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8 माह में बजट का 55 प्रतिशत खर्च कर सके विभाग


लखनऊ, 21 फरवरी 2023 : पैसे की कोई कमी नहीं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी विकास कार्यों को तेजी से कराने के प्रति गंभीर हैं लेकिन सूबे के कुछ नौकरशाहों की हीला-हवाली और सुस्ती से धरातल पर विकास कार्यों को रफ्तार नहीं मिल पा रही है। बजट होने पर भी न लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) तेजी से सड़क बनाने पर उसे खर्च कर पा रहा है और न ही चिकित्सा, सिंचाई, कृषि आदि महकमे सरकार की मंशा के मुताबिक बजट से कार्य कराने में मुस्तैदी दिखा रहे हैं। 6.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट में विकास कार्यों के लिए दी गई थी भारी-भरकम धनराशि

जनवरी तक कई विभागों द्वारा बजट का 50-60 प्रतिशत भी न खर्च कर पाने पर मुख्यमंत्री ने विभागीय अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए कड़ी फटकार लगाई है। फिलहाल कई विभाग अब अपना पूरा बजट खर्च कर पाने की स्थिति में भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। सत्ता में वापसी कर योगी सरकार ने पिछले वर्ष 26 मई को अपना पहला बजट पेश किया था। लोक कल्याण संकल्प पत्र (चुनावी घोषणा पत्र) के वादे पूरा करने के लिए 6.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट में विकास कार्यों के लिए भारी-भरकम धनराशि की व्यवस्था की गई थी। पैसे की कमी से विकास कार्यों की गति पर ब्रेक न लगे इसके लिए अनुपूरक बजट के माध्यम से भी सरकार ने लगभग 33 हजार करोड़ रुपये की और व्यवस्था भी की थी। वैसे तो 6.49 लाख करोड़ रुपये बजट मिलने के साथ ही संबंधित विभागों को तेजी से विकास के कार्य कराने चाहिए लेकिन आठ माह में लगभग 55 प्रतिशत ही बजट खर्च हो सका है।

कई विभाग 50 प्रतिशत भी नहीं कर सके खर्च

कई विभागों की स्थिति तो यह है कि वे 50 प्रतिशत भी नहीं खर्च कर सके हैं। मसलन, राज्य में सड़कें और सेतुओं आदि के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को 27,470 करोड़ रुपये का बजट दिया गया लेकिन जनवरी तक 7517 करोड़ यानी 27.4 प्रतिशत ही खर्च हो सका। इसी तरह चिकित्सा-स्वास्थ्य, सिंचाई, कृषि, व्यवसायिक शिक्षा, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, समाज कल्याण, उद्योग, नगर विकास, सूडा, आवास, अल्पसंख्यक कल्याण, नियोजन, वन, पिछड़ा वर्ग कल्याण,आईटी, परिवहन, संस्कृति, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य, दुग्धशाला विभाग आदि महकमे का भी जनवरी तक 50 प्रतिशत से ज्यादा बजट नहीं खर्च हो सका है।

प्राथमिक शिक्षा विभाग ने खर्च किया 79 प्रतिशत

54 हजार करोड़ रुपये से अधिक के प्राथमिक शिक्षा के बजट का भले ही 79 प्रतिशत से ज्यादा खर्च कर लिया गया है लेकिन बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए बजट से दिए गए 54,420 करोड़ रुपये में से 32,893 करोड़ यानी 60.4 प्रतिशत ही खर्च हुए हैं। ग्राम्य विकास ने 50.1, पंचायती राज ने 52.8, सहकारिता ने 58.4, माध्यमिक शिक्षा ने 66 प्रतिशत, उच्च शिक्षा ने 64.6, प्राविधिक शिक्षा ने 52.3, गृह पुलिस ने 59.4, गृह (होमगार्ड) ने 68, गृह (कारागार) ने 57.2, सिंचाई (निर्माण कार्य) ने 22.3, उद्योग ने 28, नगर विकास ने 40, सूडा ने 25.1, आवास ने 30, अल्पसंख्यक कल्याण ने 42.7, पिछड़ा कल्याण व आईटी ने 11-11, संस्कृति ने 20.9 प्रतिशत ही बजट खर्च किया है।

अफसरों की लापरवाही से विकास कार्यों पर बजट नहीं हो रहा खर्च, सीएम योगी हुए नाराज

सूत्रों के अनुसार अफसरों की लापरवाही से विकास कार्यों पर बजट के न खर्च होने पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव-प्रमुख सचिवों की बैठक बुलाई थी। तेजी से विकास कार्यों के न होने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री ने सभी को हिदायत दी है कि विकास कार्यों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री के कड़े रुख पर कार्यों में तेजी तो दिखाई दे रही है लेकिन जानकारों का कहना है कि कई विभाग अपना पूरा बजट खर्च करन की स्थिति में अब नहीं है।

प्रमुख विभागों में बजट खर्च की स्थिति

विभाग – कुल बजट – खर्च (रुपये करोड़ में)


ग्राम्य विकास- 28146 14099

चिकित्सा- 44387 21676

ऊर्जा- 54420 32893

गृह (पुलिस)- 33426 19843

लोक निर्माण- 27470 7517

पंचायती राज 16378 8641

नमामि गंगे- 21329 9619

सिंचाई – 13734 3065

समाज कल्याण- 11979 5661

उद्योग (भारी)- 19650 5622

नगर विकास- 16871 6731

महिला कल्याण- 15237 9156

आवास- 7610 2294

कृषि – 7140 3110

पशुपालन- 2575 1296

पिछड़ावर्ग कल्याण 1819 217

संस्कृति 338 71

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