कुशीनगर, 16 मई 2022 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवारको भगवान बुद्धकी 2566वीं जयंतीपर वायुसेना केविशेष विमान सेकुशीनगर पहुंचे। उन्होंने यहांभगवान बुद्ध महापरिनिर्वाणस्थली पर पूजाअर्चना की। इसदौरान महापरिनिर्वाण बुद्धमंदिर व महापरिनिर्वाणस्तूप तक कीसफाई व सुरक्षाके इंतजाम किएगए थे। यहांसे वह विमानसे लखनऊ केलिए रवाना होजाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेलुंबिनी से वापसीके बाद सोमवारकी शाम महापरिनिर्वाणमंदिर में बुद्धप्रतिमा के समक्षमत्था टेककर चीवरचढ़ाया। परंपरा के अनुरूपउन्होंने पांचवींसदी की शयनमुद्रावाली बुद्ध प्रतिमाकी परिक्रमा भीकी। महापरिनिर्वाण मंदिरके पीछे स्थितबुद्ध अस्थि अवशेषसमेटे स्तूप कीपूजा कर देशके विकास वखुशहाली की कामनाकी। प्रधानमंत्री नेभिक्षुओं को संघदान दिया। कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष भदन्त ज्ञानेश्वर महाथेरो, भंते अशोक व भंते नन्दरत्न ने प्रधानमंत्री के हाथों चीवर अर्पण व विशेष पूजा सम्पन्न कराई। बौद्ध भिक्षुओं ने धम्म पाठ कर प्रधानमंत्री के दीर्घायु व निरोग जीवन के साथ ही दुनिया में शांति के लिए विशेष पूजा की। इस दौरान प्रधानमंत्री पूरी तरह भावविभोर दिखे।
प्रधानमंत्री के साथ सांसद रमापति राम त्रिपाठी, विजय दुबे, कुशीनगर के विधायक पी एन पाठक व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह उपस्थित रहे। पूजन के पश्चात बौद्ध भिक्षुओं ने प्रधानमंत्री को बुद्ध के अस्थि अवशेषों के संबंध में जानकारी दी। बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद शिष्यों ने उनकी अस्थियों को सात भागों में विभक्त किया था। उसी समय से अस्थि अवशेष का एक भाग यहां मौजूद था।
देखी प्रतिमा की खूबियां : प्रधानमंत्री प्रतिमा की परिक्रमा के दौरान उसकी विशेषताओं को निहारते रहे।बुद्ध प्रतिमा सिर के तरफ से मुस्कुराती हुई, मध्य से चिंतन मुद्रा और पैर के तरफ शयन मुद्रा में प्रतीत होती है। प्रतिमा की इस विशेषता को महसूस करने के लिए देश दुनिया से सैलानी आते हैं। गुप्तकाल में निर्मित यह प्रतिमा पुरातात्विक अवशेषों की खुदाई के दौरान बर्ष 1876 में प्राप्त हुई थी। बलुए पत्थर से बनी 6.10 मीटर लम्बी प्रतिमा के प्रस्तर फलक पर बुद्ध के अंतिम समय में साथ रहे तीन शिष्यों का चित्रण है। पांचवी शताब्दी का एक अभिलेख भी है जिस पर प्रतिमा के समर्पणकर्ता हरिबल का उल्लेख है।
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