दुनिया में कोरोना फैलाने के लिए चीन ही जिम्मेदार है। दुनिया के तमाम देश इस बात को राजनायिक कारणों से बोलने में भले परहेज कर रहे हों लेकिन हकीकत सब जानते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के प्रमुखों की वाशिंगटन में हुई बैठक में साफ हो गया कि अब ये सभी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ एक व्यापक और ठोस एजेंडे पर काम करने जा रहे हैं। मसौदा तैयार है अब चीन अपनी खैर मनाए। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जिस रास्ते पर चलने का वादा इन देशों ने किया है, वह चीन के मौजूदा रवैये से पूरी तरह भिन्न है।
क्या है क्वाड का व्यापक एजेंडा
एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों को मिलेंगी 1.2 अरब वैक्सीन
वर्ष 2022 के अंत तक भारत में बनेंगी एक अरब वैक्सीन
वैश्विक महामारी रडार बनाने की पहल ताकि पहले हो सकें सतर्क
पूरे क्षेत्र में ढांचागत विकास के लिए समन्वय समूह का गठन
साफ व स्वच्छ ईंधन व पर्यावरण सुरक्षा के लिए कई उपायों की घोषणा
सदस्य देशों की जनता के बीच बेहतर संपर्क व समझबूझ के लिए उपाय
5जी, सेमी-कंडक्टर समेत दूसरी अत्याधुनिक तकनीक पर साझा उठेंगे कदम
चीन के लिए राह बहुत ही मुश्किल
चाहे देशों के हिसाब से ढांचागत विकास करने की बात हो या 5जी व दूसरी अत्याधुनिक तकनीक को सुरक्षित बनाने के लिए संयुक्त अभियान की बात हो, क्वाड का संकेत साफ है कि चीन के लिए राह बहुत ही मुश्किल है। सबसे अहम संकेत यह है कि क्वाड एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण से काम करेगा और भविष्य में इसके फलक का विस्तार हिंद-प्रशांत क्षेत्र से बाहर भी होगा।
आर्थिक, सैन्य और अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में इन देशों के बीच जो सहयोग स्थापित होगा उससे भारत को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। इसी तरह, चीन पर कई तरह से शिकंजा कसने की जो रणनीति सामने आती दिख रही है उससे भी भारत को फायदा होगा। भारत एशिया के उन देशों में है जो चीन के आक्रामक रवैये से सबसे ज्यादा परेशान है।
पीएम मोदी की चिंताओं को दी गई तरजीह
इसी तरह क्वाड देशों का संयुक्त बयान यह भी बताता है कि अफगानिस्तान को लेकर जो चिंताएं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अमेरिका प्रवास के दौरान कई मंचों पर साझा की हैं, उसे तरजीह दी गई है। इसमें तालिबान का नाम नहीं है, लेकिन कहा गया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न तो आतंकी गतिविधियों के लिए होना चाहिए और न ही किसी दूसरे देश पर आतंकी हमलों के लिए।
वैक्सीन आपूर्ति में होगी भारत की अहम हिस्सेदारी
इसमें भारत की अहम हिस्सेदारी होगी क्योंकि भारतीय कंपनी 100 करोड़ वैक्सीन की आपूर्ति करेगी। क्वाड देश सुनिश्चित करेंगे कि दूसरे क्षेत्र के देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध हो। वैक्सीन निर्माण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति भी निर्बाध की जाएगी। जापान 3.3 अरब डालर और आस्ट्रेलिया 21.20 करोड़ डालर की मदद देगा।
चीन पर घटेगी निर्भरता
एक और अहम एजेंडा चीन पर तकनीकी निर्भरता कम करने को लेकर है। हालांकि सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया गया है। इसमें चारों देश भविष्य की अत्याधुनिक व बेहद जरूरी माने जाने वाली तकनीक के विकास में साझा काम करेंगे। तकनीकी विकास में इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि मानवाधिकारों का आदर हो। इस संदर्भ में पारदर्शी, सुरक्षित 5जी नेटवर्क विकसित किए जाएंगे और 5जी के बाद की तकनीक के संदर्भ में भी काम शुरू कर दिया जाएगा।
व्यापक रोडमैप तैयार
चारों देशों की सरकारें और इनकी निजी तकनीकी कंपनियां मिलकर इसका खाका तैयार कर रही हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में ढांचागत विकास का एक व्यापक रोडमैप बनाया जा रहा है जिसमें इस बात ख्याल रखा जाएगा कि किसी देश की भौगोलिक संप्रभुता का उल्लंघन न हो। जिस देश में कर्ज के आधार पर ढांचागत विकास हो रहा है वहां सारे समझौते पारदर्शी होंगे। इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि दूसरे देशों को कर्ज के बोझ में नहीं डाला जाए।
टीम स्टेट टुडे
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