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ट्रेन पर सवार होकर प्रियंका क्यों पहुंची ललितपुर के पाली गांव?



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ललितपुर के पाली गांव पहुंच कर पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात की और उनका दुख साझा किया। किसान भोगी पाल और महेश कुमार बुनकर खाद की लाइन में लगे थे। कई दिनों तक लाइन में लगे रहने के बावजूद उन्हें खाद नहीं मिली। लाइन में लगे-लगे उनकी हालत खराब हो गई और उनकी मृत्यु हो गई। किसान सोनी अहिरवार और बबलू पाल खाद न मिलने के चलते परेशान थे। उन्होंने आत्महत्या करके अपनी जान दे दी। सभी किसानों पर भारी-भरकम कर्ज है और फसल बर्बादी व मुआवजा न मिलने जैसी समस्याओं से वे परेशान थे। प्रियंका गांधी उनके परिजनों से मिलकर दुख बांटा।



प्रियंका गांधी ने कहा कि यह समस्या नई नहीं है, चार किसानों की मौत के बावजूद पूरे बुन्देलखण्ड में यही हो रहा है। सरकार की क्रूरता चरम पर है। इससे पहले लखीमपुर में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल दिया था, और वह मंत्री अभी भी पद पर है, मंत्री के पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है। बुन्देलखण्ड के किसानों की स्थिति चिंताजनक है। वहां के किसान अपने परिवार को पालने के लिए संघर्ष कर रहें हैं, उनकी समस्या सुनकर दिल दहल जा रहा है। भाजपा सरकार की कुनीतियों से किसान कर्ज में डूबता जा रहा हैं। खाद नहीं मिल पा रही है, बिजली नहीं आ रही है और बिल भरने पड़ रहें है। सरकार व अधिकारियों के संरक्षण में खाद की कालाबाजारी की जा रही है जिससे किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है, इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।



प्रियंका ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार बनेगी गेहूं व धान का समर्थन मूल्य 2500 रूपये प्रति कुन्तल और गन्ना 400 रूपये प्रति कुन्तल की दर से खरीद की जायेगी, किसानों का पूरा कर्जा माफ किया जायेगा। श्रीमती प्रियंका गांधी जी लौटते समय दतिया में मॉ पीताम्बरा शक्ति पीठ में माता के दरबार में माथा टेका और पूजा अर्चना की, उत्तर प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की।


ललितपुर में खाद के लिए परेशान किसान की मौत के बाद ट्रेन यात्रा को प्रियंका वाड्रा ने अपने नए आंदोलन का सारथी बनाया। वहीं इसी ट्रैक पर 11 साल पहले राहुल गांधी भी प्रवासी श्रमिकों का हाल जानने के लिए रेल सफर पर निकले थे। अंतर यह था कि राहुल गांधी वह 36 घंटे की यात्रा बहुत ही गोपनीय थी। जिसमें राहुल ने अपनी वेशभूषा को इतना बदला था कि लोग पहचान नहीं सके थे। जबकि प्रियंका ने एसी सेकेंड बोगी से लखनऊ से ललितपुर की यात्रा सात घंटे में पूरी की।


राहुल गांधी ने प्रवासी श्रमिकों के साथ 18 अक्टूबर 2010 को अपने रेल सफर की शुरुआत गोरखपुर से की थी। वह बिहार से सड़क मार्ग से गोरखपुर पहुंचे थे। उनका रेल आरक्षण राहुल नाम के यात्री से बना था। ट्रेन 12541 गोरखपुर-एलटीटी सुपरफास्ट की स्लीपर बोगी एस-3 में सीट 33 से 38 तक राहुल गांधी का आरक्षण था। जबकि 39 नंबर सीट पर संतकबीरनगर के पोस्ट दुधारा गांव मछारी के रहने वाले गिरीश सफर कर रहे थे। काली जींस, चाॅकलेटी टीशर्ट व उसी रंग की हैट पहले राहुल ने जनरल क्लास में सफर कर लोगों से इतनी दूर काम की तलाश में जाने का कारण पूछा था। राहुल गांधी की इस यात्रा का पता रेल मंत्रालय और प्रदेश सरकार किसी को भी नहीं चल सका था। मुंबई पहुंचकर 600 रुपये की तीन टैक्सी कर राहुल गिरीश के साथ उसके वडाला स्थित घर गए थे। जहां चाय पीकर वह वापस लौटे थे। इसी तरह 11 साल बाद लखनऊ एक बार फिर गांधी परिवार के सफर का साक्षी बना। प्रियंका वाड्रा ने कुलियों से उनकी समस्याएं जानीं। ट्रेन के सफर के दौरान यात्रियों से खुलकर बातें की।


टीम स्टेट टुडे



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