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चलिए आज वृंदावन धाम स्थित प्रेम मंदिर के दर्शन करते हैं –



श्री वृंदावन धाम स्थित 'प्रेम मंदिर' की नौवीं वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।


1. प्रेम मंदिर, वृन्दावन धाम में स्थित एक अभूतपूर्व मंदिर है, जिसकी सुंदरता, नक्काशी, भव्यता इत्यादि अद्वितीय है।


2. प्रेम मंदिर का शिलान्यास 14 जनवरी 2001 को स्वयं जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज के कर-कमलों द्वारा लाखों श्रद्धालु जनों की उपस्थिति में हुआ था।



3. प्रेम मंदिर का उदघाटन समारोह 15 से 17 फरवरी 2012 तक चला था, जिसमें जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज स्वयं उपस्थित रहे थे।


4. प्रेम मंदिर 4 फुट ऊँचे, 190 फुट लंबे व 128 फुट चौड़े विशाल सिंहासन पर विराजमान है।इसका 20 फुट ऊँचा भूमितल, 18 फुट ऊँचा प्रथम तल, 115 फुट ऊँचा शिखर है। ध्वजा सहित प्रेम मंदिर की ऊँचाई 125 फुट है।



5. 'वेद के अनुसार सर्वशक्तिमान भगवान् श्रीकृष्ण भी 'प्रेम' के आधीन हैं। इसलिए इस मंदिर का नाम 'प्रेम मंदिर' रखा गया है।' प्रेम मंदिर के स्वागत द्वार पर श्री कृपालु जी महाराज द्वारा इस विषय में बनाई गई एक पंक्ति अंकित है - 'प्रेमाधीन ब्रह्म श्याम वेद ने बताया, याते याय नाम, 'प्रेम मंदिर' धराया।'


6. प्रेम मंदिर के निर्माण में 30000 टन आयातित इटालियन करारा मार्बल का प्रयोग किया गया है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके निर्माण में ठोस इटालियन मार्बल का प्रयोग किया गया है।



7. प्रेम मंदिर के भूतल पर श्री राधाकृष्ण अपनी अष्टमहासखियों के सँग विराजित हैं, वहीँ प्रथम तल पर श्री राम-जानकी जी एवं श्री हनुमान जी विराजित हैं। प्रेम मंदिर जैसे गोलोक और साकेत लोक, वृन्दावन और अयोध्या का संगम ही है।



8. भीतर की दीवारों पर श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विरचित अनुपमेय ग्रंथों 'प्रेम रस मदिरा', 'राधा गोविंद गीत', 'कृपालु त्रयोदशी' एवं 'ब्रज रस त्रयोदशी' की अनेक सुमधुर पंक्तियाँ उकेरी गई हैं।



9. प्रेम मंदिर में पूर्ववर्ती 4 मूल जगद्गुरुओं और ब्रज के रसिक संतों की प्रतिमायें भी विद्यमान हैं। साथ ही गौरांग महाप्रभु जी के जीवन की भी अनेक लीलाओं की झाँकियाँ एवं भागवत वक्ता श्री शुकदेव जी भी विराजित हैं। 'प्रेम मंदिर में इन प्रतिमाओं की स्थापना जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज के समन्वयवादी दृष्टिकोण की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है।



10. प्रेम मंदिर की बाहरी दीवारों पर श्रीमद्भागवत में वर्णित श्रीराधाकृष्ण की अनेकानेक मधुर लीलाओं की झाँकियाँ अंकित हैं। वस्तुतः प्रेम मंदिर श्रीमद्भागवत का ही प्रत्यक् स्वरुप जान पड़ता है।



11. प्रेम मंदिर के परिसर में भी अनेक लीलाओं जैसे झूलन लीला, गोवर्धन लीला, कालिया नाग दमन लीला, रास लीला आदि की सुन्दरतम और मधुर सजीव झाँकियाँ हैं।


12. 12 एकड़ भूमि में फैला प्रेम मंदिर परिसर लगभग 1000 कारीगरों एवं हजारों मजदूरों द्वारा 11 वर्ष में नागरादि शैली में बनकर तैयार हुआ है।



13. प्रेम मंदिर के 94 नक्काशीदार स्तम्भ मानों भुजा उठाकर भक्ति, भक्त व भगवान् की निरंतर जय जयकार करते रहते हैं. इन कला मंडित स्तंभों पर किंकरी और मंजरी सखियों के विग्रह बनाये गए हैं।


14. जगद्गुरूत्तम् श्री कृपालु जी महाराज ने युवावस्था में ही वृन्दावन धाम में एक विशाल मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था।



15. जगद्गुरूत्तम् श्री कृपालु जी महाराज ने कहा है - 'प्रेम मंदिर विश्व का अलौकिक प्रसिद्ध मंदिर होगा जिसकी सौंदर्य, भव्यता और विशालता को देखने दूर-दूर से लोग आयेंगे.' आज यह वचन निश्चय ही सार्थक हो चुका है, प्रेम मंदिर विश्व भर में अपनी धन्यता का, अपनी मधुरता, भगवत्स्वरूपता और भक्तिमयता का परचम फहरा रही है।

प्रेम मंदिर की जय हो।।



जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय हो।।


ये सभी तस्वीरें एवं जानकारियां मेरे मित्र और जगद्गुरु कृपालु जी महाराज के परम शिष्य श्री चंद्रसेन वर्मा जी द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं।



जय जय श्रीकृष्ण

जय यशोदानंदन

जय हो बंसीवाले मुरली मनोहर नंद लाल की


टीम स्टेट टुडे

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