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रुस की वैक्सीन स्पूतनिक वी को भारत में मिली मंजूरी, कोविड-19 के लिए है दुनिया का पहला टीका



कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश के अलग अलग हिस्सों से वैक्सीन की कमी की सूचनाएं आ रही हैं। केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि संक्रमण प्रभावित राज्यों और जिलों में वैक्सीन की कमी ना होने पाए। कुछ वैक्सीन की बर्बादी और कुछ प्रक्रियागत देरी के चलते कई जगहों पर वैक्सीन को लेकर हड़कंप की भी खबरें आती रही हैं।


ऐसे में अब भारत सरकार ने एक और टीके को मंजूरी दे दी है। ये वैक्सीन या कोविड-19 का टीका स्पूतनिक वी के नाम से जाना जाता है। सरकारी पैनल ने Sputnik V को मंजूरी दे दी है। ये वैक्सीन रुस में बनी है। स्पूतनिक वी दुनिया में मान्यता पाने वाली कोविड-19 की पहली वैक्सीन थी लेकिन तब इसके पर्याप्त ट्रायल नहीं हुए थए जिससे कई देशों ने इसे महत्व नहीं दिया।


भारत में कोरोना वायरस के दो टीकों- Covishield और Covaxin को जनवरी 2021 के पहले हफ्ते में सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है।


कितना असर है तीनों टीकों का

  • फेज 3 ट्रायल के अंतरिम नतीजों में Sputnik V वैक्‍सीन की एफेकसी 91.6% पाई गई है।

  • भारत बायोटेक की Covaxin ने फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल में 81% की एफेकसी हासिल की थी।

  • सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield की एफेकसी 62% दर्ज हुई थी। हालांकि डेढ़ डोज देने पर एफेकसी 90% तक पहुंच गई।


क्‍या है डोज पैटर्न और स्‍टोरेज का तरीका?


Covishield की दो डोज 4-8 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। इसे स्‍टोर करने के लिए सब जीरो तापमान (शून्‍य से कम) की जरूरत नहीं है।
Covaxin की दो डोज 4-6 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्‍टोर कर सकते हैं।
Sputnik V के डिवेलपर्स के अनुसार, इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्‍टोर किया जा सकता है। यह वैक्‍सीन भी दो डोज में दी जाती है।


क्या है कीमत और उपलब्‍धता की स्थित


Covishield और Covaxin, दोनों ही सरकारी अस्‍पतालों में मुफ्त में लगाई जा रही हैं। प्राइवेट अस्‍पताल में जाने पर 250 प्रति डोज का शुल्‍क लिया जा रहा है। सरकार सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक को 150 रुपये प्रति डोज दे रही है।


Sputnik V की भारत में कीमत अबतक स्‍पष्‍ट नहीं है। विदेश में यह टीका 10 डॉलर प्रति डोज से कम है। RDIF का शुरुआती प्‍लान इसे रूस से आयात करने का है। ऐसे में कीमत ज्‍यादा हो सकती है।


एक बार इस वैक्‍सीन का प्रॉडक्‍शन भारत में शुरू हो जाए तो कीमतें काफी कम हो जाएंगी। डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज से 10 करोड़ डोज बनाने की डील हुई है। इसके अलावा RDIF ने हेटरो बायोफार्मा, ग्‍लैंड फार्मा, स्‍टेलिस बायोफार्मा, विक्‍ट्री बायोटेक से 85 करोड़ डोज बनाने का भी करार कर रखा है।


देश में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत जनवरी माह में हो गई और अब तक कुल 10,45,28,565 लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाई जा चुकी है।


इस साल की तीसरी तिमाही के आखिर तक पांच और वैक्सीन आ सकती है। इनमें स्पूतनिक V, बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन, सीरम इंडिया की नोवावैक्स वैक्सीन, जायडस कैडिला वैक्सीन और भारत बायोटेक की इंट्रानसल वैक्सीन है।


टीम स्टेट टुडे

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