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राज्यसभा चुनावी नतीजों ने दिखाए लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के चेहरे, रायबरेली में अब प्रियंका नहीं किशोरीलाल शर्मा होंगें कांग्रेस के उम्मीदवार (सूत्र)



राज्यसभा चुनाव के नतीजों, क्रास वोटिंग और बदले समीकरणों के बीच कई लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के चेहरे झलके.. रायबरेली में अब प्रियंका नहीं किशोरीलाल शर्मा होंगें कांग्रेस के उम्मीदवार - सूत्र

 

राज्यसभा के ल‍िए उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर हुए चुनाव के पर‍िणाम सामने आ गए हैं। राज्‍यसभा चुनाव में यूपी से बीजेपी के सभी आठों प्रत्‍याशि‍यों ने जीत दर्ज की है। वहीं, दो सीटों पर सपा प्रत्याशी विजयी हुए हैं।

राज्‍यसभा चुनाव में किसे क‍ितने वोट म‍िले?

सुधांशु त्रिवेदी- 38 वोट

आरपीएन सिंह- 37

तेजवीर स‍िंह- 38 वोट

नवीन जैन- 38 वोट

रामजी लाल- 37 वोट

साधना सिंह- 38 वोट

संगीता बलवंत - 38 वोट

अमरपाल मौर्य- 38 वोट

आलोक रंजन- 19 वोट

जया बच्चन- 41 वोट


हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा सीट पर आज चुनाव हुआ। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन और कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को बराबरी के वोट मिले। क्रॉस वोटिंग की अटकलों के बीच यह वोट संख्या भाजपा के लिए काफी मायने रखती है।


कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही चुनाव में 34-34 मत पड़े बाद में पर्ची से चयन किया गया। कांग्रेस के उम्मीदवार सिंघवी ने हार मान ली है। इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हर्ष महाजन को जीत मिली है।

 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में राज्यसभा चुनाव के दौरान हुए पाला बदल घटनाक्रम का असर सीधा लोकसभा चुनाव पर दिखेगा। बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव की रणनीति को धार दी। बीजेपी अमेठी के बाद रायबरेली जीत कर यूपी को कांग्रेस को पैदल करना चाहती है। इस रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी के विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज पांडेय की क्रास वोटिंग बहुत अहम है। मामला सिर्फ मनोज पांडेय सहित अन्य कुछ सपा विधायकों की पार्टी बदलने भर का नहीं, बल्कि इससे जातीय समीकरणों ने कुछ इस तरह करवट ली है, जिससे अमेठी की राह पर ही अब रायबरेली चलती दिखाई दे रही है।


अमेठी और रायबरेली सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं का बदला रुख दलित और क्षत्रिय वोटों के साथ भाजपा के पक्ष में ऐसा गणित बना सकता है कि 2019 में अमेठी के अखाड़े में परास्त हो चुकी कांग्रेस के लिए प्रदेश में इकलौती बची पारंपरिक संसदीय सीट रायबरेली पर भी सम्मान बचाए रखना इतना आसान नहीं होगा।

 

 राज्यसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले मुख्य सचेतक के पद से त्याग पत्र देकर सपा विधायक मनोज पांडेय ने सभी को चौंका दिया। इसके बाद पांडेय सहित गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह, अयोध्या से विधायक अभय सिंह और अंबेडकरनगर विधायक राकेश पांडेय उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के साथ दिखाई दिए। सपा विधायक पूजा पाल ने क्रास वोटिंग की। सपा के जिन विधायकों ने क्रास वोटिंग की है माना जा रहा है कि वो क्षेत्र विशेष से लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी होंगें। मसलन रायबरेली से मनोज पांडे, फूलपुर से पूजा पाल, बंदायू से सपा विधायक मौर्या, सुल्तानपुर से राकेश प्रताप सिंह बीजेपी के चेहरे हो सकते हैं। इन इलाकों में जातीय समीकरणों का बदलना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है।।

 

रायबरेली संसदीय सीट पर सर्वाधिक लगभग 34 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। इसके बाद 11 प्रतिशत ब्राह्मण तो नौ प्रतिशत क्षत्रिय हैं। यही वर्ग यहां हार-जीत तय करने में सक्षम हैं। चूंकि, ब्राह्मण और दलित कांग्रेस का पुराना वोट बैंक रहा है, इसलिए काफी हद तक यह वर्ग सोनिया गांधी से जुड़ा रहा। 2004 से इस सीट से जीतती रहीं सोनिया को 2019 में जीत तो मिली, लेकिन पिछली विजय की तुलना में अंतर कम हो गया। इसके पीछे की कहानी बताई जाती है कि दलित मतदाता तेजी से मोदी सरकार की नीतियों के सहारे भाजपा की ओर चले गए।

क्षत्रिय भी भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ा है, जिसमें सेंध लगाते हुए भाजपा ने रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह, कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रहे दिनेश सिंह आदि को अपने पाले में खींच लिया। अब बचा ब्राह्मण तो उसके मतों का बिखराव रोकने के लिए ही सपा इस सीट से अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारती थी। सपा के पास क्षेत्र के सबबे प्रभावशाली ब्राह्मण नेताओं में से एक ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय थे।

 

अब मनोज भाजपा के पाले में आते हैं तो भाजपा का पलड़ा भारी होने के साथ ही कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ना तय है। चर्चा है कि कांग्रेस की ओर से यहां प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार मैदान में होंगी, वैसे स्टेट टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस सोनिया गांधी के स्थानीय प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बना सकती है। यूपी कांग्रेस पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा जोर-शोर से है कि राहुल और प्रियंका दोनों ही यूपी में चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। अमेठी की राह कांग्रेस के लिए टेढ़ी तो 2019 के चुनाव में ही हो गई थी, जब भाजपा की स्मृति ईरानी ने पारंपरिक सीट से राहुल गांधी को हरा दिया, लेकिन अब इस राह के और पथरीली होने के आसार हैं।


ब्राह्मण मतदाताओं का रुख यहां भी अंचल के ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय के साथ बदल सकता है। इस सीट पर सबसे अधिक 26 प्रतिशत दलितों में अधिकांश भाजपा के लाभार्थी वोटबैंक का हिस्सा बन चुके हैं तो 18 प्रतिशत ब्राह्मणों के साथ 11 प्रतिशत क्षत्रिय भी नए समीकरण बनाएंगे। अमेठी संसदीय सीट के अंतर्गत गौरीगंज से तीन बार के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह भी सपा से बागी हो चुके हैं। यहां कांग्रेस के सबसे मजबूत आस 20 प्रतिशत मुस्लिम से ही जुड़ती दिखाई दे रही है। यहां की पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर पहले से ही भाजपा का कब्जा है।

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