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तेलंगाना में हैट्रिक मारने का केसीआर का सपना अधूरा रह गया - हनुमंत राव


आखिरकार वो घड़ी आ गई जिसका इंतजार देश को लोगों का था...पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के नतीजे आ गए हैं...मिजोरम विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती आगे बढ़ा दी गई थी हालांकि मिजोरम के भी चुनाव नतीजे रविवार को ही आने थे लेकिन सियासी पार्टियों की अपील पर यहां के वोटों की गिनती एक दिन के लिए आगे बढ़ाई गई...


जिन चार राज्यों के विधानसभा के नतीजे आए हैं उनमें से तीन राज्यों में कमल खिल गया है जबकि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बना रही है..तेलंगाना में सीएम केसीआर की बीआरएस यानी भारतीय राष्ट्र समिति को भारी नुकसान हुआ है...बीआरएस सत्ता से बाहर हो गई है...दो बार के मुख्यमंत्री केसीआर को सत्ता से 'हाथ' धोना पड़ा है..मुख्यमंत्री केसीआर तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सत्ता की हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में उतरे थे...उनके साथ खुद को मुसलमानों का हितैशी कहने वाले और मुसलमानों के लिए आवाज बुलंद करने वाले एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का भी साथ था...लेकिन केसीआर के सामने दो बड़ी पार्टियों की ऐसी चुनौती थी जिसको पार कर पाना केसीआर के लिए काफी मुश्किल हो गया...खासतौर पर कांग्रेस ने बीआरएस को पूरी तरह से पीछे ढकेल दिया..


केसीआर की मंशा लतगातर तीन जीत दर्ज करके दक्षिण में इतिहास रचने पर नजर जरूर रही होगी क्योंकि दक्षिण का कोई भी नेता लगातार तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बन सका है..लेकिन केसीआर सत्ता बचाना तो दूर खुद अपनी सीट से भी हाथ धो लिए..मुख्यमंत्री केसीआर दो विधानसभा सीटों से मैदान में उतरे थे लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने केसीआर के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतार कर उनका रास्ता बहुत मुश्किल कर दिया... केसीआर अपनी परंपरागत सीट गजवेल और कामारेड्डी से मैदान में उतरे लेकिन उनको कामारेड्डी में हार का सामना करना पड़ा...केसीआर कमारेड्डी सीट पर पहली बार उतरे और उनके सामने कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी रेवंत रेड्डी को उतारा..बीजेपी ने के वेंकट रमन्ना रेड्डी को उतारा...कांग्रेस और बीजेपी के मजबूत उम्मीदवारों ने केसीआर को यहां से मुश्किलों में इजाफ कर दिया...कामारेड्डी इलाका केसीआर की जन्मभूमि माना जाता है, लेकिन रेवंत के उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया था...कामारेड्डी की सीट पर बीजेपी उम्मीदवार कट्टिपल्ली वेंटक रमण रेड्डी ने केसीआर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी दोनों को शिकस्त दोकर हॉट सीट पर कब्जा जमा लिया.. रेवंत रेड्डी कोडंगल जब्कि केसीआर गजवेल से चुनाव जीत गए...केसीआर और रेवंत रेड्डी दो- दो सीटों पर मैदान में थे...


तेलंगाना के गठन के बाद से राज्य में ये तीसरा चुनाव था...तेलंगाना राज्य का गठन 2013 में हुआ था...दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा जमाने के बाद केसीआर की नजर तीसरी बार भी जीत पर थी...लेकिन यहां से केसीआर को न सिर्फ सत्ता गंवानी पड़ी है बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को साथ लाने के उनके अभियान पर भी चोट लगी है...लेकिन केसीआर को इतनी बड़ी हार का सामना क्यों करना पड़ा...क्या ऐंटी एनकबेंसी फैक्टर था या केसीआर का राष्ट्रीय सियासत की तरफ झुकाव...या फिर राज्या की जनता ने कांग्रेस में भरोसा देखा..


दरअसल केसीआर 2018 में जीत दर्ज करने के बाद से ही लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे की बात करने लगे थे..वो इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुए ताकि तीसरा मोर्चा बनाकर उसकी अगुवाई कर सकें...शायद इसी वजह से राज्य के मुद्दों पर जितनी तवज्जो उनकी देनी थी वो नहीं दे पए और दूसरी तरफ जनता को कांग्रेस में एक उम्मदी दिख गई...कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां केसीआर को चुनाव से पहले ही भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों को लेकर घेरने लगीं थीं लेकिन केसीआर उन दिनों तीसरा मोर्चा बनाने की मंशा के तहत अन्य राज्यों के लीडरों से मुलाकात कर रहे थे...केसीआर शायद तेलंगाना में अपनी जीत को लेकर अश्वस्त थे या फिर ये कह लीजिए कि वो जनता के मूड को अच्छी तरह से समझ नहीं पाए...


कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी तेलंगाना में कांग्रेस के सूत्रधार बने हैं...तेलंगाना में जीत का सबसे ज्यादा श्रेय रेवंत रेड्डी को जाता है...रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं... रेवंत रेड्डी 2019 में तेलंगाना से जीतने वाले तीन कांग्रेस लोकसभा विधायकों में से हैं...रेड्डी ने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की थी...बाद में वह चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए..2009में वह टीडीपी के टिकट पर आंध्र प्रदेश के कोडिंगल से विधायक चुने गए..2014 में उन्हें तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी का हाउस लीडर चुना गया..लेकिन जब उन्होंने कांग्रेस में एंट्री की तो फिर कांग्रेस को राज्य में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा दिया...


हालांकि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसी कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन उसकी पिछले विधानसभा सीटों के मुकाबले इस बार सीटो में इजाफा हुआ है...जोकि बीजेपी के लिए अच्छा संकेत कहा जा सकता है...हालांकि एस समय ऐसा था जब राज्य में बंडी कुमार संजय ने बीजेपी की अच्छी खासी फसल तैयार कद दी थी...बीजेपी राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट हासिल कर सकी थी ,इस बार उसकी सीटों में इजाफा जरूर हुआ है लेकिन इतना नहीं कि जिससे वो खुश हो सके...लेकिन बीजेपी ने बंडी कुमार संजय को मुख्य पद से हटाकर शायद उस जमीन को को दिया जो बंडी कुमार संजय ने तैयार की थी...क्योंकि ये बंडी संजय थे जो केसीआर को उनकी पॉलीसियों को लेकर लगातार घेरते थे...बंडी संजय असदुद्दीन ओवैसी के लेकर भी केसीआर पर हमला बोलते रहते थे..वो आरोप लगाते कि केसीआर ओवैसी के खुशकरने के लिए काम करते हैं.. अगर बीजेपी बंडी संजय के द्वारा तैयार की गई जमीन पर तेलंगाना में फसल काटती तो शायद उसकी सीटे और भी आ सकती थी...


तेलंगाना की सियासत में असदुद्दीन ओवौसी की एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन का अहम रोल है...एआईएमआईएम हैदराबाद के मुसलमानों पर तगड़ी पकड़ है..और यहां के मुसलमान ओवैसी की पार्टी को वोट देते हैं...असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं...उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिनमें से सात सीटें हैदराबाद में हैं...ओवैसी ने राज्य की 119 यीटों में सिर्फ 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जब्कि बाकी सीटों पर बीआरएस को समर्थन दिया...एआईएमआईएम नौ सीटों में सात सीटों पर जीत दर्ज करके अपने पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को बरकरार रखा है...एमआईएम ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकूतपुरा, कारवां, राजेंद्रनगर और जुबली हिल्स में उम्मीदवार उतारे थे...जुबली हिल्स से पूर्व क्रेकेटर और कांग्रेस नेता अजहरुद्दीन भी मैदान में थे लेकिन इस सीट से बीआरएस को कामयाबी मिली.. एआईएमआईएम नौ सीटों में सात सीटों पर जीत दर्ज की है.. पिछले विधानसभा चुनाव में भी एआईएमआईएम की सात सीटें थीं...राजेंद्रनगर और जुबली हिल्स में ओवैसी की पार्टी को शिकस्त का सामना करना पड़ा..


श्री हनुमंत राव, वरिष्ठ पत्रकार
श्री हनुमंत राव, वरिष्ठ पत्रकार

तेलंगाना में में जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं उसने केसीआर की नींद जरूर उड़ा दी होगी..केसीआर को बीआरएस की शिकस्त का मंथन करने की जरूरत है तो कांग्रेस के सामने चुनावी वादों को पूरा करने का चैलेंग होगा...इन सबके बीच बढ़ी हुई सीटों को लेकर बीजेपी उत्साहित जरूर होगी...



लेखक श्री हनुमंत राव जी वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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