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मतदान के दौरान कुंडा पर रहेंगी सभी की निगाहें, चर्चा इस शख्स की



प्रतापगढ़, 25 फरवरी 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांचवें चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में प्रचार थमने के बाद मतदाताओं को 27 फरवरी का इंतजार है। पांचवें चरण में 12 जिलों की 61 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, लेकिन हाट सीट तो प्रतापगढ़ की कुंडा ही है। प्रतापगढ़ की सात विधानसभा सीट में से सर्वाधिक चर्चित कुंडा और बाबागंज हैं। कुंडा से भदरी रियासत के राजकुमार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लड़ते हैं और बाबागंज से उनका 'नाम'। यानी दो दशक से जीत उसी के हिस्से है, जिस पर राजा भैया का ठप्पा लगा है।

उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीति में 25 वर्ष पूरा करने के बाद जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन करने वाले पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पहली बार किसी पार्टी के बैनर पर चुनाव के मैदान में हैं। इस बार कुंड में स्थितियां भी काफी बदल गई हैं, इसी कारण यहां पहली बार इलेक्शन हो रहा है, पहले तो यहां पर सलेक्शन होता था। सलेकशन में पांच विधानसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ही जीत रहे थे।

प्रतापगढ़ के कुंडा में वर्ष 1993 से 2017 तक बतौर निर्दलीय विधायक बनने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस बार अपनी जनसत्ता पार्टी से परंपरागत सीट पर चुनाव मैदान में हैं। कुंडा में तो इस बार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के रसूख का इलेक्शन होना है। राजा भैया 1993 से यहां से लगातार विधायक हैं। इस दौरान 2017 तक सरकारें चाहे किसी की हों, कुंडा में राजा की सत्ता ही रही। 2002 के बाद हुए तीन चुनावों में तो समाजवादी पार्टी ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। इस बार सपा ने राजा के पुराने खास महारथी गुलशन यादव को ही उनके खिलाफ मैदान में उतारा है। कुंडा में ब्राहम्ण, ठाकुर, के साथ यादव, मुस्लिम व दलितों की प्रभावी संख्या है। अभी तक यह लोग राजा के साथ चलते थे। इस बार सपा के गुलशन यादव के साथ ही भाजपा से सिंधुजा मिश्रा तथा बसपा से मोहम्मद फहीम तथा कांग्रेस के योगेश यादव के मैदान में उतरने से चुनावी माहौल अलग ही है। भाजपा ने यहां से सिंधुजा मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है, उनके पति शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी 2007 में राजा के खिलाफ बीएसपी से लड़ चुके हैं। इसी कारण तीन दशक में पहली बार राजा भैया को भी प्रचार के लिए निकलना पड़ा है। पहले यहां पर तय कर दिया जाता था, लेकिन इस बार उन्हें घर-घर जाना पड़ रहा है। इस बार वोट का बंटवारा भी होगा।


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