अगस्त 2022 को पूरे देश के प्रति अपना संबोधन दिया था। उन्होंने देश के नागरिकों को कुछ संकल्पों के साथ जोड़ने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत की थी। हमें त्याग और बलिदान, शौर्य और पराक्रम से आजादी मिली है। स्वतंत्रता के बाद इन 75 वर्षों में हमारे वीर सैनिकों ने भारत की आजादी को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च त्याग और बलिदान दिया है, लेकिन क्या इतने भर से कोई देश अपनी लंबी यात्रा के लिए तैयार माना जा सकता है। दुनिया की वर्तमान प्रतिस्पर्धा के साथ देश को जोड़ना है तो हम सबको मिलकर काम करना होगा।
सीएम बोले, ये काम केवल सरकारें नहीं कर सकती। सरकार नेतृत्व दे सकती है। सरकार कार्ययोजना बना सकती है। समाज का हर तबका जब अपने-अपने क्षेत्र में, अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने लग जाएगा, तब हमें उस लक्ष्य को प्राप्त करने में कठिनाई नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को आजादी की शताब्दी महोत्सव की तैयारी के लिए फिर से जुटने का आह्वान किया है। जब ये देश अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, उस अवसर पर हमें कैसा भारत चाहिए।
एक सशक्त और समर्थ भारत। देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में गिना जाने वाला भारत। गरीबी, किसी भी प्रकार की विषमता, अव्यवस्था, अराजकता से मुक्त भारत। देश की सभी सीमाओं को अक्षुण्य बनाए रखते हुए, एक ऐसा भारत जो दुनिया का नेतृत्व करता दिखाई दे। शांति और सौहार्द का संदेश लेकर चल रहा हो, वही भारत हमें चाहिए। लेकिन शांति और सौहार्द बिना शौर्य और पराक्रम के कभी नहीं आ सकता है। ये हर भारत वासी को सोचना पड़ेगा। हम सबको इसके लिए लगना पड़ेगा।
छात्रों को शोध करना चाहिएः योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम राना बेनी माधव और वीरा पासी को स्मरण करते हैं। उनके साथ युद्ध करने वाले हजारों शहीदों को भी हमें स्मरण करना चाहिए, जिनका नाम तक हमें नहीं पता। वर्तमान समय में छात्रों को डिग्रियां बांटी जा रही हैं। वही छात्र अगर शोध करके इन शहीदों के बारे में जानकारी जुटाएं तो हमें हमारा इतिहास पता चल सके। शिक्षण संस्थानों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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