ईका बस चलै तो दै कन्टाप उड़ाए दे जौने कोरोनम खेल किहिन, कानऊकैर सुनौ बहिरचिया की बातें

बिना बाढ़ कै आपन जिला घोटालन म बहि गवा,
कोविड कै बिमारी म बड़केन कै तो जेब भरा !!
जनता तौ चिल्लातेन रह गई
लूट तंत्र का काम हुआ !!
जिन पर किहिस भरोसा जनता उहा
टीम वर्क से बैंक भरा !!
हैय्या कै माहमारी म इहा लूटन का अवसर बना,
कागज़ म सब बढ़िया बढ़िया मौक़े पर घटिया मिला !!
बड़केंन का तौ मिला मुनक्का निबरे का कुछ नाय मिला,
अफसर बोलै कोविड कोविड
जनता कै घरबार बहा !!
जब जब हल्ला मचै ज़ोर से,
उड़नतश्तरीप राउंड हुआ !!
उपरै ऊपरस झांक झांक कै,
निबरेक घर कै हाल लिया !!
व्हाट्सएप फेसबुक टीयूटर पर फिर झांकत फ़ोटो पोस्ट किया,
लोकतंत्र में खोए तंत्र की महिमा देखौ देख लिया,
बिना बाढ़ कै आपन जिला घोटालन मा बहि गवा !!
(कविता के रचयिता अजय शर्मा बहराइच के तेजतर्रार पत्रकार हैं)