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मुस्लिम “अल-तकिया” की चाल समझ रहा है हिंदू जनमानस, फिर भी इकबाल अंसारी को मिला भूमिपूजन का न्यौता


जैसे जैसे राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। हिंदू जनमानस अगर राममय हुआ जा रहा है जो बहुत सारे मुस्लिम भी ऐसे हैं जो राम में अपनी आस्था जता रहे हैं।


अयोध्या मैं बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी पीएम नरेंद्र मोदी को अयोध्या में राम मंदिर आधारशिला भूमि पूजन कार्यक्रम के आगमन पर उनका स्वागत हिन्दू धार्मिक पवित्र ग्रंथ श्री रामचरितमानस की पुस्तक भेंट कर करना चाहते है । यही नही इकबाल अपने हाथ से पीएम नरेंद्र मोदी को रामनामी ओढ़नी भी पहनाना चाहते है। सोमवार को कार्यक्रम का पहला आमंत्रण पत्र बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी को भेजा गया। मिमंत्रण पत्र पाकर अंसारी काफी खुश दिखे।



इसी तरह एक फैज खान हैं जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चंद्रखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर से मिट्टी लेकर मोहम्मद फैज खान अयोध्या के लिए निकले हैं। मोहम्मद फैज की चाहत है कि भगवान राम के ननिहाल की मिट्टी भी अयोध्या में बनने जा रहे भव्य मंदिर की नींव में डाली जाए। फैज खान रायपुर के चंद्रखुरी मंदिर से मिट्टी लेकर अयोध्या की पदयात्रा पर निकल पड़े हैं।


कुछ मुस्लिम ऐसे भी हैं जो राम नाम के गीत, डाक्यूमेंट्री और अलग अलग तरह के प्रचार प्रसार से खुद को रामभक्त दिखा रहे हैं। लखनऊ के कट्टर मुस्लिम बुक्कल नवाब अपनी अवैध सम्पत्तियों को बचाने के लिए रामभक्त बनकर घूम रहे हैं। घंटा घड़ियाल बांधने से लेकर ईंट रखने का इरादा जाहिर कर चुके हैं। लेकिन शहर का हर शख्स जानता है कि बीजेपी सरकार बनने से पहले बुक्कल किस तरह कट्टर मुस्लिम की पहचान रखते हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार में उनका क्या जलवा जलाल था।


भारत की जनता और खासकर रामभक्तों को ऐसे लोगों से विशेष सावधानी की जरुरत है। मुस्लिम धर्म के जो लोग आज खुद को रामभक्त दिखा रहे हैं उनकी यदि वास्तव में हिंदू धर्म या राम में आस्था होती तो वो घर वापसी कर चुके होते। लेकिन ऐसा है नहीं।


मुस्लिम बने ऐसे रामभक्त दरअसल मुस्लिमों की ही अल तकैया शाखा के सदस्य हैं। ये लोग हिंदुओं के बीच कुछ इस तरह से घुसपैठ बनाने की कोशिश करते हैं जिससे ये भ्रम पैदा हो कि मुस्लिम समुदाय भी भारतीय संस्कृति से रचा हुआ है और उनकी हिंदू धर्म में पूर्ण आस्था है। लेकिन ऐसा है नहीं । तमाम सूफी, औलिया, पीर , फकीर समय समय पर हिंदुओं को अपने झांसे में लेकर धर्म परिवर्तन से लेकर कट्टर मुस्लिमों के बीच मुखबिरी का काम करते हैं।


इस्लाम मे माना जाता है सबसे ताकतवर हथियार ‘अल-तकिया’

अल तकिया के अनुसार यदि इस्लाम के प्रचार, प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा, द्वेष अपने वादे से मुकर जाना काफिरों (हिन्दू) का विस्वास जितना और उनको घात लगाकर पीछे से हमला करना यहाँ तक की कुरान की झूठी कसमे खाना – सब धर्म स्वीकृत है। ये इनके अल्लाह का फरमान है। इस प्रकार अल तकिया ने मुसलामानों को सदियों से बचाए रखा है। इसने इस्लाम के प्रचार प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों कायरों की सेनायें नहीं कर पायीं। ये अल तकिया जिहाद का सबसे खतरनाक रूप है। ये एक मीठा जहर है। अल तकिया सभी तरह के जिहादों का समावेश है।


अलतकिया मुसलमानों के विश्वासघात के अन्य उदाहरण –

1 -मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरान की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहीं करेगा, लेकिन हमला किया ।

2 -अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ के राणा रतन सिंह को दोस्ती के बहाने बुलाया फिर क़त्ल कर दिया ।

3 -औरंगजेब ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने आगरा बुलाया फिर धोखे से कैद कर लिया ।

4 -औरंगजेब ने कुरान की कसम खाकर श्री गोविन्द सिघ को आनद पुर से सुरक्षित जाने देने का वादा किया था। फिर हमला किया था।

5 -अफजल खान ने दोस्ती के बहाने शिवाजी की ह्त्या का प्रयत्न किया था ।

6-मित्रता की बातें कहकर पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला किया था ।

सबसे गौर करने वाली बात ये है कि इकबाल अंसारी जो हाशिम अंसारी की मौत के बाद राम मंदिर मामले में मुख्य मुद्दई थे अब उनकी ज्यादातर फोटो अरब के किसी शेख लुक में आ रही हैं। बाबरी केस में अरब देशों की फंडिंग किसी से छिपी नहीं है।


अब जब राममंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरु होने के अपने अंतिम पड़ाव पर है हिंदूजनमानस ना तो गंगाजमुनी तहजीब समझना चाहता है और ना ही ऐसे लोगों का किसी रुप में आमेलन चाहता है जो जब तक लड़ सके हिंदुओं से लड़े और जब हार गए तो अल तकिया के तले रामनामी,मानस और मिट्टी वगैरह लेकर घालमेल पैदा करने की जुगत में हैं।


टीम स्टेट टुडे



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