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संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- संवेदना गायब होने पर पशुओं की तरह हो जाता है समाज


कानपुर, 9 अक्टूबर, 2022 : राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालकमोहन भागवत शनिवाररात कानपुर पहुंचगए। तीन दिवसीयप्रवास के पहलेदिन रविवार कोउन्होंने नानाराव पार्क मेंवाल्मीकि समाज केलोगों को संबोधितकिया। इससे पहलेउन्होंने पूर्व स्वयंसेवकों केपथ संचलन भीकिया है। देरशाम वह वीएसएसडीकालेज में पूर्वप्राचार्यों और शिक्षकोंके सम्मान समारोहमें हिस्सा लेंगे।

नानाराव पार्क मेंसंबोधन के दौरानसंघ प्रमुख मोहनभागवत ने कहाकि आपके सबकेसामने आकर धन्यहुआ हूं। वक्ताकह रहे थेमैं मिठाई हूं,लेकिन में मिठाईनहीं बताशा बनेरहना ही ठीकसमझता हूं। मैंवाल्मीकि समाज केकार्यक्रमो में जातारहा हूं, लेकिनजयंती समारोह मेंपहली बार आयाहूं। रामायण व वाल्मीकिहिन्दू समाज केप्रणेता थे। वहअगर रामायण नहींलिखते तो हमेंकुछ पता हीनहीं होता। समाजके सामने ऐसाचरित्र लाना चाहताहूं, जिसे समाजआदर्श माने। वाल्मीकिरामायण की रचनाहुई। उत्तर दक्षिणपूर्व पश्चिम मेंश्रीराम सबके आदर्शबने। उनके नामका जप कियाजाता है हरघर प्रतिष्ठित होतेहैं, जो वाल्मीकिजी की रामके साथ हनुमानव वाल्मीकि काभी स्मरण कियाहै।

राष्ट्र के हरकिसी के लिए।भगवती सीता कापुत्री समान प्रतिपाल।एक बहेलिए नेकौंच पक्षी कोमार दिया, इससेवाल्मीकि जी कोक्षोभ हुआ। ऐसाक्यों हुआ, क्योंकिबहेलिए तो उन्हेंमारते ही थे। इससे वाल्मीकिके मन मेकरुणा का भावआ गया। करुणाचार भाव मेंसे एक है।ऊंचा भया तोक्या भया जैसेपेड़ खजूर,फललागे अति दूर, इसलिए करुणा जरूरहोनी चाहिए। वृक्ष सद्पुरुष जैसेहोते हैं, जोअपना सबकुछ बांटदेते हैं। मनुष्यके मन मेआकांक्षा होती है, वह आगे बढ़नाचाहता है। यहमनुष्य का कामहै कि वहअच्छा बने। तनमन से पवित्रताही नहीं सत्यभी जरूरी। करुणाबिना धर्म पूरानहीं होता है।

पहले गुस्साहुए फिर उन्हेंलगा कि गुस्साक्यों किया, क्यामेरा तप कमहो गया। ऐसाचरित्र लिखना है, जोमनुष्यो के लिएआदर्श हो। सतयुगमें सब अच्छेही थे। धर्मका पालन करते। मनुष्य का स्तरत्रेता युग मेथोड़ा गिरा था, उसे नियंत्रित करनेको राजा चाहिएथा, राजा थेराम। यह बतानेवाला कोई नहींथा कि हमेंक्या करना है, तब रामायण कीरचना उन्होंने कीथी। रामायण में कभीराम सीता बिछड़ेनहीं, रावण लेगया और एकरहे। बस सीताके त्यागने मेंबिछड़े है। सीतात्याग होने केपश्चात राम केजीवन मे रसनहीं रहा। रसभगवान का स्वरूप।सिर्फ कर्तव्य सेही सब कुछनहीं। फाइव स्टारहोटल में कितनाभी ठंडा होलेकिन घर केजल की बराबरीनहीं, क्योंकि इसमेंरस है।

इसी संवेदनाको वाल्मीकि जीने अक्षुण्ण रखा।सत्य के आधारपर आगे चलनेवाले लव कुशवहीं ओले बढ़े।

वर्तमान समय मेंभी यह प्रासङ्गिकहै। संविधान कीऐसी व्यवस्था करानीहै कि वाल्मीकिसमाज आगे आए।राजा कानून बनाकरकाम कर रहाहै। डा बाबासाहब आंबेडकर नेबताया था किपिछड़े ऐसे नहींरहेंगे, छुआछूत नही होगा।व्यवस्था के साथमन बनाना होगातभी साकार होगीजब सामाजिक समरसताआएगी। 1925 से दूसरेडाक्टर साहब नेनागपुर से सामाजिकसमरसता लाने कीशुरआत की। संघने काम किया।कोलकाता की कहावतआपने पन सेजुड़ी है किअपनापन हुआ तोइमली के पत्तेपर नौ लोगबैठसकते हैं। अपनेपन काकाम संघ कररहा। वाल्मीकि जीने संपूर्ण हिंदूसमाज के लिएकाम किया। कोईभी स्थिति होथकना नहीं, हारनानहीं, आगे बढ़ना।

वाल्मीकि जी नेलिखा है रावणविजय से पहलेसिर्फ राम ववानर थे। रावणरथी विरथ रघुवीरा,लेकिन जब लोगोंको विश्वास होगया कि वहजीत सकते हैंतो ऐसी स्थितिबनी कानून व्यवस्थावाले ऐसा कामकरें। हमें योग्यबनना है। समाजको योग्य बनानाहै। संघ सबकेसाथ ताकत सेखड़ा है देशहर में हरजगह। उनसे मिलिएकुछ भी करनाहोगा तो बताइएजरूर करेंगे।

तीसरी बात करुणाव संवेदना काहै। इसलिए अपनेमन में सत्यप्रेम व करुणालाएं। वही मातासीता है। लवकुशकी तरह आपअपनो की चिंताकरें। सारा समाजव सारा भारतवर्षअपना है। यहसदैव रहेगा। इसकीचिंता आपको करानीहोगी। कानून-व्यवस्था केसाथ स्वयं भीअपने समाज कोशिक्षित व संस्कारवानबनाएं। संवेदना लाएं। नशामुक्तिकरो, खराब आदतेंछोड़ो। समाज मेमिलजुल कर स्वछताका पालन करोआप खुद सबकीस्वच्छता की प्रेरणाहो। संपूर्ण मानवकल्याण के सिपाहीएऊ सब बनेंगे।

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