लखनऊ, 9 फरवरी 2022 : 2017 विधान सभा चुनाव की तरह कमल की सुनामी एक बार फिर लाने के लिए भाजपा प्रत्याशियों ने जनसंपर्क तेज कर दिया है वहीं समाजवादी पार्टी सहित दूसरी विपक्षी पार्टियां टिकट वितरण के दूसरे खेमों में भाग रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को संभालने में लगे हैं। नामांकन प्रक्रिया के बाद देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के किले में सेंध से पहले विपक्षी पार्टियों अंदरखाने चल रही उठापटक से पार पाकर लड़ाई के लिए कितना तैयार हो पाती हैं।
गत चुनाव में भाजपा ने नौ में से आठ सीटों पर परचम लहराया था। चुनाव से पहले भाजपा के लिए भी सबसे मुश्किल चुनौती सीटों पर टिकट वितरण को लेकर थी। राजनीतिक गलियारों में इस बात कर चर्चाएं जोरों पर थीं कि टिकट मनमाफिक नहीं हुए तो कई विधानसभा सीटों पर भाजपा को भितरघात का सामना कर पड़ सकता है। मगर जब टिकटों की घोषणा हुई तो अटकलों और कयासों पर विराम लग गया। सरोजनीनगर सीट पर मंत्री स्वाति और उनके पति भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर के बीच टिकट को लेकर जोर आजमाइश को भी संगठन ने कुशल प्रबंधन से निपटाया और पूर्व आइपीएस राजेश्वर सिंह को खड़ा कर दिया। इस तरह कैंट सीट पर सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक और विधायक सुरेश तिवारी की दावेदारी के बीच कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को उम्मीदवार बनाकर चर्चाओं पर विराम लगा दिया।
भाजपा ने पांच नए प्रत्याशी उतारे लेकिन कहीं पर भी विरोध नजर नहीं आया। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में लगातार टिकट को लेकर पार्टी छोड़ने और दबाव की राजनीति जारी है। सरोजनीनगर की हाइप्रोफाइल सीट पर अब तक समाजवादी पार्टी के दो बड़े नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। मोहनलालगंज सीट पर मौजूदा विधायक अम्ब्रीश पुष्कर को टिकट देकर बैठाना भी चर्चा में है। यहां से सुशीला सरोज को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है जिनको पहले मलिहाबाद सुरक्षित सीट से उतारा जा रहा था। अम्ब्रीश पुष्कर ने हालांकि अपना नाम वापस ले लिया है लेकिन संगठन उनको कितना संतुष्ट कर पाया है यह आगे चुनाव में देखने वाला होगा। लखनऊ पश्चिम सीट से सपा ने अरमान खान को प्रत्याशी बनाया जिसे लेकर पूर्व विधायक रेहान खान सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
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