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भैया जी के सत्संग में जीवंत हो उठे ब्रह्मलीन स्वामी दिव्यानंद महाराज


  • स्वामी दिव्यानंद के जन्मोत्सव पर उमड़ा जनसमुद्र

  • देवेंद्र मोहन “भैया जी के सत्संग में बरसी गुरुकृपा


रिपोर्ट - रमेश कुमार




स्वामी दिव्यानंद जी महाराज कहते थे-मानव सेवा ही प्रभु भक्ति है। हर मनुष्य की आत्मा में परमात्मा का वास है। जिसे आत्मबोध का ज्ञान हो गया समझो वो परमात्मा से जुड़ गया। आत्मबोध, गुरु के द्वारा मिलने वाले ज्ञान से ही संभव है। स्वामी दिव्यानंद जी महाराज के 90 वर्षीय जन्मदिवस पर उनके आध्यामिक उत्तराधिकारी देवेंद्र मोहन भैया जी के सत्संग में स्वामी जी एक बार फिर जीवंत हो उठे।

स्वामी जी के जन्मोत्सव पर बरेली के भोजीपुरा स्थित स्वामी दिव्यानंद नगर आश्रम में भव्य सत्संग एवं भंडारा हुआ। इस मौके पर देश के कोने कोने से स्वामी दिव्यानंद के अनुयायी भैया जी के सत्संग में शामिल होने पहुंचे। इस अवसर पर देवेंद्र मोहन भैया जी ने देश के कोने कोने से आश्रम पहुंची संगत और सभी गुरु प्रेमियों को स्वामी जी के जन्मोत्सव की शुभकामनाएं दीं।

मनुष्य के जीवन में गुरु के महत्व का वर्णन करते हुए भैया जी ने कहा कि जिस प्राणिमात्र से हम अपने जीवन में कुछ भी सीखते हैं उसका पद गुरु का ही होता है लेकिन सांसारिक भवसागर से पार पाने के लिए मनुष्य को आत्मबोध होना जरुरी है। आत्मा का परमात्मा से मिलन बिना गुरु के संभव नहीं। इसीलिए आध्यामिक गुरु की आवश्यकता होती है।

भक्तिभाव से भरे सत्संगियों के बीच स्वामी जी को याद करते हुए भैया जी ने कहा कि जब कोई इंसान गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है तो सांसारिक कर्मों में फंस जाता है। मन परेशान होता है। बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान योग साधना के जरिए एक गृहस्थ अपनी शक्तियों को सही दिशा में ला सकता है। परंतु आपके भीतर वो शक्तियां क्या हैं, आपको अपना मन कहां एकाग्र करना है ये ध्यान योग साधना गुरुकृपा से ही संभव है।


भैया जी ने कहा कि गुरु की शिक्षा से ही आत्मिक विकास होता है और हर मनुष्य के आत्मिक विकास से ही सामाजिक विकास भी सुनिश्चित होता है। उत्तर प्रदेश के नोएडा, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, चित्रकूट, हरदोई, संडीला आश्रम अलावा पूर्वांचल, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों से बरेली के भोजीपुरा आश्रम पहुंची संगत का ख्याल करते हुए भैया जी ने कहा बहुतेरी असुविधाओं के बावजूद स्वामी जी की कृपा से उनके जन्मोत्सव पर प्रेमी भक्तों के सहयोग से भव्य भंडारा संभव हो सका।

इस मौके पर देश प्रदेश और स्थानीय स्तर के कई राजनेता भी कार्यक्रम में शामिल हुए। स्वामी दिव्यानंद जी के 90 वर्षीय जन्मोत्सव सत्संग एवं भंडारा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में सांसद धर्मेंद्र कश्यप जी की पुत्री कीर्ति कश्यप, बरहन लाल मौर्य विधायक भोजीपुरा बरेली, डॉ रत्नेश गंगवार पूर्व ब्लाक प्रमुख बीसलपुर, प्रतिभा जौहरी शहर महिला प्रभारी बीजेपी मोर्चा, दिव्यानंद स्पिरिचुअल फाउंडेशन के डायरेक्टर गेंदन लाल वैश्य बरेली से और डॉक्टर सुधा गर्ग जयपुर से शामिल हुए.

भैया जी ने स्वामी दिव्यानंद जी के 90 वर्षीय जन्मदिवस को भव्यतम स्वरुप देने के लिए सभी सहयोगियों, सत्संगियों और आगंतुकों को धन्यवाद दिया। इस पूरे कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करने और आयोजन को सफल बनाने में पीलीभीत, बरेली और भोजीपुरा के सत्संग अधिकारियों का बड़ा योगदान रहा।

स्वामी दिव्यानंद जी -

स्वामी दिव्यानंद जी भेदभाव रहित, संकीर्णता से परे सामाजिक सौहार्दपूर्ण, मानवतावादी एवं आध्यात्मिकता से विभूषित परम संत कृपाल सिंह जी के शिष्य रहे हैं. संत कृपाल सिंह जी महाराज से दीक्षा प्राप्त कर उन्हीं की प्रेरणा से मानव मूल्यों के विकास हेतु मानव निर्माण केंद्र के रूप में स्वामी दिव्यानंद जी ने अपने गुरु के नाम से संत कृपाल योग साधना आश्रम, संत कृपाल नगर की स्थापना संडीला, हरदोई में की.

स्वामी दिव्यानंद जी ने मानव सेवा को ही प्रभु भक्ति का मार्ग बताया. उनके जीवनकाल में उन्होंने बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिए स्कूल खुलवाए. युवाओं के लिए डिग्री कॉलेज बनवाए. बीमारों लोगों की सेवा के लिए अस्पतालों का निर्माण करवाया.

समय-समय पर चिकित्सा शिविर के द्वारा लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध कराया. स्वामी जी पर्यावरण प्रेमी भी थे. उन्होंने अपने कालखंड में वृहद वृक्षारोपण के कई कार्यक्रम चलाए. स्वामी जी के मार्गदर्शन में चलने वाले जेंट्स इंटरनेशनल ने यू एन ओ में अपना स्थान बनाया.

स्वामी दिव्यानंद जी के कार्यकाल के दौरान संपूर्ण भारत में उनके लाखों अनुयाई वर्ष 2001 से स्वामी जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी भैया जी के प्रयासों से अभी भी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं.

स्वामी दिव्यानंद जी महाराज अपनी संगत से बहुत प्रेम करते थे.सांसारिक भवसागर में फंसे जन सामान्य की समस्याओं को वह बहुत ही गंभीरता से सुनते और बहुत ही प्रेम भाव से सब ठीक हो जाने की बात कहते. गुरुकृपा के अनेक अनुभव जब सत्संगी उनसे मिलते तो उनके सामने रखते.

स्वामी दिव्यानंद जी महाराज अक्सर जीवन के गूढ़ रहस्यों को बहुत ही सरल शब्दों में लोगों के सामने उदाहरण के साथ विस्तार पूर्वक बताते थे. स्वामी जी ने अपने जीवन काल में अनेक पुस्तकें लिखी जिसमें धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ और जीवन के रहस्यों को खुलती कई पुस्तकें शामिल हैं. स्वामी जी ने चारों वेदों का सरल भाषा में अनुवाद भी किया. स्वामी जी हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि गीता हमें कर्म का ज्ञान देती है और मानव सेवा प्रभु तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग है.

स्वामी दिव्यानंद जी ने गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह करते हुए विश्व में आध्यात्मिकता के संदेश को निरंतर प्रसारित करने के उद्देश्य से वर्ष 2001 में लाखों शिष्यों के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, अन्य राजनेताओं एवं पत्रकार बंधुओं की मौजूदगी में विशाल सत्संग एवं जनसभा के माध्यम से देवेंद्र मोहन भैया जी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी सार्वजनिक रूप से घोषित किया. प्रेम से सभी देवेंद्र मोहन जी को भैया जी कहकर संबोधित करते हैं. स्वामी जी की घोषणा के पश्चात भैया जी ने स्वयं को अपने गुरु एवं उनके मिशन के प्रति पूर्णतया समर्पित कर दिया तथा अपने गुरु के लक्ष्यों को पूर्ण करना ही अपना उद्देश्य बनाया.

भैया जी के मार्गदर्शन में संगत के सहयोग से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं वृद्ध जनों की सेवा से जुड़े विविध सेवा कार्य निरंतर चलते हैं. इसके अंतर्गत बच्चों के लिए स्कूल, डिग्री कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, समय-समय पर निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर और वृहद वृक्षारोपण और योग साधना के कार्यक्रम आयोजित होते हैं.

टीम स्टेट टुडे टीवी
रमेश कुमार, बरेली

रिपोर्ट - रमेश कुमार, बरेली

टीम स्टेट टुडे



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