लखनऊ, 11 मार्च 2022 : प्रदेश में 18वीं विधान सभा के चुनाव में एक बार फिर साबित हो गया है कि सुरक्षित सीटें सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी हैं, जो दल इनमें से अधिकांश सीटें जीतता रहा है, उसे ही सत्ता मिली है। भाजपा गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सीटें जीतने में न केवल ओवरआल शानदार प्रदर्शन किया है, बल्कि 65 सुरक्षित सीटों पर भी सफलता पाई है। हालांकि 2017 में भाजपा ने 70 आरक्षित विधान सभा सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, सपा गठबंधन को केवल 20 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।
सूबे में 403 विधान सभा सीटों में से 86 सीटें सुरक्षित हैं। इनमें से 84 अनुसूचित जाति और दो सीटें जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस आदि सियासी दलों ने दलित वर्ग के मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। उसमें जनता ने सबसे अधिक भरोसा भाजपा गठबंधन पर जताया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन की वजह से कड़े मुकाबले के आसार थे। इसके बाद भी भाजपा गठबंधन ने पहले चरण की नौ सीटों में से आठ पर व दूसरे चरण की इतनी ही सीटों में से सात पर विजय हासिल की। तीसरे व चौथे चरण में भी क्रमश: 15 में से 13 और 16 में से 15 पर परचम फहराया। पांचवें और छठे चरण में भी भाजपा की बढ़त जारी रही।
सातवें चरण में जरूर भाजपा गठबंधन को 13 में से केवल छह सीटों पर जीत हासिल हो सकी। सपा गठबंधन में शामिल रालोद ने पुरकाजी, महादेवा, बेल्थरा रोड व जखनिया से सुभासपा, भाजपा गठबंधन से अपना दल एस ने कायमगंज, घाटमपुर, मऊरानीपुर व छानबे और बाबागंज से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने विजय हासिल की है। अन्य आरक्षित सीटों पर भाजपा व सपा ने ही परचम फहराया है। वहीं, बसपा व कांग्रेस कोई भी सीट जीत नहीं सकी है।
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