सबसे पहले क्या था। ये सवाल आज भी विज्ञान के लिए अबूझ पहेली है।
बचपन में जैसे जैसे कक्षाएं बढ़ी हमने जाना अणु होता है, परमाणु होता है, इलेक्ट्रान, न्यूट्रान, प्रोटान होता है। फिर इन पार्टिकल्स के पार्टिकल्स के बारे में भी पढ़ा लेकिन सबसे पहले क्या था इस सवाल का जवाब नहीं मिला।
आपको ध्यान होगा कुछ वर्ष पहले स्विटजरलैंड में धरती के नीचे गॉड पार्टिकल की तलाश शुरु हुई। यानी उस कण की तलाश जिससे इस पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति का जनक कहा जा सके। ये प्रयोग अभी भी चल रहे हैं। कुछ कामयाबी मिली लेकिन अंतिम उत्तर अब तक नहीं मिला।
इस बीच वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष से आए घोस्ट पार्टिकल की तलाश शुरु कर दी है। यानी ब्रह्मांड का वो मायावी कण जिससे दरअसल डार्क मैटर का निर्माण हुआ है। ये नगण्य भार वाला कण है जिसमें अनंत रहस्य छिपे हो सकते हैं।
आपको जानकर और भी आश्चर्य होगा कि अतंरिक्ष से आए इस घोस्ट पार्टिकल की वैज्ञानिक तलाश कर रहे हैं।
घोस्ट पार्टिकल की तलाश में हो रहे शोध को आगे बढ़ाने के लिए बीते दिनों दुनिया की सबसे गहरी झील में एक नया टेलीस्कोप लगाया गया है। बैकल नामक यह झील रूस में स्थित है। इसी झील में टेलीस्कोप करीब एक मील की गहराई पर लगाया गया है।
घोस्ट पार्टिकल यानी ब्रह्माण्ड का सबसे मायावी कण
घोस्ट पार्टिकल को वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड का सबसे मायावी कण है। घोस्ट पार्टिकल को खोजना और देखना बेहद चुनौतीपूर्ण है। ये अतिसूक्ष्म कण न्यूट्रिनो कहलाते हैं। इनमें भार होता ही नहीं है। इन पर किसी तरह का निगेटिव या पॉजिटिव चार्ज भी नहीं होता। ब्रह्माण्ड में मौजूद ज्यादातर न्यूट्रिनो का निर्माण बिग बैंग यानी ब्रम्हांड के जन्म के दौरान हुआ था। इसलिए इन कणों के अध्ययन से वैज्ञानिक यह जानने में सक्षम होंगे कि आज ब्रह्माण्ड ऐसा क्यों दिखता है और डार्क मैटर जैसी रहस्यमय ताकतों के बारे में भी इससे सुराग मिलेंगे।
क्या होती है न्यूट्रिनो की खासियत
न्यूट्रिनो ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाने वाला कण है।
हमारे शरीर से हर सेकेंड 10 ट्रिलियन न्यूट्रिनो कण गुजर जाते हैं।
इनका पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि ये अवशोषित किए बिना पदार्थ से गुजरते हैं।
न्यूट्रीनो चुंबकीय क्षेत्रों से प्रभावित नहीं होते हैं।
न्यूट्रीनो तटस्थ चार्ज वाले कण हैं यानी ये किसी भी चीज के साथ इंट्रैक्ट नहीं होते हैं।
इनकी रफ्तार प्रकाश की रफ्तार के बराबर होती है।
क्यों चुनी गई रुस की लेक बैकल
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब न्यूट्रिनो पानी में गति करते हैं, तो वे चेरनकोव विकिरण के रूप में जाने वाली ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं, जो प्रकाश पैदा करती है। लेक बैकल की गहराई और साफ पानी प्रकाश के इन झटकों का अवलोकन करने में मददगार साबित हो सकती है।
कैसा है टेलिस्कोप
झील में लगाया गया बैकल-गिगाटन वाल्यूम डिटेक्टर टेलीस्कोप उत्तरी ध्रुव में लगा सबसे विशाल न्यूट्रिनो टेलिस्कोप है। यह डिटेक्टर टेलिस्कोप झील में 0.4 और 0.8 मील यानी 700 से 1300 मीटर के बीच की गहराई के बीच लगा हुआ है। यह टेलीस्कोप एक मील के दसवें हिस्से के बराबर चौड़ी, लंबी और ऊंची है।
बैकल झील में लगे इस डिटेक्टर के निर्माण का प्रोजेक्ट 2015 में शुरू हो गया था। इस टेलीस्कोप की कीमत 34 मिलियन अमेरिकी डॉलर है और चेक रिपब्लिक, जर्मनी, पोलैंड, रूस और स्लोवाकिया इस पर मिलकर काम कर रहे थे।
अगर वैज्ञानिकों को घोस्ट पार्टिकल के बारे में और अधिक जानकारी मिलती है तो ब्रह्मांड के रहस्यों की परतें कुछ और खुलेंगी।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि ये दुनिया, ये अतंरिक्ष , ये समस्त ब्रह्मांड और उससे भी ऊपर और पहले क्या है इसका जवाब अब तक अनंत में तलाशा ही जा रहा है।
टीम स्टेट टुडे
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