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खुद बीमार हैं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की मोहल्ला क्लीनिक: विक्रम मित्तल



( लेख - विक्रम मित्तल : उद्यमी एवं राजनीतिक विश्लेषक)


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनका प्रचार तंत्र चाहे जितना झूठ बोल ले, अब केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के बाकी हिस्सों में भी लोग उनके झूठे दावों का सच जान गए हैं। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने अपने मजबूत तर्कों से दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की पोल खोली है। यह इस बात का संकेत है कि झूठे वादों और दोगली योजनाओं के दम पर कुछ समय के लिए लोगों को बेवकूफ बनाया जा सकता है लेकिन बाद में पोल खुलती है और सत्ता से बेदखल होना पड़ता है।


आज की तारीख में दिल्ली जैसे राष्ट्रीय राजधानी वाले क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक खोलना खानापूर्ति तो हो सकता है लेकिन इसके जरिए स्वास्थ्य सेवाओं के अंतरराष्ट्रीय मानकों की अवहेलना के साथ ही आम लोगों की जान को जोखिम में भी डाला जा रहा है। यह कोई हवा हवाई बात नहीं है। इसके कुछ ऐसे प्रमाण हैं जो इस बात को साबित करते हैं कि दिल्ली की सरकार दिल्ली के आम लोगों के स्वास्थ्य को लेकर खिलवाड़ कर रही है। जिसके दूरगामी परिणाम बेहद भयानक होंगे। मोहल्ला क्लीनिक के साथ साथ अन्य मुफ्त की योजनाओं के जरिए भी दिल्ली को कर्ज के बोझ के तले लादा जा रहा है।


बहरहाल, जहां तक बात है मोहल्ला क्लीनिक में खामियों की, तो ऐसी कई बुनियादी खामियां हैं जिसके चलते मोहल्ला क्लीनिक स्कीम सवालों के घेरे में हैं। आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2021 की मोहल्ला क्लीनिक में इलाज करवाने से 3 बच्चों की जान तक चली गई। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है। आप के लिए यह जानना भी जरुरी है कि मोहल्ला क्लीनिक का ज्यादातर स्टाफ टेंडर बेस पर काम कर रहा है। समस्या सिर्फ इतनी भर नहीं है बल्कि इसके इतर इन लोगों को वक्त पर भुगतान भी नहीं मिल पाता। वजह एकदम साफ है कि जब सरकार मुफ्त में सब कुछ देगी तो खजाना खाली हो जाएगा। जब खजाना खाली हो जाएगा तब समय पर भुगतान कहां से होगा ? यही वजह है कि मोहल्ला क्लीनिक में स्टाफ लापरवाहियों की खबरें लगातार सामने आती हैं.



बात यहीं पर नहीं थमती। मोहल्ला क्लीनिक खुद बीमार हैं। मोहल्ला क्लीनिक्स की खस्ता हालत ये बताने के लिए काफी है कि लोगों के इलाज से पहले खुद क्लीनिक का इलाज जरुरी है। मोहल्ला क्लीनिक को लेकर जो तस्वीरें सामने आती है वो डराने वाली हैं। कहीं मोहल्ला क्लीनिक में पानी भरा है, कहीं सीमेंट के कट्टे रखे हैं, कई मोहल्ला क्लीनिकों पर ताला जड़ दिया गया है। भले ही सरकार हाईटेक मोहल्ला क्लीनिक्स का दावा करती है लेकिन सच यह है वक्त पर बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो पातीं हैं।


असम के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली सरकार को मोहल्ला क्लीनिक के बजाए एम्स या फिर हाई स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर फोकस करना चाहिए। क्या दिल्ली की सरकार इस दिशा में कुछ पाएगी ? दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार, मोदी सरकार द्वारा बनाए गए एम्स और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को अपने झूठे प्रचार के माध्यम से क्रेडिट लेने की कोशिश करेगी।


दिल्ली की केजरीवाल सरकार की पोल खुल चुकी है। दिल्ली ही नहीं देश के बाकी हिस्सों में भी दिल्ली सरकार के प्रचारित झूठ की कलाई खुलने लगी है। यह सच है कि दिल्ली की सरकार झूठी लीपापोती के दम पर कुछ दिन सत्ता का सुख भोग सकती है लेकिन झूठ की बुनियाद पर चीजें ज्यादा लंबी नहीं चलती। ऐसे में आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी सत्ता से बेदखल हो जाए तो कोई अचरज की बात नहीं होगी।


( लेख - विक्रम मित्तल : उद्यमी एवं राजनीतिक विश्लेषक)















यह लेख लेखक के निजी विचार हैं।


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