इंदौर के निकट जनापावा में है परशुराम का जन्मस्थान-कृष्णन

वाराणसी, 20 नवंबर, 2022: सूर्या गुरुग्राम सोसाइटी के सभागार में राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा भगवान परशुराम के जन्म स्थली, तपोस्थली एवं युद्ध स्थली के उद्घोष का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक एवं शास्त्रीय मंगलाचरण के मध्य दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।
पंडित सुनील भराला जी संस्थापक राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद एक राष्ट्रवादी संगठन है जिसमें ब्राह्मण एवं सनातन हिंदुओं के लिए भगवान परशुराम जी के द्वारा किए गए कार्यों तथा उनके जीवन संस्करण के लिए राष्ट्रीय शोध पीठ का गठन करने के उपरांत जिसमें अट्ठारह कुलपति, पूर्व कुलपति एवं इतिहासकार, जगतगुरु शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, महंत तथा विद्वान जैसे संत पुरुषों के द्वारा लगातार सात वर्षो तक शोध किया गया। शोध के उपरांत हरिद्वार में दो दिवसीय अखिल भारतीय शोध संगोष्ठी का आयोजन अवधूत मंडल आश्रम में किया गया था | पंडित श्री सुनील भराला के द्वारा बताया गया कि हरिद्वार में दो दिवसीय शोध में विद्वानों ने मैराथन 36 घंटे अपना व्याख्यान किया था, जिसका भगवान परशुराम के जीवन के अन्य संस्करण कथाएं विद्वानों के द्वारा अवधूत मंडल सभागार में व्यक्त की थी | आज उन्ही शोध पत्रों एवं शास्त्रों के अनुसार गहन खोज के उपरांत राष्ट्रीय शोध पीठ के संयोजक एवं राष्ट्रीय परशुराम परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर वेदव्रत तिवारी की सहयोगी सभी साधु-संतों के बीच परशुराम के जन्मस्थली, युद्धस्थली, तपोस्थली, कर्मस्थली आदि का उद्घोष किया जायेगा | उद्घोष के उपरांत भगवान परशुराम के जन्मस्थान को भगवान परशुराम का धाम बनाने का कार्य प्रारंभ होगा तथा उनकी जो तपोभूमि और युद्धभूमि है उनको पर्यटन स्थल बनाया जाएगा |
राष्ट्रीय परशुराम परिषद के श्रीपरशुराम शोधपीठ अध्यक्ष आचार्य के.वी. कृष्णन मुख्य वक्ता ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान परशुराम के जन्मस्थान के संबंध मे विगत दिनों से चली आ रही भ्रांतियों पर विराम लगने का समय आ गया है | आचार्य श्री ने बताया कि वर्ष 2016 से परिषद द्वारा भगवान श्री परशुराम के जन्मस्थली, तपोस्थली और युद्धस्थली के निर्धारण हेतु एक शोध पीठ का गठन कर इस विषय पर गंभीर मंथन और चिंतन किया गया|
शोधपीठ के अध्यक्ष आचार्य श्री के. वी. कृष्णन ने घोषणा करते हुए कहा कि भगवान परशुराम का जन्मस्थान मध्यप्रदेश में इंदौर के निकट स्थित जनापावा में है। भगवान परशुराम जी के युद्धस्थल के रूप में मुख्य रूप से नर्मदा के तट पर महिष्मति (वर्तमान में महेश्वर के नाम से जाना जाता है) है |
तपोस्थल के रूप में महेन्द्र पर्वत का ही सर्वाधिक प्रामाणिक स्थल के रूप में उद्घोष है| कामेश्वर चौपाल न्यासी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे शास्त्रों में दशा अवतार लोक कल्याण के लिए हुआ है और यह सभी अवतार भगवान विष्णु के स्वरुप के मूल रूप ही है | ये दशा अवतारों के चरित्र, आचरण और लोक मर्यादा को प्रदर्शित करता है | इसलिए श्री राम के चरित्र के रूप में रामायण, कृष्ण के चरित्र में श्रीमदभागवत, ठीक उसी प्रकार से भगवान परशुराम जी के चरित्र को भी लिपिबद्ध करना चाहिए | उसी प्रकार स्थलों का भी उल्लेख होना चाहिए |
कामेश्वर उपाध्याय जी राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय काशी विद्वत परिषद ने अपने संबोधन में कहा कि विगत दिनों हरिद्वार में अखिल भारतीय विद्वत सम्मलेन आयोजित हुआ था | सम्मेलन में भगवान श्री परशुराम जी की जन्मभूमि, साधना भूमि, तपोभूमि, लोक कल्याण के द्वारा राक्षसों से कहां युद्ध हुआ तथा भगवान विष्णु के छठवें अवतार के रूप में जब भगवान श्री परशुराम जी पृथ्वी पर आए थे, उन्होंने लोक कल्याण के लिए समुद्र को कहां पिया एवं फरशे पर किन-किन राज्यों को जनता के रहने के लिए स्थान बनाया, ऐसे सभी बिंदुओं पर उल्लेखित हुआ था। आज बाबा विश्वनाथ की धरती काशी में उसी को लेकर राष्ट्रीय परशुराम परिषद के द्वारा एक दिवसीय उद्घोष कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है | उपाध्याय ने कहा कि ब्राह्मणों ने सदैव समाज को जागृत करने का कार्य किया है परंतु आज की स्थिति देख कर बहुत दुख होता है कि ब्राह्मण परिवार धीरे धीरे अपने अस्तित्व और समाज के प्रति दायित्व को भूलता जा रहा है, ब्राह्मणों को पुनः पूर्व की भाती जागृत होने की आवश्यकता है क्योंकि ब्राह्मण जागृत होगा तो हिंदू समाज जागृत होगा और हिंदू समाज जागृत होगा तो पूर्व की भाति अखंड भारत का निर्माण पुनः होकर रहेगा । श्री उपाध्याय ने अपने संबोधन में ब्राह्मण की उत्पत्ति, वर्ण, और सनातन संस्कृति पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
जगतगुरूजी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रआनंद सरस्वती महाराज ने अपने ओजस्वी भाषण से लोगों का मार्गदर्शन किया | पूज्य स्वामी जी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में ब्राह्मणों के बीच फैली नकारात्मक विचारों एवं संस्कारो को देख कर अत्यंत दुःख होता है | हमें आज अपनी संस्कृति बचाने एवं धर्मरक्षा हेतु शसक्त एवं एकजुट होकर राष्ट्रीय परशुराम परिषद के साथ मजबूती से खड़ा होना होगा | समाज में फैली अराजकताओ एवं संस्कृति को दूषित करने वाली सोशल मीडिया पर फैली सामग्रियों को तत्काल बैन होना चाहिए |
कार्यक्रम में मुख्यरूप से प्रो. के एन द्विवेदी डीन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. कृष्ण मोहन ओझा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. राजा राम शुक्ल पूर्व कुलपति, सम्पूर्णनन्द, मुकेश भार्गव राष्ट्रीय संयोजक परशुराम तीर्थ यात्रा, अनुज शर्मा राष्ट्रीय संयोजक आई टी प्रकोष्ठ, शिवप्रताप मिश्रा सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, आचार्य राज पुरोहित मधुर जी राष्ट्रीय सह संयोजक धर्माचार्य प्रकोष्ठ, पूजनीया राधा शरण सरस्वती जी, पूजनीया सुचित्रा, उषा दुबे, कमलाकर द्विवेदी, महानंद वाजपेई प्रदेश महामंत्री उत्तर प्रदेश, के के द्विवेदी प्रदेश मंत्री उत्तर प्रदेश सहित परिषद के प्राधिकारी, विश्वविद्यालय, प्रोफेसर, इतिहासकार, जगतगुरु शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, महंत तथा विद्वान आदि उपस्थित रहे | कार्यक्रम का संचालन कर रहे राम द्विवेदी जी ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया गया | पं.के. के.द्विवेदी प्रदेश मंत्री उत्तर प्रदेश एवं पं. अभिषेक द्विवेदी गणेश क्षेत्रीय अध्यक्ष काशी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण रही |