जम्मू कश्मीर में आतंकियों को पालने पोसने और उनके सहारे ही चुनाव जीतने वाली पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारतीय तिरंगे को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है साथ ही ऐलान किया है कि वो धारा 370 की वापस बहाली तक चुनाव नहीं लड़ेगीं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया कि वो जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाएंगी। मतलब महबूबा ने फिर से एक देश दो झंडे वाली सियासत को आगे करते हुए तिरंगा हाथ में लेने से इनकार कर दिया है।
तिरंगे पर विवादित बयान
महबूबा मुफ्ती ने कहा, "जिस वक्त हमारा ये झंडा वापस आएगा, हम उस तिरंगे झंडे को भी उठा लेंगे। मगर जब तक हमारा अपना झंडा, जिसे डाकुओं ने डाके में ले लिया है, तब तक हम किसी और झंडे को हाथ में नहीं उठाएंगे। वो झंडा हमारे आईन का हिस्सा है, हमारा झंडा तो ये है। उस झंडे से हमारा रिश्ता इस झंडे ने बनाया है"।
चुनाव ना लड़ने का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए महबूबा ने कहा कि कि आज बिहार में वोट बैंक के लिए पीएम मोदी को अनुच्छेद 370 का सहारा लेना पड़ रहा है। जब वे चीजों पर विफल होते हैं तो वे कश्मीर और 370 जैसे मुद्दों को उठाते हैं। महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि जब तक केंद्र सरकार धारा 370 को वापस नहीं करती तब तक मुझे कोई भी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं है।
गणतंत्र नहीं तो क्या
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में 370 को बहाल करने तक संघर्ष खत्म नहीं होगा। महबूबा का कहना है कि उनका संघर्ष कश्मीर समस्या के समाधान के लिए होगा।
महबूबा का चीनी राग
फारुख अब्दुल्ला के बाद महबूबा ने भी चीन का राग अलापा है। मुफ्ती के मुताबिक चीन ने लद्दाख में 1000 वर्ग किमी से अधिक जमीन पर कब्जा कर लिया। चीन ने धारा 370 को हटाने और भारत द्वारा किए गए परिवर्तनों पर खुलकर आपत्ति जताई है।
आपको बताते चलें कि महबूबा मुफ्ती को अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। महबूबा को 434 दिन बाद रिहा किया गया है। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने 370 की फिर से बहाली के लिए मुहिम शुरू की है। इस मुहिम में जम्मू-कश्मीर के ऐसे तमाम दल एक साथ आ खड़े हुए हैं जो पाकिस्तान के हाथों में खेलते हैं।
जहां आतंक ही महबूबा
सिर्फ इतना ही नहीं कश्मीर घाटी के दक्षिण हिस्से में सबसे ज्यादा अशांति रही है। इस इलाके को महबूबा के प्रभाव वाला इलाका कहा जाता है। हकीकत ये है मुफ्ती परिवार पाकिस्तान और खासतौर से आतंकियों के हाथ की दशकों से कठपुतली रहा है। महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जेकेएलएफ के आतंकी यासीन मलिक के साथ सांठगांठ कर अपनी ही बेटी रुबिया सईद का अपहरण करवाकर भारत सरकार को खूंखार आतंकियों को छोड़ने के लिए मजबूर किया था। जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री रहते हुए भी महबूबा ने आतंकवाद और आतंकियों को भरपूर संरक्षण दिया था।
बीजेपी का ओपन सीक्रेट
ये भी सच है कि महबूबा को मुख्यमंत्री बनाने का श्रेय बीजेपी को जाता है। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार के दौर में बीजेपी ने ना सिर्फ मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार के साथ साथ अन्य राजनीतिक दलों की पाकिस्तान तक पहुंची हुई जड़ों को देखा बल्कि उनमें मट्ठा डालने का प्लान भी तैयार किया। 2019 में नरेंद्र मोदी जब दोबारा प्रधानमंत्री बने तो उनकी अगुवाई में गृहमंत्री अमित भाई शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A को संसद में दो तिहाई बहुमत से खत्म कर समस्या का अंत कर दिया।
अब पाकिस्तान और आतंकियों के दबाव में मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार के साथ साथ कश्मीर के अन्य राजनीतिक दल आए दिन बैठकें कर भारत विरोधी बयान देते रहते हैं। सीमा पर चीन को उसकी औकात दिखाने के बाद इन नेताओं ने चीन का नाम लेकर भी अपनी द्रोही मंशा जता दी है।
क्या कहा है पीएम ने
दरअसल, बिहार में चुनाव प्रचार के क्रम में पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को राज्य में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे। मोदी ने अपनी रैली के दौरान कहा कि एनडीए की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 का अंत किया और विपक्ष के लोग उसे वापस लाने की बात करते हैं। ये कहने के बाद इन लोगों की बिहार के लोगों से वोट मांगने की हिम्मत भी हो जाती है। क्या ये उस बिहार का अपमान नहीं है, जो कि अपने बेटे-बेटियों को सीमा की सुरक्षा के लिए भेजता हो।
टीम स्टेट टुडे
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