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प्रमोशन में आरक्षण – सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासी जंग



प्रमोशन में आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस बीच, सरकार ने शीर्ष अदालत के फैसले से सफाई पेश करते हुए कहा कि इस केस में वह पार्टी नहीं थी और केंद्र मसले पर बड़ी चर्चा कर रही है। कांग्रेस से लेकर एनडीए के सहयोगी दल भी शीर्ष अदालत के इस फैसले पर ऐतराज जता चुका है और संसद में आरक्षण को लेकर कानून में बदलाव की मांग कर चुके हैं।



केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि कि शीर्ष अदालत द्वारा नौकरी में प्रमोशन को मूलभूत अधिकार नहीं बताने के फैसले पर सरकार उच्च स्तरीय चर्चा कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और इसे आरक्षण खत्म करने की रणनीति करार दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस की यह आरक्षण खत्म करने की रणनीति है।


बीजेपी आरक्षण खत्म करना चाहती है – राहुल गांधी



कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को आरक्षण विरोधी बताते हुए कहा कि आरएसएस और बीजेपी आरक्षण खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी की आरक्षण खत्म करने की रणनीति है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी।


सरकार छीन रही आरक्षण - कांग्रेस नेता अधीर रंजन



लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा, 'उत्तराखंड सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया गया कि एससी और एसटी के ऊपर जो संरक्षण है, उसे हटा देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दो चीजें सामने आई हैं- एससी-एसटी के व्यक्तियों की सरकारी पदों पर भर्ती मौलिक अधिकार नहीं है। और दूसरी बात- सरकार का कोई संवैधानिक कर्तव्य नहीं है कि वह एस-एसटी के व्यक्तियों की सरकारी पदों पर भर्ती में आरक्षण में की व्यवस्था करे। आजादी के बाद से एससी और एसटी के साथ भेदभाव होता रहा है। आज सरकार उनके अधिकार को छीन रही है।'


सरकार का इस फैसले से लेना-देना नहीं – प्रहलाद जोशी बीजेपी (संसदीय कार्य मंत्री)



अधीर रंजन के इस बयान पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने हंगामा किया। बीजेपी सांसदों ने कहा कि यह फैसला सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस फैसले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। इस पर सवा दो बजे संबंधित मंत्री बयान देंगे।


2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी - प्रहलाद जोशी बीजेपी (संसदीय कार्य मंत्री)


प्रह्लाद जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में 2012 में सरकार किसकी थी, इसका भी जवाब देना चाहिए। 2012 में कांग्रेस की सरकार थी। इसलिए मैं बता रहा हूं कि इसमें भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। इस पर अधीर रंजन ने कहा कि उत्तराखंड की तरफ से कौन सुप्रीम कोर्ट में गया, यह सदन में बताया जाना चाहिए।


हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं - चिराग पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी)(एनडीए)



चिराग पासवान ने कि महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बीच पूना पैक्ट का ही परिणाम है कि आरक्षण एक संवैधानिक अधिकार है। आरक्षण खैरात नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है। उनकी लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। केंद्र सरकार इस पर हस्तक्षेप करे। आरक्षण से जुड़े सारे कानून को नौवीं सूची में डाला जाए। जिससे आरक्षण पर सवाल उठाने की बहस ही खत्म हो जाए।


सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला – अनुप्रिया पटेल (अपना दल एस) (एनडीए)



अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण पर दिए गए फैसले के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि एसएसी/एसटी और ओबीसी को संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण के खिलाफ दिया गया यह कोर्ट का आजतक का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। वंचित वर्गों के अधिकारों पर इससे भयानक कुठाराघात होगा।