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कैसे बदल रही है महिलाओं की जिंदगी ! Women's Day Special




  • योगीराज में साल दर साल सशक्त हुई मातृशक्ति

  • साकार हो रहा महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलम्बन का सपना

  • राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में 14.2% से बढ़कर 2022-23 में 32.10% हुई

  • महिला उद्यमियों को जमकर मिले ऋण

  • महिला अपराधियों को सज़ा दिलाने में भी योगी सरकार अव्वल

  • सैनिक स्कूल के दरवाजे भी लड़कियों के लिए खुले


लखनऊ, 07 मार्च:- महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलम्बन सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ प्रदेश की योगी सरकार की कोशिशों के सकारात्मक नतीजे मिलने लगे हैं। स्वावलम्बन की बात करें तो पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 32.10 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री की निजी तौर पर निगरानी ने एक ऐसा माहौल तैयार किया है जहां महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रही हैं, जो उन्हें अभूतपूर्व गति से आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में महिला श्रम बल भागीदारी दर 39.80 प्रतिशत दर्ज की, जबकि उत्तर प्रदेश ने 32.10 प्रतिशत की दर दर्ज की. इसके विपरीत, वित्तीय वर्ष 2017-18 में, भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 25.3 प्रतिशत थी, जबकि यूपी 14.2 प्रतिशत के साथ काफी पीछे था।


पिछले 07 वर्ष में योगी सरकार की नीतियों की समीक्षा करें तो 'महिला सशक्तिकरण' शासन की शीर्ष प्राथमिकता के रूप में साफ दिखाई देता है। रोजगार के लिए जो योजनाएँ शुरू की गईं, उसमें महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है। मुद्रा योजना आज गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना के तहत पूरे देश मिले कुल ऋण में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना के जरिए भी देश भर में महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और ग्रामीण संगठनों से जोड़ा जा रहा है। योगी सरकार ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पूरक पुष्टाहार तैयार करने की जिम्मेदारी देकर न केवल संगठित भ्रष्टाचार से निजात दिलाई, बल्कि महिलाओं के एक बड़े वर्ग को आर्थिक स्वावलम्बन से भी जोड़ा। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद दी गई, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा भी दोगुनी यानि 20 लाख की गई है। राज्य में 80 हज़ार राशन दुकानों में महिला स्वयं सहायता समूह की अहम भूमिका है। दीनदयाल अंत्योदय योजना, जो ग्रामीण गरीब महिलाओं के लिए क्षमता निर्माण और विविध आजीविका के अवसर पैदा करने पर ध्यान देने के साथ ग्रामीण गरीबों को स्व-शासित संस्थानों में संगठित करती है। इस मिशन ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के माध्यम से सफल प्रगति की है और किसानों के रूप में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है। सामुदायिक एकजुटता और महिलाओं की संस्थाओं के निर्माण के चरण से आगे बढ़ते हुए, अब ध्यान एसएचजी महिलाओं को उत्पादक समूहों, एफपीओ और निर्माता कंपनियों के माध्यम से उच्च क्रम की आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने पर है।



महिला सुरक्षा के लिए योगी सरकार की नीतियां पूरे देश में सराही जा रही हैं। महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध में सजा दिलाने में यूपी पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनकर उभरा है। महिलाएं रात की पाली में भी काम कर सकें, इसके लिए नियमों को आसान बनाने का काम सरकार ने किया। खदानों में महिलाओं के काम करने पर जो कुछ बंदिश थी, वो सरकार ने हटाई है। देशभर के सैनिक स्कूलों के दरवाजे, लड़कियों के लिए खोल देने का काम होना ऐतिहासिक है। बलात्कार जैसे संगीन अपराधों की तेज़ सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित किए हैं।


बालिकाओं को शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए संचालित मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि हाल ही में ₹15 हजार से बढ़ाकर ₹25 हजार कर दिया गया है। योजना से अब तक 18.66 लाख बेटियां लाभान्वित हुई हैं। निर्धन परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक योजना संचालित है। इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के निर्धन परिवार भी आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ विधवा और तलाकशुदा भी उठा सकती हैं। एक जोड़े के विवाह पर कुल ₹51 हजार की धनराशि की व्यवस्था है। योजना के तहत अब तक 3.50 लाख जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है। निराश्रित महिला को प्रति लाभार्थी ₹1000 प्रतिमाह पेंशन दी जाती है। वर्तमान में 31.50 लाख निराश्रित महिलाओं पेंशन दी जा रही है। जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं/बा​लिकाओं को आर्थिक सहायता हेतु इस कोष की स्थापना की गई है। इसके अंतर्गत 7,105 महिलाओं/बालिकाओं को क्षतिपूर्ति धनराशि प्रदान ​की गई है। महिलाओं को संगठित, सशक्त, स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए 8.37 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को आच्छादित किया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 1,840 उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन किया गया है। आंगनवाड़ी केंद्रों पर वितरित होने वाला पोषाहार अब स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है। योगी सरकार की बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट सखी योजना वित्तीय समावेशन का मॉडल बनकर उभरी है। जन कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में ग्रामवासियों को प्रोत्साहित एवं लाभान्वित करने हेतु प्रदेश की सभी 57 हजार ग्राम पंचायतों में विभिन्‍न बैंकों के माध्यम से बी.सी. सखी को पदस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

भारत सरकार द्वारा संचालित प्रमुख महिला कल्याण योजनाओं की उत्तर प्रदेश में प्रगति


● प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : प्रदेश में 1.75 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है। होली व दीपावली में नि:शुल्क एलपीजी सिलेंडर दिया गया है।


● प्रधानमंत्री आवास योजना : 'सबके लिए आवास' का संकल्प लिये यह योजना पात्र व्यक्तियों, खासकर महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। योजना के अंतर्गत अ​भी तक प्रदेश में 55.83 लाख आवास निर्मित किए गए हैं। इनमें अधिकांश आवास मातृशक्ति के नाम आंवटित किए गए हैं।


● पी.एम. स्वनिधि योजना : प्रदेश में अब तक 17 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को ऋण वितरित किया जा चुका है। इनमें 2 लाख से अधिक महिलाओं को ऋण दिया गया है, जिससे उनके व्यवसाय का मार्ग प्रशस्त हुआ है और जीवन में खुशहाली आई है।


● स्वच्छ भारत मिशन : प्रदेश में अब तक 2.61 करोड़ शौचालयों (इज्जतघर) का निर्माण कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त नगरीय निकायों में 4,500 पिंक शौचालय निर्मित कराए गए हैं।


● प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (घरौनी) : योजना के त​हत ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों को अपनी जमीन का म​लिकाना हक़ दिया जा रहा है, जिनकी जमीन किसी भी सरकारी दस्तावेज़ में दर्ज़ नहीं है। मलिकाना हक़ परिवार की महिला सदस्य के नाम अंकित किया जा रहा है। अब तक 66.59 लाख लाभार्थियों/महिलाओं को स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है।


● प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : योजना के तहत अब तक 54.44 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।


● बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना : योजना के अंतर्गत 1 करोड़ 90 लाख महिलाओं एवं बालिकाओं को जागरूक किया गया।


● मिशन वात्सल्य योजना : प्रदेश में 75,811 बच्चों को उनके माता-पिता/अभिभाव​कों से मिलाया गया तथा 1,436 संभावित बाल विवाह रोके गये।


प्रदेश की 'आधी आबादी' के जीवन का उजाला बनी 'प्रधानमंत्री उज्जवला योजना'





- योगी सरकार में अब तक 1.75 करोड़ पात्र परिवारों को दिया गया है निःशुल्क गैस कनेक्शन


-प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के का लाभ लोगों तक पहुंचाने में देश में प्रथम स्थान पर है उत्तर प्रदेश


7 मार्च, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 'डबल इंजन' की सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए विगत सात वर्षों से लगातार कार्य कर रही है। इस दिशा में, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना प्रदेश की आधी आबादी के जीवन का उजाला बनने का बेहद सशक्त माध्यम साबित हुई है। गरीबों के घरों में भी एलपीजी जैसे सुरक्षित ईंधन से खाना पके, इसके लिए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलिया से उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत, उत्तर प्रदेश में अब तक 1.75 करोड़ पात्र परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिया गया है। इस योजना ने प्रदेश की करोड़ों माताओं-बहनों को धुएं से मुक्ति दिलाकर उनका जीवन बदल दिया है।


योगी के कमान संभालते ही आई प्रक्रिया में तेजी


वर्ष 2017 के पहले उत्तर प्रदेश में जहां इस योजना की गति बहुत धीमी थी। वहीं, प्रदेश की कमान जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई तो इस योजना के क्रियान्वयन में तेजी आई। इसी का नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में देश में प्रथम स्थान पर है। यही नहीं, होली और दीपावली पर योगी सरकार प्रदेश की महिलाओं को एक-एक सिलेंडर निःशुल्क दे रही है। योजना के तहत आधार वेरीफाइड लाभार्थियों को निःशुल्क एलपीजी सिलेण्डर रिफिल कर वितरित किया जा रहा है।



'धुआं मुक्त रसोई' का सपना हुआ पूरा


प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से लाभान्वित हुई बस्ती जनपद के कप्तानगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत बढ़नी मिश्र की रहने वाली निर्मला देवी कहती हैं कि पहले वह लकड़ी से खाना बनाती थी, धुंए के कारण उनके आखों में जलन एवं स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता था। योजना के तहत गैस सिलेण्डर मिल जाने से समय की बचत के साथ ही उनका धुआं मुक्त रसोई का सपना भी पूरा हो गया है। अब उनकी आंखों में जलन नहीं होती और भोजन भी अपेक्षाकृत जल्दी बन जाता है।


लकड़ी जलाकर खाना पकाने से मिली मुक्ति


आगरा के लोहामंडी की रहने वाली राधा कुमारी कहती हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा शुरु की गई उज्ज्वला योजना से गैस का सिलेण्डर, चूल्हा, पाइप व रेगुलेटर निःशुल्क प्राप्त हुआ है। उन्होंने ने भी बताया कि पहले उन्हें चूल्हे पर लकड़ी जलाकर खाना पकाना पड़ता था, जिससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। आंखों में धुआं लगता था, मगर अब गैस से आसानी से खाना बन जाता है। इसके लिए, वह प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देती हैं।



वोकल फॉर लोकल अपनाकर 'ब्रांड अरगा' के रूप में अपनी सशक्त पहचान बना रहीं यूपी की महिलाएं




गोण्डा की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाकर उसकी मार्केटिंग और

डिस्ट्रिब्यूशन के लिए बनाया 'ब्रांड अरगा'


स्वयं सहायता समूह, ओडीओपी, खाद्यी ग्रामोद्योग और एफपीओ के सदस्यों को समाहित कर सुचारू रूप से की जा रही तैयार खाद्य पदार्थों की बिक्री


उत्पादों को ब्रांड अरगा के रिटेल आउटलेट के साथ ही आईटीसी, स्मार्ट बाजार और वी मार्ट जैसे मेगा रिटेल स्टोर से भी आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा


जल्द ही ऑनलाइन भी मिलेंगे प्रोडक्ट्स, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अरगा ब्रांड के प्रोडक्ट्स लिस्ट कराने की तैयारी


अरगा ब्रांड से जुड़ीं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रतिमाह हो रही सम्मानजनक आय, बड़े पैमाने पर इनके परिवार भी हो रहे लाभान्वित


लखनऊ/गोण्डा, 7 मार्च। उत्तर प्रदेश की महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में जुटी योगी सरकार के प्रयास अब मूर्त रूप ले रहे हैं। गोण्डा की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इसको चरितार्थ कर दिखाया है। जिला प्रशासन की मदद से यहां स्वयं सहायता समूहों ने वोकल फॉर लोकल के मंत्र को आत्मसात करते हुए ब्रांड अरगा की शुरुआत की है। इस ब्रांड के तहत न सिर्फ महिलाएं तमाम तरह के खाद्य उत्पाद तैयार कर रही हैं, बल्कि उनकी मार्केटिंग और डिस्ट्रिब्यूशन भी कर पा रही हैं। इन उत्पादों को अरगा ब्रांड के रिटेल आउटलेट के साथ ही आईटीसी, स्मार्ट बाजार और वी मार्ट जैसे मेगा रिटेल स्टोर से भी आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। वहीं, जल्द ही इसे अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी लिस्ट कराने की तैयारी है। खास बात ये है कि इस ब्रांड अरगा के माध्यम से महिलाओं को 30 से 35 हजार रुपए प्रतिमाह तक की आय भी हो रही है, जिससे बड़े पैमाने पर इनके परिवार भी लाभान्वित हो रहे हैं। वहीं आम लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो पा रहे हैं। ब्रांड अरगा का संचालन उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत किया जा रहा है, जिसका मूल उद्देश्य स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाओं की आजीविका संर्वधन का है। इसकी पूर्ति के लिए महिलाओं को उनकी परिस्थिति एवं इच्छानुसार प्रशिक्षण देकर रोजगारपरक गतिविधियों से जोड़ा जाता है।


और अधिक प्रोडक्ट्स जोड़ेगा ब्रांड अरगा


ब्रांड अरगा के तहत 45 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जिससे सीधे-सीधे इनसे ताल्लुक रखने वाले 10 हजार लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। आईटीसी, स्मार्ट बाजार जैसे बड़े रिटेलर्स के साथ ही करीब 30 एमओयू किए गए हैं। वहीं, ब्रांड अरगा के उत्पादों से 15 से 20 प्रतिशत तक प्रॉफिट मार्जिन भी मिल रहा है और प्रत्येक महिला को प्रतिमाह अच्छी खासी आय हो रही है। ब्रांड अरगा द्वारा डिमांड और सप्लाई साइकिल को बरकरार रखने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत सभी अरगा प्रोडक्ट्स के लिए एक सेपरेट आउटलेट शुरू किया जा रहा है, जबकि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से प्रोडक्ट्स की बिक्री की योजना है। इसके साथ ही फेज-2 में करीब 80 अन्य लोकल प्रोडक्ट्स को नियमित ट्रेनिंग के आधार पर शुरू किए जाने की भी योजना पर कार्य चल रहा है। यही नहीं, बारकोड जेनरेशन के जरिए मार्केट फीडबैक के आधार पर प्रोडक्ट्स को और बेहतर बनाने पर भी फोकस किया जा रहा है।



उत्पादों की ब्रांड इमेज की गई तैयार


गोण्डा की डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट अरगा एक ऐसी पहल है जिसके तहत एक अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर को सिस्टमैटिक तरीके से एक मार्केट प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है। यह आर्थिक स्वावलंबन की तरफ एक बड़ा और बेहतर कदम है। खासतौर पर महिला सशक्तिकरण के लिए इसमें बहुत तत्व है। उन्होंने कहगा कि आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाओं के द्वारा गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार तो कर लिए जाते हैं, लेकिन उनके उत्पादों के विपणन के लिए एक व्यवस्थित बाजार का मंच नहीं उपलब्ध हो पाता है। इस समस्या का सर्वे करने पर यह तथ्य उभरकर सामने आया कि उत्पादों की एक ब्रांड इमेज तैयार की जाए जिससे समूहों द्वारा उत्पदित उत्पादों को पहचान मिल सके। इसी परिकल्पना का मूर्त रूप 16 जून 2023 को ब्रांड अरगा के रूप में उभर कर सामने आया। ब्रांड अरगा को मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन में ट्रेड मार्क के लिए रजिस्टर्ड करवाया गया है। आज ब्रांड अरगा के तहत स्वयं सहायता समूह, ओडीओपी, खाद्यी ग्रामोद्योग और एफपीओ के सदस्यों को समाहित करने हेतु उनके द्वारा तैयार खाद्य पदार्थ की मार्केटिंग सुचारू रूप से की जा रही है। विभिन्न खुदरा व्यापरियों द्वारा ब्रांड अरगा के उत्पादों को अपने प्रतिष्ठान से विक्रय किया जा रहा है। गोण्डा विकास भवन परिसर में स्थापित अरगा रूरल मार्ट स्टोर में ब्रांड अरगा के उत्पादों की एक श्रृंखला उपलब्ध है।


प्रशिक्षण लेकर तैयार किए जा रहे उत्पाद


ब्रांड अरगा से जुड़ीं महिला उद्यमी प्रतिभा शर्मा ने बताया कि हम यहां पर कई तरह के उत्पाद बना रहे हैं। इनमें वैदिक घी भी शामिल है जो वैदिक विधि से बनाया जाता है। इसके लिए हमने गुजरात जाकर गिरि संस्थान से ट्रेनिंग ली है। इसको बनाने में औषधियुक्त लकड़ियों का उपयोग किया जाता है जो बहुत से रोगों के निवारण में प्रयुक्त होती हैं। इसी तरह एक अन्य उद्यमी ऊषा तिवारी ने कहा कि प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर विशेष फोकस होता है, क्योंकि जो चीज अच्छी दिखेगी तभी अच्छी बिकेगी। पहले हमारी आमदनी 3-4 हजार ही थी, लेकिन अब 35-40 हजार तक कमा रहे हैं, जिससे घरवाले भी काफी खुश हैं। मालूम हो कि वर्तमान में 18 ग्राम संगठन और 245 स्वयं सहायता समूह ब्रांड अरगा से जुड़े हुए हैं। कुल 2940 परिवार सीधे तौर पर इससे लाभान्वित हो रहे हैं। इसके सभी उत्पाद एफएसएसआई द्वारा पंजीकृत है और ग्राहकों के लिए सहज उपलब्ध हैं।


ये उत्पाद हो रहे तैयार


ब्रांड अरगा के अंतर्गत विभिन्न उत्पाद जैसे दाल, चावल, सरसों का तेल, अचार, पापड़, बड़ी, मक्के का आटा, ज्वार का आटा, बाजरे का आटा, मल्टीग्रेन आटा, बेसर सत्तू, जौ का आटा, सिंघाड़े का आटा, कुटु का आटा, मक्के की दलिया, गेहूं की दलिया, बेकरी उत्पादन, नमकीन, शहद, बी पोलेन, मोरिंगा पाउडर, बुकनू, त्रिफना जूस, एलोवेरा जूस, आंवला जूस, सिरका, देशी घी, हल्दी, धनिया, खड़े मसाले, नूडल्स, विभिन्न प्रकार के सब्जी मसाले, बिरयानी मसाला, गुड़ के विभिन्न उत्पाद, रागी का लड्डू, अलसी का लड्डू, मक्के का लड्डू, गुड़ के विभिन्न उत्पाद, कैडी, जैम, जेली, मोटे अनाज व अन्य तैयार किए जा रहे हैं।


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