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घुटन से परेशान सांसद दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा - तिनका-तिनका बिखरती तृणमूल



तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने सदन में बजट पर चर्चा के दौरान इस्तीफा दे दिया। त्रिवेदी पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍य रहे हैं, वह पिछले काफी समय से पार्टी की कार्यशैली से नाराज चल रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा से पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उनके इस कदम से सदन में मौजूद सदस्‍य हैरान रह गए। दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा से वह काफी दुखी हैं और घुटन महसूस कर रहे हैं। त्रिवेदी का कहना है कि वह बेहद भावुक शख्‍स हैं। अगर पार्टी में रहते हुए आपको कहा जाए कि आप प्रधानमंत्री को गाली दीजिए, गृह मंत्री को गाली दीजिए तो वह क्‍यों ऐसा करेंगे। बंगाल की संस्‍कृति ऐसी नहीं रही है। त्रिवेदी ने कहा कि बीजेपी से जुड़ना कोई गलत बात नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी उनके पुराने मित्र हैं। अगर वह बीजेपी से जुड़ते हैं तो कोई रोक नहीं सकता।


वह यूपीए सरकार में रेल मंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। पार्टी से उनकी नाराजगी और इस्‍तीफे के बीच की कहानी काफी लंबी है।


मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार में निदेश त्रिवेदी काफी अहम पद संभाल चुके हैं। उन्‍होंने 2012 में बतौर रेल मंत्री रेल बजट पेश किया था। इस बजट में रेल किराया तो बढ़ाया गया था, लेकिन आधुनिकीकरण और सुरक्षा पर विशेष ध्‍यान दिया था। उस वक्‍त इस बजट को 'सुधारवादी' करार दिया गया। ममता बनर्जी को यह रास नहीं आया। बजट पेश करने के बाद त्रिवेदी को ममता बनर्जी और पार्टी के कुछ अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा।



इस बजट पर ममता बनर्जी ने खुलकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, 'रेल बजट बनाते समय दिनेश त्रिवेदी ने उनसे राय नहीं ली, अगर उन्‍होंने ऐसा किया होता तो वह कभी किराया बढ़ाने नहीं देतीं।' ममता के इस बयान के बाद त्रिवेदी को काफी अपमानित होना पड़ा और मजबूरन उन्‍हें रेल मंत्री के पद से इस्‍तीफा देना पड़ा। उसके बाद टीएमसी के ही मुकुल राय को रेल मंत्री बना दिया गया। उस समय इस्‍तीफा देने के बाद त्रिवेदी ने कहा था कि अगर वह इस्‍तीफा नहीं देते तो सरकार गिर जाती। उन्‍होंने ममता बनर्जी की नाराजगी पर कहा था कि बजट से पहले ही उन्‍हें हटाने की रणनीति बन गई थी। पार्टी के नेता जानते थे कि बजट के बाद उनका इस्‍तीफा ले लिया जाएगा। पार्टी चीफ ने बजट आते ही किराया बढ़ाने के बहाने उन्‍हें हटा दिया।


पहले भी जता चुके हैं ममता बनर्जी से अलग राय


यह ऐसा पहला मौका नहीं था जब ममता बनर्जी और दिनेश त्रिवेदी के बीच वैचारिक मतभेद सामने आए हों। 2012 में ममता का कार्टून बनाने का मामला सुर्खियों में आया था। उस समय कार्टून बनाने वाले प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया था। प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा था कि कार्टून से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कार्टून तो लोकतंत्र का अभिन्‍न अंग है।


पश्चिम बंगाल में चुनाव सामने खड़े हैं। ममता बनर्जी की तानाशाही और खिसकते जनाधार के बीच हर दिन उनकी लुटिया डूब ही रही है।


टीम स्टेट टुडे


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