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बहुत गहरे उतरे हैं अयोध्या में पीएम मोदी, सीएम योगी और पूज्य सरसंघचालक मोहन भागवत - RAMOTSAV 2024



हमारे राम लला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगेः पीएम मोदी

 

- श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने व्यक्त किए अपने भाव

 

- पीएम मोदी ने कहा- सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए

 

- सदियों के धैर्य की धरोहर मिली है, हमें श्रीराम का मंदिर मिला हैः पीएम

 

- 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगेः मोदी

 

- ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं, इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैंः नरेंद्र मोदी 

 

- ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा हैः पीएम

 

- पीएम ने कहा सभी देशवासी इसी पल से सर्वत्र, सक्षम, भव्य और दिव्य भारत की सौगंध लेते हैं 

 

- कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बनेगा तो आग लग जाएगी, राम आग नहीं ऊर्जा हैं : मोदी

 



अयोध्या, 22 जनवरी। अयोध्या धाम में नव निर्मित मंदिर में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाव विभोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे राम लला आ गए। अब हमारे राम लला टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे राम लला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। उन्होंने कहा कि सदियों के धैर्य की आज धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगे। ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं। इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैं।

 



● पीएम मोदी ने कहा, आज हमारे राम आ गए हैं, सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैय, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे राम आ गए हैं। समस्त देशवासियों को बहुत बहुत बधाई।

 



● उन्होंने कहा कि मैं अभी गर्भगृह में  ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके समक्ष हूं। कहने को बहुत कुछ है मगर कंठ, शरीर अभी भी स्पंदित है। चित अभी भी उस पल में लीन है। हमारे राम लला अब टेंट में नहीं रहेंगे, हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे।

 



● पीएम ने कहा कि मेरा पक्का विश्वास और अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है उनकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही है। ये क्षण अलोकिक है। ये माहौल, वातावरण, ऊर्जा और घड़ी अलौकिक है। ये प्रभु का आशीर्वाद है1 22 जनवरी 2024 का सूरज अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, ये नए काल चक्र का उद्गम है।

 



● उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ये दिन नजदीक आ रहा था, प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। निर्माण कार्य देख देशवासियों में नया विश्वास पैदा हुआ था। सदियों के उस धैर्य की आज धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। 

 



● उन्होंने कहा कि 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगे। ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं। इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैं। आज दिन दिशाएं दिगंत दिव्यता से परिपूर्ण है। ये सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं।

 

● पीएम ने कहा कि हम सब जानते हैं जहां राम का काम होता है वहां पवन पुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं1 इसलिए मैं रामभक्त हनुमान को, माता जानकी, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न को नमन करता हँ। पावन अयोध्या नगरी को प्रणाम करता हूं।

 



● वो बोले, जिनके आशीर्वाद से ये महान कार्य पूरा हुआ है। वे दैवीय विभूतियां हमारे आसपास उपस्थित हैं। इनको कृतज्ञता पूर्वक नमन करता हूं। प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे प्रयास, त्याग तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हो चुकी है। मुझे विश्वास है प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।

 

● पीएम मोदी ने कहा कि त्रेता में राम आगमन पर पूज्य संत तुलसीदास ने लिखा है, 'प्रभु का आगमन देखते ही हर्ष से भर गए लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी उसका अंत हो गया। उस काल खंड में वो वियोग केवल 14 वर्षों का था, इस युग में देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों तक वियोग सहा है। कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है।

 



● उन्होने कहा कि भारत के संविधान के पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। इसके अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।

 

● उन्होंने कहा कि आज गांव-गांव में कीर्तन और संकीर्तन हो रहे हैं। मंदिरों में उत्सव हो रहे हैं। स्वच्छता उत्सव हो रहे हैं। पूरा देश आज दीपावली मना रहा है। आज शाम घर घर दीपोत्सव मनाने की तैयारी है। घर-घर रामज्योति प्रज्ज्ज्वलित करने की तैयारी है।

 



● पीएम बोले, कल प्रभु के आशीर्वाद से धनुषकोडी में रामसेतु के आरंभ बिंदु पर था। उस भाव, पल को महसूस करने का प्रयास किया, पुष्प वंदना की। जैसे उस वक्त काल चक्र बदला था, वैसे ही काल चक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। 11 दिनों के उपवास के दौरान उन स्थानों पर प्रवास किया जहां श्रीराम के चरण पड़े।

 



● उन्होंने कहा कि मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का पवित्र भाव से अवसर मिला। सागर से सरयू तक राम नाम का उत्सव छाया हुआ है। राम आदिवासियों के मन में विराजे हुए हैं। भारत में किसी भी अंतरआत्मा को छुएंगे तो इसी की अनुभूति होगी। इससे उपयुक्त देश को समायोजित करने वाला सूत्र और कुछ नहीं।

 



● पीएम ने कहा, हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में अपने अपने शब्दों में अपनी अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है। प्राचीन काल से भारत के हर कोने में लोग रामरस का आचमन करते रहे हैं। रामायण अनंत है। राम के आदर्श, मूल्य, चिंताएं सब जगह एक हैं।

 



● उन्होंने कहा, आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को याद कर रहा है, जिनकी वजह से आज हम ये दिन देख रहे हैं। कितने ही लोगों ने रामकाल के लिए त्याग की पराकाष्ठा पार की। हम उन अनगिनत महापुरुषों के ऋणी है।

 



● पीएम बोले- ये क्षण भारतीय समाज के परिपक्वता के बोध का समय है। ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं विनय का भी है। इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं। मगर हमारे देश ने इतिहास की गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता से खोला है वो दिखाता है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने वाला है।

 



● पीएम ने कहा, लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ये लोग भारत की सामूहिकता को नहीं जानते थे। हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आदि को नहीं बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। ये मंदिर समाज के हर वर्ग को उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। राम आग नहीं राम ऊर्जा हैं। विवाद नहीं समाधान हैं। सिर्फ हमारे नहीं सबके हैं। वर्तमान ही नहीं अनंतकाल हैं।

 



● उन्होंने कहा कि इस आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा है। इससे राम की सर्वव्यापकता के दर्शन हो रहे हैं। अनेक देशों में ऐसा ही उत्सव है। अयोध्या का उत्सव रामायण की परंपराओं का उत्सव है। ये वसुधैव कुटुम्बकम का उत्सव है। ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च मूल्यों की प्राण प्रतिष्ठा है।

 

● पीएम ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिना के संकल्प को आज साक्षात आकार मिला है। ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि, दर्शन और दिग्दर्शन का मंदिर है। ये राष्ट्रचेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था और आधार हैं। भारत का विचार और विधान हैं। राम भारत की चेतना, चिंतन, प्रतिष्ठा, प्रभाव, नेति, नीति, नित्यता, निरंतरता, राम व्यापक हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों या शताब्दियों तक नहीं बल्कि हजारों सालों तक होता है। राम 10 हजार वर्षों के लिए राज्य पर प्रतिष्ठित हुए। हजारों वर्ष तक राम राज्य स्थापित था। हजारों वर्ष तक राम विश्व का मार्गदर्शन करते रहे।

 



● उन्होंने कहा कि श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया। सदियों का इंतजार खत्म हो गया। अब आगे क्या। जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने आई हैं। उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे। नहीं..; आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि काल चक्र बदल रहा है। ये सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को चुना गया है। हजारों साल बाद की पीढ़ी हमारे कार्यों को याद करेगी। हमें आज इस पवित्र समय से अगले एक हजार साल की नींव रखनी है। सभी देशवासी इसी पल से सर्वत्र, सक्षम, भव्य और दिव्य भारत की सौगंध लेते हैं।

 

● उन्होंने कहा कि मेरी आदिवासी मां शबरी का ध्यान आते ही विश्वास जाग उठता। मां शबरी कबसे कहती थीं कि राम आएंगे। प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास भव्य भारत का आधार बनेगा। यही देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। निषादराज का राम के लिए सम्मोहन और राम का निषादराज के प्रति मोह कितना मौलिक है। आज देश में निराशा के लिए रत्ती भर भी स्थान नहीं है। अगर कोई सोचता है कि मैं बहुत सामान्य और छोटा हूं तो उसे गिलहरी के योगदान का स्मरण करना चाहिए। यह हमे सिखाता है कि छोटे बड़े प्रयासों की अपनी ताकत और सामर्थ्य होता है।

 



● पीएम ने कहा, लंकाधिपति रावण प्रकांड ज्ञानी थे और अपार शक्ति के धनी थे। जटायु महाबली से भिड़ गए। उन्हें पता था कि रावण को परास्त नहीं कर सकते है। कर्तव्य का यही समर्पण देव से देश और राम से राष्ट्र का भाव उत्पन्न करता है। हम खुद को राम काज से राष्ट्र काज के जरिए जोड़ देंगे।


 

मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया थाः सीएम योगी




 

श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण होने के उपरांत सीएम ने प्रकट किए अपने मनोभाव

 

बोले- जिस अयोध्या को "अवनि की अमरावती" और "धरती का वैकुंठ" कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त रही

 

हर मन में राम नाम है, हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है, रोम रोम में राम रमे हैं, पूरा राष्ट्र राममय हैः सीएम योगी

 

बोले- भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं

 

"सांस्कृतिक अयोध्या, आयुष्मान अयोध्या, स्वच्छ अयोध्या, सक्षम अयोध्या, सुरम्य अयोध्या, सुगम्य अयोध्या, दिव्य अयोध्या और भव्य अयोध्या" के रूप में रामनगरी का हो रहा पुनरोद्धार

 

सीएम योगी ने प्रधानमंत्री व सर संघचालक को भेंट किया चांदी के राम मंदिर का मॉडल

समारोह के पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का स्वागत किया। सीएम ने दोनों अभ्यागतों को श्रीराम मंदिर का चांदी का मॉडल भेंट कर अयोध्या धाम की पावन धरा पर अभिनंदन किया।

 



अयोध्या, 22 जनवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीअयोध्याधाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण होने के उपरांत अपने मनोभाव प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।

 

 

●  रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।

    रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥

 

● प्रभु श्रीरामलला की जय! सरयू मइया की जय! भारत माता की जय! जय जय श्रीसीता राम !

 

● प्रभु श्रीरामलला के भव्य- दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई।

 



●  500 वर्षों के लबे अंतराल के उपरांत आज के इस चिरप्रतीक्षित मौके पर अंतर्मन में भावनाएं कुछ ऐसी हैं कि उन्हें व्यक्त करने को शब्द नहीं मिल रहे हैं। मन भावुक है, भाव विभोर है, भाव विह्वल है। निश्चित रूप से आप सब भी ऐसा ही अनुभव कर रहे होंगे।

 

● आज इस ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर भारत का हर नगर- हर ग्राम अयोध्याधाम है। हर मार्ग श्रीरामजन्मभूमि की ओर आ रहा है।

 

● हर मन में राम नाम है। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है। हर जिह्वा राम-राम जप रही है। रोम रोम में राम रमे हैं। पूरा राष्ट्र राममय है। ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं।

 



● आज रघुनन्दन राघव रामलला,  हमारे हृदय के भावों से भरे संकल्‍प स्‍वरूप सिंहासन पर विराज रहे हैं। आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है और संतोष के भाव हैं।

 

● आखिर भारत को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। भाव-विभोर कर देने वाली इस दिन की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्‍यतीत हो गईं, दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए इस धराधाम से साकेतधाम में लीन हो गईं, किन्‍तु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा।

 



● श्रीरामजन्मभूमि, संभवतः विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य के जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो।

 

● संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पाति, विचार- दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया।

 



● अंततः आज वह शुभ अवसर आ ही गया कि जब कोटि-कोटि सनातनी आस्‍थावानों के त्‍याग और तप को पूर्णता प्राप्त हो रही है। आज संतोष इस बात का भी है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।

 

● संकल्प और साधना की सिद्धि के लिए, हमारी प्रतीक्षा की समाप्ति के लिए, हमारे संकल्प पूर्णता के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हृदय से आभार और अभिनंदन।




 

● प्रधानमंत्री जी! 2014 में आपके 'आगमन' के साथ ही भारतीय जनमानस कह उठा था...                            

मोरे जिय भरोस दृढ़ सोई।

मिलिहहिं राम सगुन सुभ होई॥

 

● अभी गर्भगृह में वैदिक विधि-विधान से रामलला के बाल विग्रह के प्राण-प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बने।

 

 



● अलौकिक छवि है हमारे प्रभु की। बिल्कुल वैसे, जैसा संत तुलसीदास जी ने वर्णन किया है...

नवकंज लोचन। कंज मुख। कर कंज। पद कन्जारुणम्।

 

धन्य है वह शिल्पी, जिसने हमारे मन में बसे राम की छवि को मूर्त रूप प्रदान किया।

 



● विचारों और भावनाओं की विह्वलता के बीच मुझे पूज्य संतों और अपनी गुरु परम्परा का पुण्‍य स्‍मरण हो रहा है। आज उनकी आत्मा को असीम संतोष और आनन्द की अनुभूति हो रही होगी, जिन परम्पराओं की पीढ़ियां श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ में अपनी आहुति दे चुकी हैं, उनकी पावन स्मृति को यहां पर कोटि-कोटि नमन करता हूँ।

 

● श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न केवल सनातन आस्था व विश्वास की परीक्षा का काल रहा, बल्कि, संपूर्ण भारत को एकात्मकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ।

 



● सदियों के बाद भारत में हो रहे इस चिरप्रतिक्षित नवविहान को देख अयोध्या समेत भारत का वर्तमान आनन्दित हो उठा है।

 

● भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं और उससे भी बड़भागी हैं वो जिन्होंने सर्वस्व इस राम-काज के लिए समर्पित किया है और करते चले जा रहे हैं।

 



● जिस अयोध्या को "अवनि की अमरावती" और "धरती का वैकुंठ" कहा गया, वह सदियों तक अभिशिप्त रही। उपेक्षित रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था पददलित होती रही, चोटिल होती रही।

 

● राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाये रखा, लेकिन हर एक नए दिन के साथ हमारा संकल्प और दृढ़ होता गया।

 



● और आज देखिए... पूरी दुनिया अयोध्या जी के वैभव को निहार रही है। हर कोई अयोध्या आने को आतुर है।

 

● आज अयोध्या में त्रेतायुगीन वैभव उतर आया है। दिख रहा है। यह धर्म नगरी 'विश्व की सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है। पूरा विश्व दिव्य और भव्य अयोध्या का साक्षात्कार कर रहा है।

 



● आज जिस सुनियोजित एवं तीव्र गति से अयोध्यापुरी का विकास हो रहा है, वह प्रधानमंत्री जी के दृढ़संकल्प, इच्छाशक्ति एवं दूरदर्शिता के बिना संभव नहीं था।

 

● कुछ वर्षों पहले तक यह कल्पना से परे था कि अयोध्या में एयरपोर्ट होगा। यहां नगर के भीतर 04 लेन सड़क होगी। सरयू जी में क्रूज चलेंगे। अयोध्या की खोई गरिमा वापस आएगी, लेकिन मित्रों! डबल इंजन सरकार के प्रयासों से यह सब सपना साकार हो रहा है।

 



● "सांस्कृतिक अयोध्या, आयुष्मान अयोध्या, स्वच्छ अयोध्या, सक्षम अयोध्या, सुरम्य अयोध्या, सुगम्य अयोध्या, दिव्य अयोध्या और भव्य अयोध्या" के रूप में पुनरोद्धार के लिए हजारों करोड़ रुपये लग रहे हैं।

 

● आज यहां राम जी की पैड़ी, नया घाट, गुप्तार घाट, ब्रह्मकुंड आदि विभिन्न कुंडों के कायाकल्प, संरक्षण, संचालन और रखरखाव का कार्य हो रहा है। रामायण परंपरा की 'कल्चरल मैपिंग' कराई जा रही है, राम वन गमन पथ पर रामायण वीथिकाओं का निर्माण हो रहा है।

 



● इस नई अयोध्या में पुरातन संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण तो हो ही रहा है, भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आधुनिक पैमाने के अनुसार सभी नगरीय सुविधाएं भी विकसित हो रहीं हैं। इस मोक्षदायिनी नगरी को आदरणीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित किया जा रहा।

 

● नई अयोध्या पूरे विश्व के सनातन आस्थावानों, संतों, पर्यटकों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के लिए प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।

 



● यह एक नगर या तीर्थ भर का विकास नहीं है, यह उस विश्वास की विजय है, जिसे 'सत्यमेव जयते' के रूप में भारत के राजचिह्न में अंगीकार किया गया है। यह लोकआस्था- जन विश्वास की विजय है। भारत के गौरव की पुनरप्रतिष्ठा है।

 

● अयोध्या का दिव्य दीपोत्सव नए भारत की सांस्कृतिक पहचान बन रहा है और श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा समारोह भारत की सांस्‍कृतिक अन्‍तरात्‍मा की समरस अभिव्‍यक्ति सिद्ध हो रहा।

 



● श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह राष्ट्र मंदिर है। निःसन्देह! श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है।

 

● निश्चिंत रहिए! रामकृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की परिक्रमा में बाधक नहीं बन पाएगा। अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा। अपितु राम नाम संकीर्तन से गुंजायमान होगी।

 



● अवधपुरी में रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है।

रामराज बैठे त्रैलोका। हर्षित भये गए सब सोका।।

 

● रामराज्य, भेदभाव रहित समरस समाज का द्योतक है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी की नीतियों-विचारों और योजनाओं का आधार है।

 



● भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के स्वप्न को साकार रूप देने में योगदान करने वाले सभी वास्तुविदों, अभियंताओं, शिल्पियों और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सभी पदाधिकारियों को हृदय से धन्यवाद।

 

● पुनः आप सभी को श्रीरामलला के विराजने की ऎतिहासिक पुण्य घड़ी की बधाई। जो संकल्प हमारे पूर्वजों ने लिया था, उसकी सिद्धि की सभी को बधाई। प्रभु के चरणों मे नमन। सभी को कोटि-कोटि बधाई।

 


 

रामलला के साथ ही आज भारत का स्व लौटकर आया हैः मोहन भागवत

 



-श्रीरामजन्मभूमि मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक ने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के संघर्ष को नमन कर जनमानस को दिया 'नव प्रण'

 

-सदियों के अभूतपूर्व धैर्य, त्याग, तप और बलिदान श्रीराम की वह नीतियां हैं, जिनका पालन कर हम भारत को भी विश्व गुरू बनाने का कार्य कर सकेंगेः मोहन भागवत

 

-सरसंघचालक ने जनमानस से किया आग्रह, श्रीमद्भागवत में उल्लिखित धर्म के चार स्तंभों पर आधारित आचरण ही श्रीराम व देश के प्रति होगी सच्ची भक्ति

 



अयोध्या, 22 जनवरी। 500 वर्ष के पराभव काल के कलंक को मिटाकर अयोध्या के भव्य जन्मभूमि मंदिर में श्रीराम लला की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम कई मायनों में नए प्रतिमान गढ़ते हुए देश को विश्वगुरू बनाने के नए सोपान की ओर अग्रसर करेगा। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में इसी बात को उल्लेखित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख व सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने जनमानस को हर्ष की इस घड़ी में 4 नव प्रण दिलाकर यह आशा जताई कि इनका पालन कर मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने के भीतर ही भारत विश्वगुरू बनकर पूरी दुनिया में अपनी आभा बिखेरने लगेगा।

 



उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज का आनंद शब्दों में वर्णातीत है। आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौटकर आया है। संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत उठ खड़ा होगा इसका यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम साक्षी बन रहा है। सब में आनंद है, सब में उमंग है। हमने सुना इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पधारने के पूर्व पीएम मोदी ने कठिन व्रत रखा जो कि उनके तपस्वी स्वभाव को दर्शाता है।




 

भागवत ने बताया श्रीराम के अयोध्या छोड़ने का कारण


श्रीराम अयोध्या से बाहर क्यों गए इसके पीछे कलह कारण था। श्रीराम वनवास में गए और पूरी दुनिया का कलह मिटाकर लौटे। आज 500 वर्ष बाद श्रीराम फिर लौटे हैं। रामलला के इस युग में फिर लौट के आने का प्रकरण जो भी आज श्रवण कर रहा है उसका कल्याण निश्चित है।



उन्होंने कहा, 'दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज काहु नहीं व्यापा...सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।' कहा कि रामराज्य के सामान्य नागरिकों का जो वर्णन है वह अब हमारे व्यवहार से साकार हो सकता है। संयमित व्यवहार की तपश्चर्या हम सबको करनी होगी। हमें क्लेश-कलह नहीं बल्कि उच्च आचरण से देश की तरक्की में योगदान देना होगा।

 



चार चरण का पालन कर समाज दे श्रीराम व देशभक्ति की सच्ची मिसाल


श्रीमद्भागवत में धर्म के जो चार चरण बताए गए हैं उनका हमें पालन कर इस ब्रह्म सत्य को अंगीकार करना होगा। हम सबसे हैं और सब हमारे हैं, इसे मानने से ही हम सत्य का आचरण कर सकेंगे। दूसरा चरण है करुणा का, जिसके जरिए हमें समाज में सभी की सेवा करनी है। शुचिता तीसरा चरण है, जिसके जरिए हमें स्वच्छता को भी बढ़ावा देना है। हम अगर अपने को संयम में रखेंगे तो पृथ्वी सभी मानवों को जीवित रखेगी। लोभ नहीं करना और संयम का पालन करते हुए अनुशासित रहना ही सच्ची राम भक्ति है। इनसे जीवन में पवित्रता आती है। वह बोले, हम साथ चलेंगे-बोलेंगे और मन-वाणी, वचन-क्रम को एकीकृत कर भारत को विश्वगुरू बनाएंगे। हमें इस व्रत को आगे लेकर जाना है।




 

शब्दों में बयां नहीं हो सकता श्रीराम की लीलाओं का वर्णनः महंत नृत्यगोपाल दास


रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है कि श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर भगवान का महोत्सव हो रहा है।


यह अत्यंत हर्ष और उत्कर्ष का विषय है। अयोध्या में भगवान की लीला ऐसी है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं हो सकता है। उन्होंने जनमानस को श्रीराम की इस पावन जन्मभूमि पर अपनी श्रद्धा-समर्पण का भाव अर्पित करने का आह्वान किया।

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