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‘षड्यंत्र के तहत हिजाब विवाद को दिया गया सांप्रदायिक रंग’-नकवी


नई दिल्ली, 9 फरवरी 2022 : कर्नाटक के कालेजों में शुरु हुआ हिजाब को लेकर विवाद अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। हिजाब विवाद को लेकर हर कोई राजनेता अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। इसी बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हिजाब विवाद को षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा है कि, कुछ लोग षड्यंत्र के तहत ड्रेस कोड और संस्थानों के फैसले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि, हिजाब विवाद को तूल देकर भारत की समावेशी संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है।

नकवी ने साधा पाकिस्तान पर निशाना

दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हिजाब विवाद में पाकिस्तानी नेताओं की एंट्री पर टिप्पणी की। उन्होंने पाकिस्तान के मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चौधरी फवाद हुसैन के बयान की आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा कि, अपने देश में अल्पसंख्यकों पर जुर्म और जुल्म का जंगल बन चुका पाकिस्तान, हमें सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता पर ज्ञान दे रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के सामाजिक-शैक्षिक-धार्मिक अधिकारों को को बेशर्मी से कुचला जा रहा है।

मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि, मुसलमानों सहित अल्पसंख्यकों के समान अधिकार, सम्मान और समृद्धि सहिष्णुता, सद्भाव और समावेशिता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। उन्होंने कहा, दुनिया में रहने वाले हर 10 मुसलमान में से एक मुसलमान भारत में रहता है। भारत में तीन लाख से ज्यादा सक्रिय मस्जिदें हैं, और अन्य इबादतगाहें भी हैं। उन्होंने बताया कि, देश में 50 हजार से ज्यादा मदरसें हैं, और 50 हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान. इसके अतिरिक्त देश के सभी संस्थानों-सुविधाओं पर अल्पसंख्यक समाज के लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

‘पाकिस्तान के मुकाबले भारत के अल्पसंख्यक सुरक्षित'

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी यहीं नहीं रुके उन्होंने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म को लेकर उन पर हमला बोला। उन्होंने कहा, आजादी से पहले पाकिस्तान में 1,288 मंदिर थे, लेकिन अब केवल 31 ही बचे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी, जो विभाजन के दौरान कुल आबादी का लगभग 23 प्रतिशत थी, अब घटकर तीन प्रतिशत से भी कम हो गई है। मंत्री ने कहा कि, भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी, जो विभाजन के दौरान कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत थी, अब बढ़कर 22 प्रतिशत से अधिक हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, भारत में अल्पसंख्यक समानता, सुरक्षा और समृद्धि की भावना के साथ फल-फूल रहे हैं।

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