बरेली, 12 मार्च 2022 : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दिए गए एक संकेत से भाजपा के दर्जन भर नेता फंस गए। यह जानकर आपको हैरानी हो रही होगी। लेकिन पीलीभीत में पार्टी हाईकमान के रडार पर आए दर्जन भर नेताओं का संकेत सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ही दिया था। दरअसल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने भाषण में एक बात बोली थी। जिसको पार्टी के दिग्गजों ने काफी गंभीरता से लिया। जिसके बाद पार्टी के नेताओं ने अपनी रणनीति में थोड़ा सुधार किया। जिसका फायदा उन्हें पीलीभीत सहित अन्य जनपदों में मिला।
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बोली थी ये बात
दरअसल टिकट बांटने के दौरान भाजपा ने कुछ दावेदारों के टिकट काट दिए थे।टिकट काटे जाने से असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी तो नहीं छोड़ी लेकिन भीतरघात करने का मन बनाया।इसी दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा कि भाजपा के लोग नहीं चाहते कि भाजपा जीते। अखिलेश यादव के भाषण की इस बात को पार्टी के नेताओं ने बड़ी गंभीरता से लिया और उन्होंने नई रणनीति तैयार की।
भाजपा ने दावेदारों के लिए अपनाई ये रणनीति
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इस बयान को लेकर भाजपा नेता ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया।जब मतदान को लेकर विपक्षी पार्टियां अपना फोकस मतदाताओं पर कर रहीं थीं।तब भाजपा दोहरी नीति पर काम कर रही थी।पहला तो पार्टी के नेता जनता के बीच अपना माहौल तैयार करने में जुटे थे।जिसकी ओर सभी पार्टियों का ध्यान था। वहीं दूसरी ओर पार्टी की एक टीम संदिग्ध दावेदारों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही थी। जिसकी पल पल की जानकारी शीर्ष नेताओं को भी मिल रही थी।
शाह और राजनाथ की सभा में किया आंकलन
दरअसल पार्टी के जानकारों ने इन नेताओं का आंकलन अमित शाह और राजनाथ की सभा से किया।जिसमें संदिग्ध दावेदारों ने अपनी उपस्थिति तो दर्ज कराई। लेकिन धरातल स्तर पर पार्टी के लिए काम करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं दिखी। जिसके बाद उनके आगे के इरादों को जानने के लिए पार्टी ने चुपचाप पूरे चुनाव भर उनकी सभी गतिविधियों पर खास नजर रखी और उसी के हिसाब से काम भी किया।
टिकट फाइनल करने के बाद आमने आई थी स्थिति
दरअसल पीलीभीत की सदर सीट पर कई नेताओं ने दावेदारी की थी।जिसके बाद पार्टी ने संजय गंगवार का टिकट फाइनल कर दिया।इससे पार्टी के लोगों में खलबली मची। दावेदार पार्टी के इस फैसले का खुलकर तो विरोध नहीं कर सके। लेकिन असंतुष्ट नेता अंदरखाने से अपनी ही पार्टी के नेता का नुकसान करने की कोशिशों में जुट गए। लेकिन अखिलेश यादव के संकेत से अलर्ट हुई भाजपा ने इस सीट को बचाते हुए संदिग्धों की भी पहचान की।
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