बजरंग दल याद है आपको - राममंदिर आंदोलन की वो सेना

अयोध्या यानी राम जन्मभूमि स्थान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सिर्फ 130 किलोमीटर की दूरी पर है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान लखनऊ ना सिर्फ प्रशासनिक और सरकारी फैसलों का गवाह रहा बल्कि आंदोलन को प्राण वायु देने का काम भी यहीं से हुआ।
विश्व हिंदू परिषद अगर मंदिर आंदोलन का अगुआ बना तो बजरंग दल उसकी हर योजना को अंजाम तक पहुंचाने का जरिया।

80-90 के उस दौर में बजरंग दल युवाओं की ऐसी फौज थी जिसने मंदिर आंदोलन से जुड़ी हर योजना को मूर्त रुप देने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी। उस दौर में बजरंग दल के संयोजक थे लखनऊ के युवा और तेज तर्रार अनूप अवस्थी।

जब विहिप द्वारा देशभर में अयोध्या में राममंदिर आंदोलन को धार देने के लिए रामजानकी यात्राओं का आयोजन किया और फिर 6 दिसंबर 1991 को जब ढांचा गिराया गया तब अयोध्या में उपस्थित लोगों में करीब 90 प्रतिशत लोग बजरंग दल के सक्रिय कार्यकर्ता थे जिन्होंने इस काम मे अपना अहम किरदार निभाया था।

बजरंगदल के संयोजक होने के नाते अनूप अवस्थी ने इस पूरे महाअभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब जब 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भूमि पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति देने वाले हैं तो बीते दौर की बहुत सारी यादें ताजा कर दीं अनूप अवस्थी जी ने।

आइये तस्वीरों के जरिए राममंदिर आंदोलन के उस दौर की यादों को एक बार फिर ताजा करते हैं जिसे राम भक्त हनुमान के नाम पर बने बजरंगदल ने चरम तक पहुंचाया था।
राममंदिर आंदोलन में बजरंगदल की भूमिका की आज यादों के झरोखे से पहली किश्त --

वर्ष 1989 में यह चित्र सदर क्षेत्र के चित्रकार भगवान शरण सिंह ने बनाया था।
जिसे बजरंग दल के कार्यकर्ता हजरतगंज की सडकों पर निडर होकर क्षेत्र में भ्रमण करते हुए और आज यह चित्र विश्व पटल पर है।

नागपंचमी वर्ष 88 गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल अमीनाबाद में एक कार्यक्रम। विषय था साम्प्रदायिकता क्या और साम्प्रदायिक कौन?
जिसमें स्वर्गीय महंत अवैद्यनाथ जी मुख्य अतिथि थे और सभी राजनैतिक दलों के व सभी पंथो के प्रमुख उपस्थिति हुए थे।

श्री राम रोड के ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में साध्वी ॠतंभरा ने आर-पार की भीड़ में जोश भर दिया था।

जब मुलायम ने कहा अयोध्या में परिन्दा भी पर नहीं मार पायेगा !
तब ऐतिहासिक फोटो खींचने वाले थापा जी का अभिनन्दन!