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Jun 19, 20212 min

एमएलसी अरविंद शर्मा को प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष का पदभार, संगठन के मोर्चा अध्यक्षों की भी घोषणा

भारतीय जनता पार्टी संगठन आधारित पार्टी है। यहां पैराशूट कल्चर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी प्रशासनिक अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा जब रिटायरमेंट लेकर उत्तर प्रदेश आए तब से तरह तरह की अटकलें और चर्चाएं चल रहीं थी। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के दौरे और संगठनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चर्चाओं को भी सियासत के तराजू में ऐसे तौला गया जैसे सरकार और संगठन के बीच सही तालमेल ना हो।

ऐसी सभी चर्चाएं और अफवाहें एक बार फिर किनारे लग गईं। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर सिद्ध किया कि पार्टी और संगठन में योगदान के बिना कहीं भी पहुंचना असंभव है।

इसी क्रम में विधान परिषद सदस्य अरविंद कुमार शर्मा को भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति का पत्र जारी करने के साथ ही भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने उनको बधाई भी दी।

मऊ के रहने वाले अरविंद कुमार शर्मा गुजरात कैडर के आइएएस अफसर रहे हैं। उन्होंने अपनी सेवा के दो वर्ष बाकी रहने से पहले ही स्वैछिक सेवानिवृति ली और सक्रिय राजनीति में उतरने के साथ भाजपा में शामिल हो गए। अरविंद कुमार शर्मा को भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्य बनाया है।

अरविंद कुमार शर्मा के अलावा दो प्रदेश मंत्री को भी नियुक्त किया गया है। लखनऊ की अर्चना मिश्रा और

बुलंदशहर के अमित वाल्मीकि को भाजपा उत्तर प्रदेश का मंत्री नियुक्त किया गया है।

इसके अलावा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आज पार्टी के विभिन्न मोर्चों के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की है। प्रांशुदत्त द्विवेदी (फर्रूखाबाद) को युवा मोर्चा, गीता शाक्य राज्यसभा सांसद (औरैया) को महिला मोर्चा, कामेश्वर सिंह (गोरखपुर) को किसान मोर्चा, नरेन्द्र कश्यप पूर्व सांसद (गाजियाबाद) को पिछड़ा वर्ग मोर्चा, कौशल किशोर सांसद को अनुसूचित जाति मोर्चा, संजय गोण्ड (गोरखपुर) को अनुसूचित जनजाति मोर्चा व कुंवर बासित अली (मेरठ) को अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार और संगठन के बीच समन्वय का मंत्र दिया है। दिल्ली में नड्डा से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल की बातचीत के बाद यूपी में विधानसभा चुनाव की प्रारंभिक रणनीति का खाका तैयार किया गया। सामाजिक सरोकारों के साथ निगमों, बोर्डों, आयोगों, संगठन के मोर्चों, प्रकोष्ठों और विभागों में कार्यकर्ताओं के समायोजन के साथ पार्टी जुलाई में पूरी तरह चुनावी मैदान में कूद जाएगी।

इसी के साथ योगी सरकार में किसी भी तरह के फेरबदल या समायोजन की संभावनाओं पर भी वर्तमान में विराम लग गया। अब पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता और नेता के सामने 2022 में एक बार फिर बीजेपी को सत्ता में लाना ही ध्येय है।

टीम स्टेट टुडे

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