सीएम योगी करें मंत्रोच्चार और पीएम मोदी करें भूमिपूजन– अद्भुत, अलौकिक, दिव्य और विहंगम होगी अयोध्या

कल्पना कीजिए – 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रोच्चार कर रहे हैं। ये अपनी तरह का वो विलक्षण मौका होगा जिसके लिए कहा जाता है ना भूतो ना भविष्यते।
प्रधानमंत्री के अयोध्या आगमन से पहले अयोध्या में तैयारियां पूरे चरम पर है। वाटरप्रूफ पंडाल से लेकर तरह तरह की गाइडलाइंस और हर उस व्यक्ति का कोरोना टेस्ट जो उस दिन पूजन के समय मौके पर मौजूद होगा।
अयोध्या में व्यापक स्तर पर कोरोना टेस्ट का कार्यक्रम चल रहा है। कुछ संत महात्मा ऐसे हैं जो कोरोना पाजिटिव निकले हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन विधिवत हो इसकी भी बराबर चिंता हो रही है।

इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि ठीक उस स्थान पर जहां भूमि पूजन और शिलान्यास होना है वहां यूपी के सीएम आदित्यनाथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी कार्य विधि विधान से पूर्ण कराएं।
इससे पहले आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ऐतिहासिक मौके पर भावुक हो गए। कोविड गाइडलाइंस के चलते दुनिया भर के रामभक्त अपना मन मसोस कर जहां हैं वहीं रह गए हैं। लोगों की भावना को समझते हुए मुख्यमंत्री ने एक भावुक पत्र लिखा और विश्व के सभी रामभक्तों से भावुक अपील की। मुख्यमंत्री लिखते हैं --
भूमि पूजन को उल्लास, आह्लाद, गौरव एवं आत्मसंतोष का अवसर बताते हुए सीएम योगी ने लिखा है कि श्रीराम के आदर्शों पर चलकर एक नए भारत का निर्माण हो रहा है और ये युग रामराज्य और मानवकल्याण का है.

रामचरितमानस की चौपाई से लेख की शुरुआत
सीएम योगी ने लेख की शुरुआत तुलसीदास की रचना श्रीरामचरितमानस की चौपाई से की है। उत्तर भारत में श्रीरामचरितमानस के हिंदू धर्म में काफी उच्च स्थान प्राप्त है। सीएम योगी लेख की शुरुआत इस तरह की है -
श्री रामलला विराजमान
जासु बिरहॅं सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पॉंती।।
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता।।

सकल आस्था के प्रतिमान रघुनन्दन प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली धर्मनगरी श्रीअयोध्या जी की पावन भूमि पर श्रीरामलला के भव्य और दिव्य मंदिर की स्थापना की प्रक्रिया गतिमान है.
लगभग 5 शताब्दियों की भक्तपिपासु प्रतीक्षा, संघर्ष और तप के उपरांत, कोटि-कोटि सनातनी बंधु-बांधवों के स्वप्न को साकार करते हुए 5 अगस्त 2020 को अभिजीत मुहूर्त में मध्याह्न बाद 12.30 से 12.40 के बीच आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर-कमलों से श्री रामलला के चिरअभिलाषित भव्य-दिव्य मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी।

श्रीरामजन्मभूमि मंदिर को लेकर हुआ संघर्ष याद किया
सीएम योगी ने राम मंदिर निर्माण के लिए सदियों के संघर्ष को याद करते हुए लिखा है -
'नि:संदेह यह अवसर उल्लास, आह्लाद, गौरव एवं आत्मसंतोष का है, सत्यजीत करूणा का है. हम भाग्यशाली हैं कि प्रभु श्रीराम ने हमें इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी होने का सकल आशीष प्रदान किया है। भाव-विभोर कर देने वाली इस वेला की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं, दर्जनों पीढियां अपने आराध्य का मंदिर बनाने की अधूरी कामना लिए भावपूर्ण सजल नेत्रों के साथ ही, इस धराधाम से परमधाम में लीन हो गईं। किंतु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा।
वास्तव में दीर्घकालीन, दृढ़प्रतिज्ञ, संघर्षमय और भावमयी कारूणिक प्रतीक्षा की परिणति अंतत: सुखद ही होती है। आज वह शुभ घड़ी आ ही गई कि जब कोटि-कोटि सनातनी आस्थावानों के त्याग और तप की पूर्णाहुति हो रही है। मर्यादा के साक्षात प्रतिमान, पुरूषोत्तम, त्यागमयी आदर्शसिक्त चरित्र के नरेश्वर, अवधपुरी के प्राणपिय राजा श्रीराम आज अपने वनवास की पूर्णाहुति कर हमारे हृदयों के भावपूरित संकल्प स्वरूप सिंहासन पर विराजने जा रहे हैं।
सत्य ही कहा गया है, आस्था से उत्पन्न भक्ति की शक्ति का प्रताप अखंड होता है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण में अवरोध विगत पांच शताब्दियों से सनातन हिंदू समाज की आस्थावान सहिष्णुता की कठोर परीक्षातुल्य था। आज उस परीक्षा के शुभ परिणाम का उत्सव मनाने का अवसर है। श्री रामलला विराजमान की भव्य प्राण-प्रतिष्ठा भारत की सांस्कृतिक अंतर्रात्मा की समरस अभिव्यक्ति का प्रतिमान सिद्ध होगा।

गोरक्षनाथ पीठ के संघर्ष को भी स्मरण किया
राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ के संतों के संघर्ष को भी सीएम योगी ने इस लेख में याद किया है-
'श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण हेतु भूमिपूजन के बहुप्रतीक्षित अवसर पर आज सहज ही दादागुरू ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज और पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य स्मरण हो रहा है। मैं अत्यंत भावुक हूं कि हुतात्माद्वय भौतिक शरीर से इस अलौकिक सुख देने वाले अवसर के साक्षी नहीं बन पा रहे किंतु आत्मिक दृष्टि से आज उन्हें असीम संतोष और हर्षातिरेक की अनुभूति अवश्य हो रही होगी।
ब्रितानी परतंत्रता काल में श्रीराममंदिर के मुद्दे को स्वर देने का कार्य महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने किया था. सन् 1934 से 1949 के दौरान उन्होंने राम मंदिर निर्माण हेतु सतत् संघर्ष किया. 22-23 दिसम्बर 1949 को जब कथित विवादित ढांचे में श्रीरामलला का प्रकटीकरण हुआ, उस दौरान वहां तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर, गोरक्षपीठ महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज कुछ साधु-संतों के साथ संकीर्तन कर रहे थे। 28 सितंबर 1969 को उनके ब्रह्मलीन होने के उपरांत अपने गुरूदेव के संकल्प को महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपना बना लिया, जिसके बाद श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन के निर्णायक संघर्ष की नवयात्रा का सूत्रपात हुआ।